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अजमेर शरीफ दरगाह- अजमेर में रेलवे से दो किलोमीटर दूर अंतर्राष्ट्रीय याति प्रापत सांप्रदायिक सौहार्द की प्रतीक सूफी संत वाजामोइनुद्दीन हसन चिश्ती 1143-1233 ईसवी की दरगाह है। इस्लाम को मानने वाले मक्का के बाद इसको सबसे पवित्र मानते हैं। वैसे देश-विदेश से आने वाले जायरीन में हिंदुओं की संया ज्यादा रहती है। गरीब नवाज के नाम से प्रसिद्ध वजा साह की मजार को मांडू के सुल्तान ग्यासुद्दीन िालजी ने सन् 1464 में पक्का करवाया था। मजार शरीफ के उपर आकर्षक गुबद है, जिसे शाहजहां ने बनवाया7 एस पर ाूबसूरत नकाशी का काम सुलतान महमूद बिन नसीरूद्दीन ने करह्ववाया । गुबद पर सुनहरी कलश है। मजार शरीफ के चारों ओर कटहरे बने हुए हैं। एक कटहरा बादशाह जहांगीर ने 1616 में लगवाया था। चांदी का एक कटहरा आमेर नरेश सवाई जयसिंह ने 1730 में ोंट किया था। इसमें 42 हजार 961 तोला चांदी काम में आई। इस्लामिक कलेण्डर के मुताबिक हर साल 1 से 6 रजब तक यहां वाजा साहब का उर्स मनाया जाता है। इस में दो-तीन लाा जायरीन हर साल शिरकत करते हैं।

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अजमेर

Vishnu Gupta

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राष्ट्रीय

Masjid Survey

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