
जयपुर। अगर कोई व्यक्ति मांस, डेयरी और अंडे खाना बंद कर दे—वह भी किसी मॉडलिंग की बजाय वास्तविक जीवन में—तो उसके जलवायु फुटप्रिंट में क्या बदलाव आता है? एक नई स्टडी में पाया गया कि इन पशु-आधारित खाद्य पदार्थों की जगह साधारण पौधे-आधारित भोजन अपनाने से प्रतिदिन लगभग 1,300 ग्राम CO₂-equivalent उत्सर्जन में कमी आई।
यह इतना ही है जैसे कोई व्यक्ति रोज़ाना लगभग चार मील की कार यात्रा छोड़ दे। अध्ययन से रोज़मर्रा की खान-पान की आदतों के पर्यावरणीय प्रभाव पर बेहद स्पष्ट झलक मिलती है।
यह रैंडमाइज्ड ट्रायल Physicians Committee for Responsible Medicine (PCRM) की डॉ. हाना काहलेओवा के नेतृत्व में किया गया।
इसके बाद शोधकर्ताओं ने हर खाद्य पदार्थ को उन डेटाबेस से मिलाया, जो उसके उत्पादन से जुड़ी ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन और ऊर्जा खपत का अनुमान लगाते हैं।
नियंत्रण समूह की तुलना में वीगन समूह में ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन और ऊर्जा उपयोग लगभग 51% कम पाया गया।
अध्ययन का पैटर्न पहले के उन बड़े विश्लेषणों से मेल खाता है, जिनमें प्लांट-बेस्ड डाइट को उत्सर्जन कम करने में अत्यंत प्रभावी पाया गया है। EAT-Lancet Commission द्वारा सुझाया गया “Planetary Health Diet” भी मुख्य रूप से पौधे-आधारित खाद्य पदार्थों—अनाज, दालें, फल, सब्जियां, नट्स और बीज पर आधारित है। यूके के 55,000 लोगों पर किए गए विश्लेषण में पाया गया कि पशु-समृद्ध आहार का पर्यावरणीय प्रभाव सबसे अधिक था, जबकि वीगन डाइट से उत्सर्जन लगभग एक-चौथाई रह गया।
खान-पान में यह बदलाव खाद्य आपूर्ति श्रृंखला में सीधे उत्सर्जन और कुल ऊर्जा उपयोग दोनों को कम करता है, जिससे समग्र कार्बन बजट में राहत मिलती है। यह समाधान ऊर्जा, परिवहन और औद्योगिक सुधारों के साथ मिलकर काम करता है—उनका विकल्प नहीं बल्कि एक और प्रभावी उपाय। क्योंकि यह अध्ययन वास्तविक भोजन विकल्पों पर आधारित है, यह स्कूलों, कंपनियों और घरों के लिए अधिक व्यवहारिक संदर्भ प्रदान करता है।
फिर भी, महीनों तक प्रतिभागियों की वास्तविक भोजन आदतों को ट्रैक करने वाला डेटा इस क्षेत्र में मजबूत प्रमाण जोड़ता है।
इसी शोध समूह की एक क्लीनिकल स्टडी में पाया गया कि 16 हफ्तों तक वीगन डाइट अपनाने वालों का वजन कम हुआ और इंसुलिन रेजिस्टेंस में सुधार देखा गया। यह पर्यावरणीय विश्लेषण बताता है कि यही बदलाव जलवायु को भी लाभ पहुंचाता है—यानी स्वास्थ्य और पर्यावरण, दोनों फायदे एक साथ। डॉ. काहलेओवा के अनुसार, “हम जानते हैं कि संपूर्ण खाद्य पदार्थों पर आधारित पौधे-प्रधान आहार हमारे स्वास्थ्य और पर्यावरण दोनों के लिए बेहतर हैं। यह विश्लेषण दिखाता है कि हमारे रोज़मर्रा के भोजन विकल्प कितने प्रभावशाली हैं।”
एक हालिया सर्वे के अनुसार 46% वयस्क जलवायु प्रभाव कम करने के लिए पौधे-आधारित आहार अपनाने पर विचार कर रहे हैं। साथ ही, अधिकांश लोग चाहते हैं कि राष्ट्रीय पोषण दिशानिर्देशों में भोजन के पर्यावरणीय प्रभाव का उल्लेख किया जाए। डॉ. काहलेओवा कहती हैं, “भविष्य में पौधे-आधारित विकल्प अपनाना उतना ही सामान्य होगा जितना ‘Reduce, Reuse, Recycle’ है। खासकर लाल मांस का ऊर्जा उपयोग पर सबसे बड़ा असर होता है।” यह अध्ययन JAMA Network Open में प्रकाशित हुआ है।
Published on:
24 Nov 2025 05:35 pm
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