सोशल मीडिया के बाद अब पीएम मोदी को मारने की साजिश वाली खबरें मीडिया में भी प्रकाशित होने लगी हैं। इन खबरों में दावा किया गया है कि अमेरिका की सीआईए ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हत्या की साजिश रची थी। लेकिन भारत और रूस की खुफिया एजेंसियों ने मिलकर इस साजिश को नाकाम कर दिया। आइए, इस वीडियो में आज जानते हैं कि इस दावे की पूरी कहानी क्या है? और क्या वाकई इसमें कोई सच्चाई है?
सबसे पहले बात करते हैं, अमेरिकी स्पेशल फोर्सेस के एक अधिकारी टेरेन्स जैक्सन की मौत की। दरअसल 31 अगस्त 2025 को बांग्लादेश की राजधानी ढाका में एक होटल के कमरे में उनका शव मिला था। आधिकारिक तौर पर कहा गया कि वे बांग्लादेशी सेना को ट्रेनिंग देने आए थे। लेकिन रिपोर्ट के मुताबिक, यह सिर्फ बहाना था। असल में, जैक्सन सीआईए के लिए काम कर रहे थे और पीएम मोदी की हत्या की योजना बना रहे थे। लेकिन उनकी रहस्यमयी मौत ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। वायरल खबरों में इसे शायद हादसा नहीं, बल्कि भारत-रूस की जासूसी कार्रवाई का नतीजा बताया जा रहा है।
अब साजिश के प्लान के बारे में जानें, तो रिपोर्ट कहती है कि पश्चिमी देश, भारत की बढ़ती ताकत से खुश नहीें हैं ऐसे में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को निशाना बनाया गया। इसकी कई वजहें मानी जा रही हैं। पहली भारत रूस से तेल खरीदता है, अमेरिकी दबाव को नजरअंदाज करता है और अपनी विदेश नीति खुद चलाता है। अमेरिका को लगता है कि पीएम मोदी की सरकार अपनी मनमानी कर रही है। इसलिए, उनकी हत्या का प्लान बनाया गया।
अब बात करें भारत-रूस की दोस्ती की। तो इसी साल सितंबर में चीन के तियानजिन शहर में हुए शंघाई सहयोग शिखर सम्मेलन में पीएम मोदी और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच कार में 45 मिनट तक एक प्राइवेट मीटिंग हुई। रिपोर्ट्स का दावा है कि इसी मीटिंग में दोनों ने सीआईए की साजिश पर चर्चा की और तुरंत एक्शन लेने का प्लान बनाया। जैक्सन की मौत और प्लान फेल हो जाना इसी का नतीजा बताया जा रहा है। इस बैठक के बाद, 2 सितंबर को दिल्ली में सेमिकॉन समिट में पीएम मोदी ने एक मजाकिया अंदाज में कहा था कि, “क्या आप चीन जाने पर ताली बजा रहे हो या वापस लौटने पर?” रिपोर्ट इसे कोडेड मैसेज बताती है – मतलब, वे खतरे से बचकर लौटे थे। इससे अफवाहें और तेज हो गईं।
आपको बता दें कि बांग्लादेश के ढाका में एक अमेरीकी ऑफिसर की मौत वाली पूरी तरह सच है। जैक्सन की मौत के बाद बिना किसी पोस्टमार्टम के उसे अमेरीकी दूतावास को सौंप दिया गया था। जिससे दावों की सच्चाई को और बल मिल गया। ऐसे में कुल मिलाकर, यह खबर अमेरिका की साजूसी को भारत के खिलाफ बताती है। लेकिन ध्यान देने वाली बात ये है कि, इसमें कोई ठोस सबूत नहीं दिए गए इसलिए इसे महज अंदाज और समय का संयोग माना जा रहा है। खास बात यह भी है कि हाल के वर्षों में बांग्लादेश, नेपाल जैसे देशों में अमेरिका की कथित दखलअंदाजी भी सामने आई है, जिससे साजिश के दावे और मजबूत हुए हैं। ऐसे खतरों के बीच भारत एक मजबूत देश बनकर उभरा है, जो ऐसे खतरे झेल सकता है। हालांकि सोशल मीडिया और समाचारों चैनलों में अलग-अलग दावे किए जा रहें हैं लेकिन इसमें कितनी सच्चाई है यह अभी तक स्पष्ट नहीं है। अभी ये सिर्फ अटकलें ही लगती हैं।