विद्योदय जैन तीर्थ क्षेत्र में 720 समोशरण विधान के अंतिम दिन शनिवार को मुनि विमल सागर महाराज ने कहा कि ख्याति पूजा लाभ के चक्कर में व्यक्ति को नहीं पड़ना चाहिए। आपने दान दिया है इससे पुण्य का लाभ आपको ही मिलने वाला है लेकिन आपने ख्याति के चलते दान दिया है तो अपने परिणाम बेकार कर रहे हैं।
मुनि ने कहा इतना बड़ा विधान आचार्यश्री के मंगल आशीर्वाद से हुआ है वे ऊपर से आशीर्वाद दे रहे हैं। जिनका पुण्य था उन्हें इस विधान में बैठने का अवसर मिला है। दान के भाव हमेशा अच्छे होना चाहिए। दान में ख्याति की चाह नहीं रखना चाहिए नहीं तो फल नहीं मिलता है। मुनि ने कहा आचार्य भगवान विद्यासागर महाराज के पास बड़ी-बड़ी सिद्धियां थी आप सभी लोग सद्भावना के साथ नौ देवताओं की पूजा करो प्रतिदिन मंदिर जाने का नियम को आपका कल्याण हो जाएगा।
विधान के 9 वें दिन एक साथ 720 श्रीजी की प्रतिमाओं का अभिषेक, शांतिधारा मुनि विमल सागर व मुनि अनंत सागर के सानिध्य में 5 अक्टूबर को सुबह 7 बजे से प्रारंभ होगा। मुकेश जैन ढाना ने बताया कि विद्योदय जैन तीर्थक्षेत्र में 9 दिवसीय कार्यक्रम में लगभग 1000 से अधिक इंद्र इंद्राणियों ने भाग लिया, जबकि 720 सौधर्म इंद्र और शचिरानी प्रमुख पात्र बनकर बैठे थे। उन्होंने प्रतिदिन 120 अर्घ्य चढ़ाकर विधान में भाग लिया।
विधान के समापन पर हवन होगा और उसके बाद श्रीजी की शोभायात्रा चांदी के रथों में निकलेगी। एक साथ नौ रथ सागर में निकलेंगे। इस विधान को गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में पंजीकृत किया गया है। शनिवार के श्रावक श्रेष्टि डॉ. राकेश जैन, डॉ. रीता जैन व डॉ सुधीर जैन बंडा थे। भोजन शाला का पुण्यार्जक आनंद स्टील परिवार था। विधान में महेश बिलहरा, पूर्व विधायक सुनील जैन,सुधा जैन, प्रेमचंद उपकार, देवेंद्र जैना स्टील, राजा भैया जैन सहित हजारों की संख्या में लोग उपस्थित थे।
Published on:
05 Oct 2025 05:31 pm
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