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जंगली जानवर पहुंचा रहे फसलों को हानि, किसानों को नही मिलता है मुुआवजा, क्योंकि प्रक्रिया है लंबी

पूरे क्षेत्र में हिरण और नील गाय हैं बड़ी संख्या में, जानवरों के निकलने से नष्ट हो जाती है फसल

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Wild animals are damaging crops, and farmers are not compensated because the process is lengthy.

खेतों में दौड़ती हुईं नील गाय

बीना. क्षेत्र में जंगली हिरण और नील गाय बड़ी संख्या में होने के कारण फसलों को क्षति पहुंचा रहे हैं, जिससे किसानों को नुकसान होता है और इस नुकसान का मुआवजा भी नहीं मिल पाता है। किसान वन विभाग के अधिकारियों से शिकायत भी करते हैं, लेकिन इस ओर ध्यान नहीं दिया जाता है।
रबी फसल खेतों में लहलहाने लगी है, जिसे जंगली जानवर क्षति पहुंचा रहे हैं। हिरणों और नील गाय के झुंड जिन खेतों से निकलते हैं, वहां फसल खराब हो जाती है। किसान इस समस्या से निजात दिलाने के लिए हर वर्ष वन विभाग और राजस्व विभाग के अधिकारियों से शिकायत करते हैं, लेकिन कोई हल नहीं निकलता है। जंगली जानवरों को खेतों से भगाने में उनकी सुरक्षा का ध्यान भी किसानों को रखना पड़ता हैं। कुछ जगहों पर जंगली सुअर भी खेतों में पहुंच रहे हैं, जो फसलों को क्षति पहुंचाते हैं।

वन विभाग मानता है पांच किमी का दायरा
वन विभाग जंगल से पांच किलोमीटर के एरिया में होने वाले नुकसान को ही मानता है, इसके अलावा अन्य क्षेत्रों में होने वाले नुकसान को जंगली जानवरों से हुआ नुकसान नहीं माना जाता है, जबकि हिरण कई किमी के क्षेत्र में नुकसान पहुंचाते हैं। रिफाइनरी के पास भांकरई सहित अन्य गांवों में नील गाय ज्यादा मात्रा में हैं।

मुआवजा के लिए लोकसेवा केन्द्र में होता है आवेदन
जानकारी के अनुसार जंगली जानवरों से जंगल की पांच किमी के दायरे में हुए फसलों के नुकसान का आवेदन लोकसेवा केन्द्र में करना पड़ता है। इसके बाद तहसीलदार और वन विभाग के बीट गार्ड द्वारा सर्वे कर रिपोर्ट लोकसेवा केन्द्र में जमा की जाती है। इसके बाद वन विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों के पास रिपोर्ट जाती है। इसके लिए समय-सीमा निर्धारित होती है।

जंगल कटने से खेतों में पहुंच रहे हैं जानवर
आसपास जंगल कट जाने के बाद जंगली जानवर अब राजस्व सीमा में ही रहते हैं। क्षेत्र में करीब दो हजार हिरण हैं। गांव के पास हिरणों के आने पर वह कुत्तों के शिकार हो जाते हैं, तो कुछ सडक़ हादसों में दम तोड़ देते हैं।

राजस्व सीमा में पहुंच रहे हैं जानवर
वन विभाग जंगल से पांच किमी के दायरे में हुए नुकसान का मुआवजा देता है। इसके लिए किसान को लोकसेवा केन्द्र में आवेदन करना पड़ता है। हिरण वन विभाग की सीमा से बाहर राजस्व विभाग की सीमा में पहुंच गए हैं।
ओपी शिल्पी, डिप्टी रेंजर, बीना