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राजस्थान विश्वविद्यालय में RSS-NSUI का बवाल, गिरफ्तारी के बाद भड़के कांग्रेसी नेता; क्या है विवाद की पूरी कहानी?

Rajasthan Politics: राजस्थान विश्वविद्यालय में RSS के शस्त्र पूजन कार्यक्रम के दौरान हुए हंगामे और इसके बाद NSUI के प्रदेश अध्यक्ष विनोद जाखड़ सहित 9 कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी ने राजस्थान की सियासत में हलचल मचा दी है।

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Vinod Jakhar

फोटो- पत्रिका नेटवर्क

Rajasthan Politics: राजस्थान विश्वविद्यालय में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के शस्त्र पूजन कार्यक्रम के दौरान हुए हंगामे और इसके बाद नेशनल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ इंडिया (NSUI) के प्रदेश अध्यक्ष विनोद जाखड़ सहित 9 कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी ने राजस्थान की सियासत में हलचल मचा दी है।

इस घटना के बाद कांग्रेस के दिग्गज नेता पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, सचिन पायलट, नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली और कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने भजनलाल सरकार और पुलिस प्रशासन पर जमकर निशाना साधा है। इस मामले को लेकर प्रदेशभर में विरोध-प्रदर्शन शुरू हो गए हैं।

क्या है पूरा मामला?

घटना विजयदशमी के अवसर पर राजस्थान विश्वविद्यालय परिसर में आयोजित RSS के शस्त्र पूजन कार्यक्रम से शुरू हुई। इस कार्यक्रम में RSS के क्षेत्रीय प्रचारक निंबाराम मुख्य अतिथि के तौर पर शामिल होने वाले थे। NSUI कार्यकर्ताओं ने इस आयोजन का विरोध करते हुए कार्यक्रम स्थल पर पहुंचकर हंगामा शुरू कर दिया।

आरोप है कि NSUI कार्यकर्ताओं ने मंच पर लगे पोडियम को गिराया, RSS के बैनर और पोस्टर फाड़े और वहां मौजूद लोगों की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाई। इसके अलावा, पुलिस की गाड़ी की लाइट तोड़कर सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने और राजकार्य में बाधा डालने का भी आरोप लगाया गया।

पुलिस ने तुरंत कार्रवाई करते हुए बारिश के बीच लाठीचार्ज कर NSUI कार्यकर्ताओं को खदेड़ा और 12 कार्यकर्ताओं को हिरासत में लिया। इनमें से 9 कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार कर लिया गया। NSUI प्रदेश अध्यक्ष विनोद जाखड़, उपाध्यक्ष महेश चौधरी, ईकाई अध्यक्ष किशोर चौधरी सहित 9 छात्रों को गिरफ्तार किया गया है। जयपुर महानगर प्रथम की न्यायिक मजिस्ट्रेट दक्षिण कोर्ट ने इन 9 आरोपियों की जमानत याचिका खारिज कर दी।

कोर्ट का फैसला और सरकारी पक्ष

जयपुर की कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि आरोपियों पर प्रथमदृष्ट्या गंभीर प्रकृति के आरोप हैं। कोर्ट ने माना कि NSUI कार्यकर्ताओं ने कार्यक्रम स्थल पर तोड़फोड़ की, धार्मिक भावनाओं को आहत किया और सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाया। विशेष रूप से, विनोद जाखड़ के खिलाफ पहले से ही इसी तरह के 6 मुकदमे दर्ज होने का हवाला देते हुए कोर्ट ने जमानत देने से इनकार कर दिया। सरकारी पक्ष ने दलील दी कि आरोपियों ने न केवल विश्वविद्यालय की गरिमा को ठेस पहुंचाई, बल्कि कानून-व्यवस्था को भी भंग करने की कोशिश की।

बचाव पक्ष की दलील

NSUI कार्यकर्ताओं की ओर से पैरवी करने वाले वकीलों ने कोर्ट में तर्क दिया कि पुलिस ने एक ही घटनाक्रम के लिए दो अलग-अलग रिपोर्ट दर्ज कीं, जो कानून के खिलाफ है। उन्होंने कहा कि शुरुआत में कार्यकर्ताओं को शांति भंग की आशंका में धारा 151 के तहत हिरासत में लिया गया था, लेकिन बाद में गंभीर धाराएं जोड़कर उन्हें फंसाया गया।

वकीलों ने यह भी दावा किया कि आरोपियों के पास से कोई बरामदगी नहीं हुई और उन्हें झूठा फंसाया गया है। उन्होंने कोर्ट से अनुरोध किया कि मामले के निस्तारण में लंबा समय लगेगा, इसलिए आरोपियों को जमानत दी जाए। हालांकि, कोर्ट ने इन दलीलों को खारिज कर दिया।

विश्वविद्यालय प्रशासन का बयान

राजस्थान विश्वविद्यालय प्रशासन ने इस घटना पर अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि परिसर में सभी विचारधाराओं के कार्यक्रम आयोजित होते रहे हैं। हाल ही में उदयपुर के सुखाड़िया विश्वविद्यालय में कांग्रेस से जुड़े राजीव गांधी स्टडी सर्किल का कार्यक्रम हुआ था, जिसमें पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने हिस्सा लिया था। प्रशासन ने NSUI के हंगामे को विश्वविद्यालय की गरिमा के खिलाफ बताया और इसे अशोभनीय करार दिया।

कांग्रेसी नेताओं का आक्रोश

इस घटना के बाद कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेताओं ने भाजपा सरकार और पुलिस प्रशासन पर हमला बोला। पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि पुलिस RSS और भाजपा के दबाव में काम कर रही है। उन्होंने जयपुर के पुलिस कमिश्नर पर सवाल उठाते हुए कहा कि वे एक अच्छे व्यक्ति हैं, लेकिन दबाव में काम कर रहे हैं। गहलोत ने सुझाव दिया कि पुलिस कमिश्नर को मुख्यमंत्री से कहकर अपने पद से मुक्त हो जाना चाहिए।

उन्होंने आरोप लगाया कि पुलिस ने NSUI कार्यकर्ताओं को पहले धारा 151 के तहत हिरासत में लिया और बाद में गैर-जमानती धाराएं जोड़कर उन्हें फंसाया। गहलोत ने इसे लोकतंत्र का गला घोंटने की साजिश बताया और कहा कि शिक्षा के मंदिर में RSS के शस्त्र पूजन जैसे कार्यक्रमों का विरोध करना विपक्ष का लोकतांत्रिक अधिकार है।

सचिन पायलट ने भी इस घटना की निंदा की और कहा कि शैक्षणिक संस्थानों को राजनीतिक और सांप्रदायिक गतिविधियों से मुक्त रखना चाहिए। उन्होंने NSUI कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी को अन्यायपूर्ण बताया और सरकार पर तानाशाही रवैया अपनाने का आरोप लगाया। नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली और कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने भी इस मामले में सरकार और पुलिस की कार्रवाई को पक्षपातपूर्ण बताया।

NSUI के राष्ट्रीय अध्यक्ष वरुण चौधरी ने इस घटना को लोकतंत्र पर हमला करार दिया। उन्होंने कहा कि RSS ने विश्वविद्यालय में नफरत फैलाने वाला कार्यक्रम आयोजित किया, जिसका NSUI ने लोकतांत्रिक तरीके से विरोध किया। उन्होंने पुलिस की लाठीचार्ज और गिरफ्तारी की कार्रवाई को RSS के इशारे पर की गई कार्रवाई बताया। चौधरी ने चेतावनी दी कि NSUI इस मामले में सड़क से लेकर अदालत तक लड़ाई लड़ेगी और सच की जीत होगी।

NSUI कार्यकर्ताओं का आरोप

NSUI कार्यकर्ताओं ने पुलिस पर RSS के इशारे पर काम करने का आरोप लगाया। उन्होंने दावा किया कि पुलिस ने उनकी गाड़ियों के शीशे तोड़े और उनके साथ मारपीट की। कार्यकर्ताओं का कहना है कि वे विश्वविद्यालय परिसर को राजनीतिक और सांप्रदायिक गतिविधियों से मुक्त रखने के लिए विरोध कर रहे थे, लेकिन पुलिस ने उनके साथ बर्बरता की।

प्रदेशभर में विरोध-प्रदर्शन

NSUI कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी के बाद राजस्थान के विभिन्न हिस्सों में कांग्रेस और NSUI ने विरोध-प्रदर्शन शुरू कर दिए हैं। जयपुर, उदयपुर, जोधपुर और अन्य शहरों में कार्यकर्ताओं ने सड़कों पर उतरकर भाजपा सरकार और पुलिस की कार्रवाई के खिलाफ नारेबाजी की। NSUI ने इसे लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन बताते हुए बड़े स्तर पर आंदोलन की चेतावनी दी है।