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पद्मविभूषण पंडित छन्नूलाल मिश्र नहीं रहे, पीएम मोदी के भी रहे थे प्रस्तावक, बनारस में उमड़ेगा जनसैलाब

RIP Chhannulal Mishra: पद्मविभूषण से सम्मानित बनारस घराने के दिग्गज शास्त्रीय गायक पंडित छन्नूलाल मिश्र का 89 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। उनका अंतिम संस्कार वाराणसी में किया जाएगा।

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पद्मविभूषण पंडित छन्नूलाल मिश्र नहीं रहे - पत्रिका फाइल फोटो।

Pandit Chhannulal Mishra Passes Away: उत्तर प्रदेश के वाराणसी से दुखद समाचार सामने आया है। बनारस घराने के महान शास्त्रीय गायक और पद्मविभूषण से सम्मानित पंडित छन्नूलाल मिश्र का 89 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। जानकारी के मुताबिक उन्होंने गुरुवार सुबह 4:15 बजे अंतिम सांस ली। लंबे समय से वे बीमार चल रहे थे।

बनारस में होगा अंतिम संस्कार

परिवार ने बताया कि पंडित छन्नूलाल मिश्र का पार्थिव शरीर गुरुवार सुबह वाराणसी लाया जाएगा। दिन में उनके अंतिम दर्शन किए जा सकेंगे और शाम 7 बजे बनारस में उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा। इस अवसर पर उनके चाहने वालों और संगीत प्रेमियों की भारी भीड़ उमड़ने की संभावना है।

बीएचयू में हुआ था इलाज

बेटी नम्रता ने बताया कि सितंबर में चेस्ट संबंधी परेशानी के कारण उन्हें मिर्जापुर से वाराणसी के बीएचयू अस्पताल में भर्ती कराया गया था। वहां उन्हें माइनर हार्ट अटैक आया और जांच में चेस्ट इंफेक्शन और खून की कमी पाई गई। कुछ दिनों के इलाज के बाद तबीयत में सुधार होने पर उन्हें डिस्चार्ज कर दिया गया था।

नम्रता ने आगे बताया कि मिश्र जी का हीमोग्लोबिन लेवल काफी कम था और त्वचा संबंधी समस्याएं भी बनी हुई थीं। मां विंध्यवासिनी मेडिकल कॉलेज मिर्जापुर के प्राचार्य डॉ. संजीव कुमार के नेतृत्व में विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम उनकी देखभाल कर रही थी। इसके बाद उन्हें ओझलापुल स्थित रामकृष्ण सेवा मिशन चिकित्सालय में भी भर्ती कराया गया, लेकिन हालत में सुधार नहीं हो सका।

आजमगढ़ से बनारस तक का सफर

पंडित छन्नूलाल मिश्र का जन्म 3 अगस्त 1936 को उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जिले के हरिहरपुर गांव में हुआ था। उन्होंने अपनी संगीत यात्रा बनारस से शुरू की और यहीं उनकी पहचान बनी। ख्याल और ठुमरी गायन में वे निपुण थे और बनारस घराने की परंपरा को नई ऊंचाइयों तक ले गए।

पीएम मोदी के प्रस्तावक भी रहे

पंडित छन्नूलाल मिश्र का राजनीतिक संबंध भी खास रहा। वर्ष 2014 में वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रस्तावक बने थे। संगीत के क्षेत्र में योगदान के लिए भारत सरकार ने उन्हें वर्ष 2020 में पद्मविभूषण सम्मान से नवाजा था। उनके निधन से संगीत जगत और सांस्कृतिक धरोहर को अपूरणीय क्षति हुई है।