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खेत में कट गया एक हाथ, दूसरे हाथ से भाला फेंक बने विश्व चैंपियन, अब रिंकू की नजरें पैरालंपिक के गोल्ड पर

हरियाणा के रोहतक के बाहरी इलाके में स्थित धमार गांव के एक किसान परिवार में जन्मे रिंकू का बायां हाथ खेत में खेलते समय धान बोने वाली मशीन में फंस गया था।

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Rinku Hooda

रिंकू हूड्डा (फोटो- ANI)

मैं पिछली बार वल्र्ड पैरा एथलेटिक्स में गोल्ड जीतने से चूक गया था, इसलिए जब मैं मैदान पर उतरा तो थोड़ा नवर्स था क्योंकि यहां मुकाबला आसान नहीं था, लेकिन आज सब चीजें मेरे अनुरूप हुईं और यही वजह है कि मैं पहली बार विश्व चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीतने में सफल रहा। यह कहना है भारत के 25 वर्षीय भालाफेंक एथलीट रिंकू हुड्डा का, जिन्होंने सोमवार को यहां वल्र्ड पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीता। रिंकू हुड्डा भी अपने प्रदर्शन से बेहद खुश हैं और उन्होंने कहा कि अब उनका लक्ष्य 2028 पैरालंपिक खेलों में स्वर्ण पदक जीतना है। रिंकू ने पुरुषों की भालाफेंक एफ-46 स्पर्धा में 66.37 मीटर के साथ चैंपियन बनें। वहीं, उनके हमवतन खिलाड़ी सुंदर सिंह गुर्जर ने 64.76 मीटर के साथ रजत पदक जीता।

सपना सच होने जैसा

रिंकू ने स्वर्ण पदक जीतने के बाद कहा, यह भारत में मेरी पहली प्रतियोगिता है। मैदान पर मुझे अच्छा लग रहा था और विश्व चैंपियनशिप रेकॉर्ड के साथ गोल्ड जीतना एक सपने का सच होने जैसा है। आज मेरा दिन था, इसलिए सब कुछ मेरे पक्ष में था। मैंने जो किया वह मेरे लिए एक नया अनुभव था। मेरी कोशिश अब अपने प्रदर्शन को और ज्यादा बेहतर करने पर है।

बचपन में बांया हाथ गंवाया

हरियाणा के रोहतक के बाहरी इलाके में स्थित धमार गांव के एक किसान परिवार में जन्मे रिंकू का बायां हाथ खेत में खेलते समय धान बोने वाली मशीन में फंस गया था। हालांकि उन्हें इस घटना के बारे में याद नहीं है क्योंकि उस समय उनकी उम्र बहुत कम थी लेकिन उनके माता-पिता ने उन्हें आठ साल की उम्र में इसके बारे में बताया था।

स्पर्धा देखने वालों की लगी भीड़

रिंकू हुड्डा अपने गांव में काफी लोकप्रिय हैं और यही वजह है कि रोहतक से तीन घंटे का सफर करके उनके परिजन, दोस्त और बड़ी संख्या में गांव के लोग उनकी स्पर्धा देखने के लिए पहुंचे। रिंकू ने कहा, दर्शकदीर्घा में परिजन और दोस्तों की मौजूदगी से मेरी काफी हौसलाअफजाई हुई। अच्छी बात यह है कि मैं उनकी उम्मीदों पर खरा उतर सका।

इस तरह बने एथलीट

रिंकू के चाचा वजीर सिंह ने बताया कि आखिर रिंकू एथलीट कैसे बने। उन्होंने कहा, जब रिंकू हादसे का शिकार हुआ तो हम सभी बेहद दुखी थे। वो दुखी रहने लगा और खाली समय में घर के सामने झील में पत्थर फेंका करता था। मैंने देखा कि वो बहुत दूर तक पत्थर फेंक रहा है तो मुझे ख्याल आया कि क्यों नहीं इसे एथलेटिक्स में डाल दिया जाए। इसके बाद हमने इसे नौ साल की उम्र में रोहतक स्टेडियम में भेजा। यहां से रिंकू का एथलीट बनने का सफर शुरू हुआ।

  • 2018 : एशियाई पैरा खेलों में कांस्य पदक जीता
  • 2023 : वल्र्ड पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप में रजत जीता
  • 2023 : एशियाई पैरा खेलों में रजत पदक हासिल किया