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युवाओं का दिल परदेसी हो गया, श्रीगंगानगर में सालाना 20 हजार से ज्यादा पासपोर्ट के आवेदन

श्रीगंगानगर पासपोर्ट सेवा केंद्र में माह में करीब 2000 से ज्यादा एप्लीकेशन आती हैं। इनमें 90 फीसदी आवेदकों की उम्र 25 साल से कम होती है।

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श्रीगंगानगर पासपोर्ट सेवा केंद्र के बाहर अपनी बारी की प्रतीक्षा करते आवेदक।

श्रीगंगानगर पासपोर्ट सेवा केंद्र के बाहर अपनी बारी की प्रतीक्षा करते आवेदक।

दीपक शर्मा

पंजाबी संस्कृति में रचे बसे श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़ और आसपास के इलाकों के सक्षम युवाओं को अपना कैरियर कनाड़ा, ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड और यूएसए में बनाना चाहते हैं। आखिर इसकी वजह क्या है? यह जानने के लिए पासपोर्ट सेवा केंद्र पहुंचे तो पहली मुलाकात अभिनव शर्मा से हुई। बी.कॉम प्रथम वर्ष में अध्ययनरत अभिनव के परिवार का राजस्थान सीमा से सटे पंजाब के अबोहर में स्टील वर्क्स का बिजनेस है। पासपोर्ट केंद्र से बाहर चेहरे पर गहरी मुस्कान का राज पूछा तो अभिनव ने बताया कि पहली सीढ़ी पर पांव रख दिया है। यानी पासपोर्ट अप्लाई कर दिया है। उसे हायर स्टडी के लिए ऑस्ट्रेलिया जाना है।

ये केवल अकेले अभिनव की कहानी नहीं है। इलाके में सिमरन, गुरुविंदर और ऐसे सैकड़ों युवा हैं, जो विदेश जाना चाहते हैं। लेकिन विदेश ही क्यों? पढ़ने, काम करने और बसने से लेकर सबके पास अपने-अपने कारण हैं। केंद्र के बाहर मिली ‘सिमरन’ ने बताया कि अगले माह शादी है तो पासपोर्ट बनवाया है। जब पूछा कि शादी करके बाहर सेटल होना है क्या? तो मुस्कुराते हुए जवाब मिला कि घूमने नहीं जा सकते क्या। लेकिन ऐसा यहां सबके साथ नहीं है।

यहीं मिले मोहित सुथार ने बताया कि परिवार कीे खूब खेती-बाड़ी है। खाने-कमाने की समस्या नहीं है, लेकिन मां-बाप के सामने वैले (खाली) नहीं बैठ सकते।

हर माह 2000 से ज्यादा एप्लीकेशन

श्रीगंगानगर पासपोर्ट सेवा केंद्र पर रोज 80 अपाइंटमेंट होते हैं। अवकाश छोड़ दें तो माह में करीब 2000 से ज्यादा एप्लीकेशन आती हैं। इनमें 90 फीसदी आवेदकों की उम्र 25 साल से कम होती है।

विदेश की राह नहीं आसान

वीजा काउंसलर हरमन सिंह बराड़ बताते हैं कि हर पासपोर्ट वाले युवा को वीजा मिल जाए, यह जरूरी नहीं है। स्टडी वीजा के लिए पीटीई(पीयरसन टेस्ट ऑफ इंग्लिश ) और आइईएलटीएस (इंटरनेशनल इंग्लिश लेंग्वेज टेस्टिंग सिस्टम) की चुनौती रहती है। कनाड़ा, ऑस्ट्रेलिया, यूके, यूएसए जैसे देशों में अच्छे से अंग्रेजी बोलने, पढ़ने, लिखने से लेकर सुनने वालों को ही प्राथमिकता मिलती है। कई देशों में अंग्रेजी को लेकर सख्ती नहीं हैं, तो जो ऐसा नहीं कर पाते हैं, वे उन देशों की राह लेते हैं। यानी जिसे विदेश जाना है, वो जुगाड़ कर ही लेता है।

आखिर क्यों है विदेश जाने की चाह

सरकारी नौकरियां फिक्स और कंपीटिशन ज्यादा।

प्राइवेट जाॅब में काम का दबाव ज्यादा और वेतन कम।

बेरोजगारी ज्यादा होने से नौकरी जाने का डर।

कनाडा बना सबसे बड़ा ड्रीम डेस्टिनेशन

देश जाने वालों का प्रतिशत

कनाडा 45%

ऑस्ट्रेलिया 25%

यूके 15%

अन्य देश 15%

इन वीजा की सर्वाधिक डिमांड

स्टूडेंट : पढ़ाई, रिसर्च या ट्रेनिंग के लिए।

टूरिस्ट : घूमने-फिरने या छुट्टियों के लिए।

फैमिली / स्पॉन्सर : परिवार के सदस्य के पास जाने या उनके साथ रहने के लिए।

मेडिकल : इलाज या चिकित्सा उपचार के लिए।

बिजनेस : व्यापारिक मीटिंग, कॉन्फ़्रेंस, एग्ज़ीबिशन आदि के लिए।

यह भी खास

भारत से प्रथम बार विदेश जाने वाले यात्रियों द्वारा वीजा आवेदन में 32 % वृद्धि।

2024 में विदेश अध्ययन के लिए भारतीय छात्रों की संख्या लगभग 7.6 लाख रही।

2025 में कनाडा, यूके, अमरीका, ऑस्ट्रेलिया जाने वाले छात्रों की संख्या गिरावट है।

पासपोर्ट इंडिया की वेबसाइट के अनुसार, बीते सप्ताह में देश में 4 लाख से ज्यादा आवेदन मिले, जिनमें से ढाई लाख से ज्यादा प्रोसेस हो चुके और दो लाख से ज्यादा पासपोर्ट इश्यू किए जा चुके हैं।

वहीं जयपुर पासपोर्ट केंद्र ने 2023 से साढ़े 12 लाख पासपोर्ट इश्यू हो चुके हैं।