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कांग्रेस ने कुन्नर पर जताया भरोसा, जिलाध्यक्ष की सौंपी कमान

-किसान आंदोलन में नेतृत्व व संगठनात्मक पकड़ के चलते मिली बड़ी जिम्मेदारी

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  • श्रीगंगानगर.कांग्रेस हाईकमान ने शनिवार शाम श्रीकरणपुर विधायक रूपिंद्र सिंह कुन्नर को श्रीगंगानगर जिला कांग्रेस कमेटी का नया अध्यक्ष नियुक्त कर दिया। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के महासचिव के.सी. वेणुगोपाल की ओर से जारी सूची में जैसे ही कुन्नर का नाम सामने आया,जिले की राजनीति में हलचल तेज हो गई। उनकी नियुक्ति को संगठनात्मक बदलाव की दिशा में सबसे बड़ा कदम माना जा रहा है।
  • कुन्नर लंबे समय से कांग्रेस संगठन और क्षेत्रीय राजनीति में सक्रिय रहे हैं। दो साल पहले राज्य में भाजपा सरकार बनने के बावजूद वे करणपुर सीट जीतकर कांग्रेस के मजबूत चेहरे के रूप में उभरे। पहली ही बार में भाजपा के घोषित मंत्री सुरेंद्रपाल सिंह टीटी को हराना उनके राजनीतिक जीवन का टर्निंग प्वाइंट रहा।

तीन नामों में कुन्नर रहे सबसे ऊपर

  • जून महीने में सिंचाई पानी के मुद्दे पर श्रीगंगानगर जिला मुख्यालय पर हुए किसान आंदोलन में कुन्नर नेतृत्व करते हुए सभी किसान संगठनों और पंचायत प्रतिनिधियों को एक मंच पर लेकर आए। इस आंदोलन ने न सिर्फ सरकार पर दबाव बनाया,बल्कि कांग्रेस संगठन में भी नई ऊर्जा भर दी। यही कारण है कि पर्यवेक्षकों की ओर से भेजे गए तीन नामों में कुन्नर सबसे ऊपर रहे और हाईकमान ने बिना देर किए जिले की कमान सौंप दी।

कुन्नर को जिलाध्यक्ष बनाने के तीन प्रमुख कारण

  • संगठनात्मक पकड़ और स्वीकार्यता---जिला प्रमुख चुनाव में उनके समर्थक की जीत,ब्लॉक इकाइयों में मजबूत पकड़ और कार्यकर्ताओं को एक साथ जोड़े रखने की क्षमता ने उन्हें सबसे मजबूत दावेदार बनाया।समुदाय में प्रभाव और क्षेत्रीय-सामाजिक समीकरण--श्रीगंगानगर पंजाबी-सिख बहुल क्षेत्र है,जहां कुन्नर की छवि स्वीकार्यता से भरी है। कांग्रेस हाईकमान भी समुदाय आधारित संतुलन को साधते हुए उन्हें प्रमुख चेहरा बनाना चाहता था।.राजनीतिक मजबूती---भाजपा मंत्री को हराने का रिकॉर्ड, किसान आंदोलनों में अग्रणी भूमिका, लगातार जनसंपर्क और आर्थिक रूप से सक्षम होना, इन सभी ने उनकी विश्वसनीयता को और मजबूत किया

कुन्नर का दबदबा

  • कांग्रेस नेताओं का कहना है कि कुन्नर की नियुक्ति से संगठन को नई दिशा मिलेगी और जिले की राजनीति में बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा। जिले में कांग्रेस के चार विधायक (सूरतगढ़, रायसिंहनगर, अनूपगढ़, करणपुर) और एक सांसद होने के बावजूद कुन्नर का दबदबा सबसे मजबूत दिखा। पूर्व जिलाध्यक्ष अंकुर मगलानी के खिलाफ उठते विरोध के बीच कुन्नर में पार्टी को नई संभावना दिखी और उन्हें कमान सौंप दी गई।