संसद का मानसून सत्र हंगामे की भेंट चढ़ता दिख रहा है. 21 जुलाई से शुरू हुआ यह सत्र 21 अगस्त तक चलेगा, लेकिन विपक्ष के विरोध और गतिरोध के कारण सदन का कामकाज पटरी से उतर गया है. लोकसभा और राज्यसभा की कार्यवाही जैसे ही शुरू हुई, विपक्ष दलों के सांसद बिहार में चुनाव आयोग के चलाए जा रहे SIR अभियान की मांग को लेकर नारेबाजी करने लगे. संसद भवन परिसर में केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF) की तैनाती को लेकर राज्यसभा में जमकर हंगामा हुआ. विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे ने इस मुद्दे पर तीखी आपत्ति जताते हुए कहा कि संसद में लोकतांत्रिक विरोध को दबाने के लिए सुरक्षा बलों का ऐसा प्रयोग ‘अत्यंत आपत्तिजनक’ है और यह लोकतंत्र के मूल्यों के खिलाफ है. राज्यसभा में बोलते हुए खड़गे ने कहा, ‘आपका धन्यवाद कि आपने मुझे कई बातें बताईं. लेकिन हम लोकतांत्रिक तरीके से विरोध करेंगे. विरोध करना हमारा अधिकार है. इसे दबाने के लिए अगर CISF या कोई अर्धसैनिक बल बुलाया गया है, तो यह अत्यंत आपत्तिजनक है और हम इसकी निंदा करते हैं.’ राज्यसभा में सीआईएसएफ की तैनाती पर विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे और उपसभापति हरिवंश के बीच बहस के बाद पक्ष के नेता जेपी नड्डा ने अपनी बात रखी है. इस दौरान जेपी नड्डा ने कहा, ‘आप (विपक्ष) सदन को चलने नहीं देते हैं, ये तरीका अलोकतांत्रिक है. मुझे 40 वर्षों तक विपक्ष में रहने का अनुभव, इस पर आप (विपक्ष) मुझसे ट्यूशन ले सकते हैं.’