
दो दिन बाद धान खरीदी (Photo Patrika)
CG Dhan Kharidi: प्रदेश में समर्थन मूल्य पर धान खरीदी शुरू होने में अब सिर्फ दो दिन बाकी हैं, लेकिन सहकारी समितियों की हड़ताल ने पूरी तैयारी पर ब्रेक लगा दिया है। शासन की ओर से खरीदी की औपचारिक घोषणा के बावजूद जिले की 96 समितियों में एक भी केंद्र पूरी तरह तैयार नहीं हो पाया है। हड़ताल के चलते धान तौल, पंजीयन, टोकन वितरण और बारदाना प्रबंधन जैसे जरूरी काम ठप हैं, जिससे किसान भी चिंतित हैं।
सहकारी समिति कर्मचारी महासंघ और धान खरीदी कंप्यूटर ऑपरेटर संघ की संयुक्त हड़ताल लगातार जारी है। कर्मचारियों की मांगें न माने जाने और प्रदेश अध्यक्ष के खिलाफ की गई कार्रवाई से संघ में आक्रोश है। बुधवार को आंदोलनकारियों ने धमतरी जिले में कलेक्टर और उप-पंजीयक कार्यालय का घेराव करते हुए दो दिन का अल्टीमेटम दिया है। चेतावनी दी गई है कि मांगें पूरी न होने पर वे धमतरी-रायपुर मार्ग पर चक्काजाम करेंगे। शासन की ओर से हड़ताली कर्मचारियों को नोटिस भी दिया जा रहा है।
इस बीच शासन ने खरीदी केंद्रों को चालू रखने के लिए ‘जुगाड़’ शुरू कर दिए हैं। समितियों में पार्टी से जुड़े कार्यकर्ताओं को अध्यक्ष बनाया गया है, जबकि कृषि, खाद्य और राजस्व विभाग के कर्मचारियों को नोडल अधिकारी के रूप में ड्यूटी दी गई है। मगर जमीनी हालात कुछ और ही बयां कर रहे हैं, अधिकांश केंद्रों में कंप्यूटर, प्रिंटर, तौल मशीन और नमी मापक यंत्र अब तक कार्यरत नहीं हैं।
खाद्य विभाग के अनुसार, इस सीजन में १ लाख २८ हजार पंजीकृत किसानों से ७६ लाख क्विंटल धान की खरीदी की जाएगी। इसके लिए करीब 1 करोड़ 90 लाख बारदानों की आवश्यकता होगी। विभाग का दावा है कि बारदाने की आपूर्ति और केंद्रों की सफाई, फेंसिंग, ड्रेनेज व अन्य इंतजाम किए जा रहे हैं।
हकीकत यह है कि तकनीकी स्तर पर अभी गंभीर खामियां हैं। सबसे बड़ी समस्या किसानों के ऑनलाइन टोकन सिस्टम की है। इस साल ऐप में तकनीकी बदलाव के बाद किसानों का डाटा अपलोड ही नहीं हुआ है, जिससे टोकन कटना संभव नहीं है।
हालात यह हैं कि एक ओर सरकार तैयारी पूरी होने का दावा कर रही है, वहीं जमीनी स्तर पर खरीदी व्यवस्था अस्त-व्यस्त है। किसानों की निगाहें अब 14 नवंबर को होने वाली कैबिनेट बैठक पर टिकी हैं, जहां से ही इस गतिरोध का समाधान निकलने की उम्मीद है। फिलहाल सवाल यही है कि धान खरीदी समय पर शुरू होगी या एक बार फिर शासन की तैयारियां कागजों तक सीमित रह जाएंगी? ऐसे में किसानों की चिंता बढ़ गई है।
शासन की ओर से धान खरीदी की तैयारी कर ली गई है, तो इसका स्वागत है। किसानों को उपज बेचने में कोई समस्या न हो। संघ शासन के दबाव से डरने वाले नहीं हैं। जब शासन खरीदी की तैयारी कर ली है, तो हड़ताली कर्मियों पर दबाव व कार्रवाई भी समझ से परे है।
Published on:
13 Nov 2025 11:47 am
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