Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

Bathroom Vastu Tips : गलत दिशा में टॉयलेट से रुक सकती है तरक्की, जानिए टॉयलेट किस दिशा में बनवाएं?

Vastu Tips for Bathroom : एस्ट्रो अरुण पंडित के अनुसार, शौचालय को वास्तु में ऊर्जा निस्सारक क्षेत्र माना गया है। घर में टॉयलेट उत्तर, पूर्व या उत्तर-पूर्व दिशा में नहीं बनवाना चाहिए क्योंकि यह तरक्की और स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकता है।

2 min read
Google source verification

भारत

image

Manoj Vashisth

Nov 03, 2025

Vastu Tips for Bathroom

Vastu Tips for Bathroom : वास्तु शास्त्र अनुसार बाथरूम की सही दिशा (फोटो सोर्स: AI image@chatgpt)

Bathroom Vastu Tips : आपका बाथरूम टॉयलेट किस डायरेक्शन होना चाहिए। एस्ट्रो अरुण पंडित ने अपने यूट्यूब पॉडकास्ट में बताया की वास्तु शास्त्र में टॉयलेट को एनर्जी प्लस करने वाला सिस्टम माना जाता है। प्लस करने से उस जॉन की एनर्जी खत्म हो जाती है इसलिए बाथरूम टॉयलेट नॉर्थ ईस्ट ईस्ट जैसी डायरेक्शन में कभी भी नहीं होना चाहिए। यह आपके घर की साउथ या फिर साउथ वेस्ट की डायरेक्शन में हो सकता है।

Bathroom Vastu Tips : शौचालय घर का वो हिस्सा होता है जहां पर नकारात्मक ऊर्जा जल्दी जमा हो जाती है, इसलिए ये घर की सकारात्मक ऊर्जा को कम कर सकता है। इसलिए, यह सलाह दी जाती है कि शौचालय कभी भी उत्तर, पूर्व या उत्तर-पूर्व दिशा में नहीं बनवाना चाहिए। इसके बजाय, शौचालयों का सबसे उपयुक्त स्थान घर के दक्षिण या दक्षिण-पश्चिम दिशा में होता है ताकि रहने की जगह में सकारात्मक ऊर्जा और सामंजस्य का प्रवाह बना रहे।

  • वास्तु शास्त्र में शौचालयों को ऊर्जा-निस्सारक क्षेत्र माना जाता है।
  • शौचालयों को कभी भी उत्तर, पूर्व या उत्तर-पूर्व दिशा में नहीं रखना चाहिए।
  • शौचालय का आदर्श स्थान घर के दक्षिण या दक्षिण-पश्चिम दिशा में होता है।
  • शौचालय का उचित स्थान घर में सकारात्मक ऊर्जा को संरक्षित और बढ़ाने में मदद करता है।

ऊर्जा निस्सारक के रूप में शौचालय: वास्तु शास्त्र के अनुसार, शौचालयों को घर की सकारात्मक ऊर्जा को बाहर निकालने या नष्ट करने वाला स्थान माना जाता है। यह दृष्टिकोण महत्वपूर्ण है क्योंकि यह घर के समग्र ऊर्जा संतुलन पर अनुचित स्थान के नकारात्मक प्रभाव को उजागर करता है। इसे समझने से घर के मालिकों को अपने घर की ऊर्जा की सुरक्षा के लिए उचित स्थान को प्राथमिकता देने में मदद मिलती है।

उत्तर, पूर्व और उत्तर-पूर्व दिशाओं से बचें: एस्ट्रो अरुण पंडित ने इस बात पर जोर दिया गया है कि शौचालय कभी भी उत्तर, पूर्व या उत्तर-पूर्व दिशाओं में नहीं रखना चाहिए। वास्तु शास्त्र में ये दिशाएं आमतौर पर सकारात्मक और शुभ ऊर्जाओं से जुड़ी होती हैं। इन दिशाओं में शौचालय रखने से लाभकारी ऊर्जा अवरुद्ध या नष्ट हो सकती है, जिससे निवासियों के लिए स्वास्थ्य, वित्तीय या संबंधों संबंधी समस्याएं पैदा हो सकती हैं।

दक्षिण और दक्षिण-पश्चिम दिशाएं सबसे अच्छी: शौचालय के लिए दक्षिण या दक्षिण-पश्चिम दिशा सबसे ठीक मानी जाती है, क्योंकि ये दिशाएं ऊर्जा के हिसाब से थोड़ी कम असर वाली होती हैं। इन जगहों पर टॉयलेट बनाने से घर की गंदगी या नकारात्मक ऊर्जा बाकी हिस्सों तक नहीं पहुँचती और उसका बुरा असर कम हो जाता है।

घरों में दिशात्मक संतुलन का महत्व: यह सलाह वास्तु के एक व्यापक सिद्धांत को दर्शाती है कि घर के भीतर दिशात्मक संतुलन उसके निवासियों के भाग्य को गहराई से प्रभावित करता है। दिशाओं के अनुसार कमरे के कार्यों को समायोजित करके, निवासी सकारात्मक प्रभावों को प्रोत्साहित कर सकते हैं और नकारात्मक प्रभावों को कम कर सकते हैं।