शहर में दिनभर निर्जला व्रत रखने वाली सुहागिनों को शुक्रवार की रात चंद्रमा को अर्घ्य देने के लिए इंतजार करना पड़ा। शहर में चंद्रोदय का समय 8 बजे था, लेकिन चंद्रमा के दर्शन रात्रि 8.54 बजे हुए। बादलों की वजह से चंद्रमा छिपा रहा। रात 8.54 बजे चंद्रमा को अर्घ्य देकर पति के दर्शन करने के बाद उनके हाथों से पानी पीकर सुहागिनों ने अपना निर्जला व्रत खोला। दिनभर निर्जला व्रत रखने वाली महिलाएं बार-बार चांद देखने के लिए पहुंची, लेकिन घंटों तक चांद के दर्शन ही नहीं हुए। कहीं परिवार के लोगों के साथ तो कहीं सामूहिक तौर पर महिलाओं ने घर की छतों पर पूजा-अर्चना कर कथा सुनी। सिविल लाइन स्थित एक होटल में पंजाबी समाज की महिलाओं ने उत्साह के साथ पर्व को मनाया।
करवा चौथ पर महिलाओं ने सोलह श्रंृगार किया। दिनभर पार्लर में महिलाओं की भीड़ रही। वहीं, रात 8 बजते-बजते महिलाओं ने चंद्रोदय के इंतजार के बीच कथा सुनी और अखंड सौभाग्य की कामना कर मिठाई, चावल के आटे, चूरे, बताशे का भोग लगाया। करवा माई के चित्र का पूजन किया। चंद्रोदय के बाद विधि-विधान से छन्नी से चांद के दर्शन किए।
सिंधी कॉलोनी गोसाई गली में श्रद्धा भाव के साथ करवा चौथ का पर्व मनाया गया। जय माता दी झूलेलाल शरण मंडली महिला मंडल अध्यक्ष दिया राजपूत ने बताया कि यह पर्व करवा चौथ त्याग का व्रत है। इस व्रत में महिलाएं निर्जला रहकर पति और परिवार की मंगल कामना के लिए देवी करवा और शिव परिवार की पूजा करती हैं। चांद के दर्शन के बाद ही जल और अन्न ग्रहण करती हैं। इस अवसर पर समाज की सभी महिलाएं मौजूद रही।
सिविल लाइन स्थित होटल में वर्ष 1996 से ही सामूहिक पर्व मनाया जा रहा है। 33 वर्षों से व्रत रख रही कुसुम आनंद ने बताया कि सभी महिलाएं यहां विधि-विधान से पूजा अर्चना करती हैं। अलका श्रीवास्तव ने बताया कि वे 43 वर्षों से करवा चौथ का व्रत करते आ रही हैं। यहां सामूहिक पूजन करने के बाद घर पर चंद्रमा के दर्शन के बाद व्रत खोला जाता है। सभी महिलाएं सोलह श्रंृगार में पूजा-अर्चना करती हैं।
Published on:
11 Oct 2025 04:51 pm
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