Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

एक क्लिक में पागलपन! अब चैटबॉट्स दे रहे AI ‘साइकोसिस’ का खतरा

एक्सपर्ट्स ने दी चेतावनी: चैटजीपीटी-जैसे बॉट्स से मानसिक भ्रम और खतरनाक सोच बढ़ रही।

2 min read
Google source verification

जयपुर

image

MOHIT SHARMA

Nov 23, 2025

नई दिल्ली। आजकल लोग तनाव, अकेलापन या मानसिक परेशानी में सबसे पहले चैटजीपीटी, जेमिनी या ग्रोक जैसे एआई चैटबॉट्स से बात करने लगते हैं। लेकिन विशेषज्ञों की नई चेतावनी है कि इसका अत्यधिक और गलत इस्तेमाल "एआई साइकोसिस" पैदा कर रहा है- यानी वास्तविकता और कल्पना का फर्क मिटना, भ्रम, मतिभ्रम और खतरनाक विचारों का बढऩा। इसे 'एआई साइकोसिस' ( AI psychosis) कहा जा रहा है, जिसमें लोग वास्तविकता से कट जाते हैं और भ्रम या पागलपन जैसे लक्षण दिखने लगते हैं।


डेनमार्क के मनोचिकित्सक सोरेन ऑस्टरगार्ड और स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी की रिसर्च बताती है कि एआई चैटबॉट्स यूजर की हर बात को "हां में हां" मिलाते हैं। नकारात्मक विचारों को और मजबूत कर देते हैं। परिणामस्वरूप पहले से मानसिक रूप से कमजोर लोग भ्रम की गहरी खाई में गिर रहे हैं। कैलिफोर्निया में तो 7 परिवारों ने चैटजीपीटी पर मुकदमा ठोका है कि उनके परिजनों को एआई ने आत्महत्या के लिए उकसाया। अमेरिका-यूरोप में कई किशोरों की मौत के मामले भी सामने आ चुके हैं।

एआई साइकोसिस के लक्षण

  • वास्तविकता से कट जाना
  • एआई को भगवान, प्रेमी या सलाहकार मान लेना
  • अजीब-अजीब विचार आना, नींद न आना
  • सामाजिक जीवन छूटना, सिर्फ चैटबॉट से बात करना

एक्सपर्ट्स के 4 जरूरी सुझाव

  • हल्के तनाव में ही एआई से बात करें, गंभीर समस्या में बिल्कुल नहीं
  • एआई की सलाह को अंतिम सच कभी न मानें
  • मानसिक स्वास्थ्य के लिए हमेशा लाइसेंस प्राप्त साइकॉलजिस्ट/मनोचिकित्सक से मिलें
  • बातचीत के बाद अजीब विचार आएं तो तुरंत प्रोफेशनल मदद लें

एआई भावनात्मक सहारा दे सकता है, लेकिन थेरेपी नहीं

गुडग़ांव की साइकॉलजिस्ट डॉ. मुनिया भट्टाचार्य कहती हैं, "एआई भावनात्मक सहारा दे सकता है, लेकिन थेरेपी की जगह नहीं ले सकता। गंभीर अवसाद, खुदकुशी के विचार या साइकोसिस में एआई गलत सलाह देकर हालात बिगाड़ सकता है।"विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले दिनों में एआई थेरेपी के लिए सख्त नियम बनाने होंगे। तब तक सावधानी ही सबसे बड़ा बचाव है।