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रतलाम. महिला सुरक्षा और बच्चों के प्रति अपराधों की रोकथाम के लिए पुलिस के प्रयास नाकाफी साबित हो रहे है। महिलाओं से जुडे़ अपराध की ही बात की जाए तो इनकी संख्या लगातार बढ़ रही है। कई तरह के अपराध सुलझाने का दावा कर पुलिस भले अपनी पीठ थपथाने का दावा करें, हकीकत यह है कि जिले में महिलाओं से जुडे़ अपराध, खासकर हत्याओं को रोकने में खासकर दहेज को लेकर हो रहे अपराध रोकने में पुलिस का सफलता का ग्राफ बेहद कमजोर व लचर साबित हो रहा है।
दहेज हत्या जहां 2024 में मात्र एक हुई थी जो इस वर्ष अब तक बढ़कर छह हो चुकी है। इसमें छह सौ फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज हुई है। पिछले साल के मुकाबले दस माह में बलात्कार के अपराध भी बढ़ गए हैं।
इन अपराधों में वृद्धि
- अपहरण के मामले - 2024 में 236 थे, 2025 में 261
- दहेज हत्या के मामले - 2024 में मात्र 1 केस, 2025 में 6
अब दावा, करेंगे ये कार्य
- सभी थानों में महिला डेस्क की कार्यप्रणाली को और मजबूत किया जाएगा।
- स्कूल, कॉलेजों एवं ग्रामीण क्षेत्रों में जागरूकता कार्यशालाओं का आयोजन।
- असामाजिक तत्वों एवं आदतन अपराधियों पर निगरानी।
- लगातार अपराध करने वालों पर बाउंड ओवर कार्रवाई।
- साइबर जागरूकता अभियान के माध्यम से ऑनलाइन अपराधों की रोकथाम।
दहेज सामाजिक बुराई
यह सही है महिला अपराध खासकर दहेज हत्याओं से जुडे़ मामले बढे़ है। यह एक सामाजिक बुराई है, इसके लिए मिलकर समाज को आगे आने की जरुरत है। सामाजिक चेतना के लिए पुलिस अपने स्तर पर जागृति लाने का कार्य कर रही है।
अमित कुमार, एसपी, रतलाम
सभी को मिलकर कार्य करने की जरुरत
दहेज ही क्यों, किसी भी प्रकार का अपराध क्रोध या आवेश में लिया गया निर्णय होता है। समाज में 40 प्रतिशत हिंसा मोबाइल के अधिक उपयोग से हो रही है। इसके लिए परिवार को मिलकर निर्णय लेना जरूरी है।
- डॉ निर्मल जैन, मनोचिकित्सक, रतलाम
Updated on:
12 Nov 2025 11:42 pm
Published on:
12 Nov 2025 11:41 pm
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