
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Photo-X @AmitShah)
बिहार में नीतीश कुमार की अगुवाई में राज्य सरकार ने पटना के गांधी मैदान में शपथ ले ली है। पर क्या आप मानेंगे कि बिहार में फिर से एनडीए सरकार के बनने की इबारत उन दो जगहों पर मुख्य रूप से लिखी गई जिसका संबंध नई दिल्ली की कई खासमखास इमारतों को डिजाइन करने वाले शख्स हरबर्ट बेकर और गृह मंत्री अमित शाह से है। बिहार विधानसभा चुनावों की घोषणा के बाद से ही गृह मंत्रालय के हेड आफिस नॉर्थ ब्लॉक और लुटियंस दिल्ली के 6-ए कृष्ण मेनन मार्ग (पहले हेस्टिंग्स रोड) के बंगले में भाजपा और एनडीए की चुनावी रणनीति अमित शाह की सरपरस्ती में बनने लगी थी।
नॉर्थ ब्लॉक को नई दिल्ली के चीफ आर्किटेक्ट एडविन लुटियन के परम सहयोगी हरबर्ट बेकर ने डिजाइन किया था और वे रहते थे 6-ए कृष्ण मेनन मार्ग पर। अब नॉर्थ ब्लॉक में अमित शाह का दफ्तर है और वे रहते हैं 6-ए कृष्ण मेनन मार्ग में। इसी बंगले में अपने जीवन के अंतिम वर्ष अटल बिहारी वाजपेयी ने भी बिताए थे। बेकर इसमें नई दिल्ली के निर्माण के दौरान 1925-1930 के दरम्यान रहे। लाल बलुआ पत्थर से बने नॉर्थ ब्लॉक का निर्माण 1927 तक पूरा हो गया था। यहां 1947 तक ब्रिटिश सरकार के भारत में काम करने वाले अहम अफसरों के दफ्तर थे।
अमित शाह की बिहार चुनाव की रणनीति 'पंचतंत्र' के रूप में चर्चित हुई। पहला, जातीय समीकरणों का सूक्ष्म विश्लेषण: हर सीट पर जाति आधारित उम्मीदवार चयन, जिसमें गठबंधन की सीटों पर भी भाजपा की सलाह मान्य हुई। दूसरा, अमित शाह ने चुनाव से पहले ही एनडीए की बड़ी विजय की भविष्यवाणी की, जो सटीक साबित हुई और कार्यकर्ताओं में उत्साह भरा। तीसरा, घुसपैठियों और जंगलराज के मुद्दे को उछालना, जिससे हिंदू वोट एकजुट हुआ। चौथा, महिला कल्याण योजनाओं (जैसे नकद हस्तांतरण) को हाइलाइट कर महिलाओं को वोट बैंक बनाना।
अमित शाह के 6-ए कृष्ण मेनन मार्ग के बंगले में एक फव्वारा भी है। अहाते में लगे बुजुर्ग पेड़ों में रहने वाले परिंदों की अखंड चहचहाहट सुबह-शाम जारी रहती है। इनमें अनगिनत तोते हैं। ये पेड़ गवाह हैं ना जाने कितनी अहम हस्तियों के। अमित शाह सुबह यहां बैठकर अखबार पढ़ते हैं। उन्होंने बिहार में चुनाव प्रचार के दौरान 19 दिन बिताए, कार्यकर्ताओं से सीधी मुलाकात की और गठबंधन सहयोगियों (जदयू, लोजपा-रामविलास) के बीच मतभेद दूर किए।
चिराग पासवान और नीतीश कुमार के बीच तनाव को शाह ने ही सुलझाया। परिणामस्वरूप, भाजपा सबसे बड़ी पार्टी बनी, जद(यू) ने बेहतरीन स्ट्राइक रेट हासिल किया। शाह की संगठनात्मक कुशलता ने एंटी-इनकंबेंसी को भी हराया। उन्होंने भाजपा के असंतुष्ट नेताओं को भी कसकर रखा।
अमित शाह 1 जून, 2019 को देश के गृह मंत्री बने थे। पिछले 5 अगस्त को अमित शाह आजाद भारत में सबसे लंबे समय तक गृह मंत्री होने का रिकार्ड बना चुके हैं। उन्होंने लाल कृष्ण आडवाणी का 2,256 दिनों तक देश का गृह मंत्री रहने का कीर्तिमान तोड़ दिया है और अब, उनकी दूरदर्शी रणनीति, असंतोष प्रबंधन में कुशलता और माइक्रो-प्लानिंग ने एनडीए को असंभव लग रही जीत मिली है।
अमित शाह के ड्राइंग रूम में हनुमान जी की सुंदर सी मूर्ति रखी हुई है। बीते 14 नवंबर को एनडीए की शानदार विजय के बाद इसी ड्राइंग रूम में गठबंधन के नेताओं के साथ बिहार में नई सरकार के गठन पर चर्चा हुई। कहना ना होगा कि इधर ही एक दौर में बेकर से मिलने एडविन लुटियन भी आते होंगे।
अगर एडविन लुटियन के नेतृत्व में नई दिल्ली बनी-संवरी तो हरबर्ट बेकर ने राजधानी को साउथ ब्लॉक, नॉर्थ ब्लॉक, जयपुर हाउस, हैदराबाद हाउस, बड़ौदा हाउस जैसी शानदार इमारतें दीं। पुराने संसद भवन को बनाने में बेकर लुटियन को सहयोग कर रहे थे। बेकर भारत आने से पहले 1892 से 1912 तक साउथ अफ्रीका और केन्या में भी सरकारी इमारतों के डिजाइन तैयार कर रहे थे।
अटल बिहारी वाजपेयी 2004 में प्रधानमंत्री पद से हटे तो उन्हें 6 कृष्ण मेनन मार्ग का बंगला अलॉट हुआ। अटल जी ने अपने बंगले का पता बदलवा दिया था। जानने वाले जानते हैं कि सन 2004 से पहले इस बंगले का पता 8 कृष्ण मेनन मार्ग था। इधर शिफ्ट होने से पहले वाजपेयी अपने नए आवास का पता 7-ए रखवाना चाहते थे।
लेकिन ये संभव नहीं था क्योंकि लुटियंस जोन के बंगलों के नंबर सड़क के एक तरफ विषम हैं और दूसरी ओर सम हैं। इसलिए उन्होंने 8-कृष्ण मेनन मार्ग वाले बंगले के लिए 6-ए कृष्ण मेनन मार्ग का एड्रेस स्वीकार कर लिया था। उनके आग्रह के बाद नई दिल्ली नगर परिष्द (एनडीएमसी) ने इस बंगले को नया पता दे दिया था। हालांकि ये किसी को समझ नहीं आया कि वाजपेयी जी ने अपने बंगले का पता क्यों बदलवाया था?
सरदार पटेल से लेकर अमित शाह राजधानी के नॉर्थ ब्लॉक की पहली मंजिल के अपने दफ्तर में गृह मंत्री के रूप में काम करते रहे। नॉर्थ ब्लॉक का यह कक्ष अपने आप में खास रहेगा, जिधर से सरदार पटेल ने 562 रियासतों का भारत में विलय करवाया। बेशक, नॉर्थ ब्लॉक के चप्पे-चप्पे पर सरदार पटेल के फैसलों की छाप है। सरदार पटेल के बाद 1955 से 1961 तक नॉर्थ ब्लॉक में गृह मंत्री के कक्ष में गोविन्द बल्लभ पंत रहे।
भाजपा के वयोवृद्ध नेता लाल कृष्ण आडवाणी ने 1998 से 2004 तक गृहमंत्री के रूप में नॉर्थ ब्लॉक से ही काम किया। अगर बिल्कुल हाल की बात करें तो अमित शाह ने नॉर्थ ब्लॉक से ही ऑपरेशन महादेव और ऑपरेशन ब्लैक फॉरेस्ट की निगरानी की। अब गृह मंत्रालय का दफ्तर नई बिल्डिंग में ले जाने की प्रक्रिया चल रही है। यह प्रक्रिया पूरी होते ही गृह मंत्रालय की इमारत के इतिहास का नया पन्ना भी शुरू हो जाएगा।
Updated on:
20 Nov 2025 04:26 pm
Published on:
20 Nov 2025 03:31 pm
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