मंगलवार को दोपहर में बाल संप्रेषण गृह के अधीक्षक कक्ष में ही अरोरा को ट्रैप किया है। महिला ज्योति पाल से चार हजार रुपए लेकर अरोरा ने अपने कक्ष की अलमारी में रखे ही थे की लोकायुक्त ने उसे पकड़ लिया। पुलिस लाइन के सामने पीडब्ल्यूडी के रेस्ट हाउस में लाकर अरोरा के हाथ धुलवाए गए। रिश्वत के रुपयों से उसके हाथ लाल हो गए थे। करीब एक घंटे तक कार्रवाई की गई। कार्रवाई को लेकर निरीक्षक आशुतोष मिठास ने बताया कि आरोपी अरोरा पर भ्रष्टाचार निवारण की धारा 7 के अंतर्गत प्रकरण पंजीबद्ध किया गया है।
रंगे हाथ ट्रैप हुए अधीक्षक अरोरा का खंडवा से विशेष मोह रहा। यहां महिला बाल विकास विभाग में पोषण आहार निरीक्षक के पद पर रहे। इसके बाद प्रभारी परियोजना अधिकारी पद पर और फिर परियोजना अधिकारी के पद पर भी पदस्थ रहा। ट्रांसफर होने के बाद इसे निरस्त करवाकर खंडवा में जमा रहा। वर्ष 2013 में भी शिकायत के चलते हटाया गया था, कुछ समय बाद वापस खंडवा आ गया। भोपाल, इंदौर और खंडवा में प्लाट, मकान, जमीन ले रखने की भी चर्चा है।
दो साल पहले भी लिए थे दो हजार रुपए महीना
ग्राम रतागढ़ निवासी ज्योति पाल ने बताया की मैं बाल संप्रेषण गृह में चार साल से खाना बनाने का काम करती हुं। मुझसे दो हजार रुपए महीना रिश्वत ले रहे थे। अभी दो माह जून व जुलाई का वेतन मिलना था। दो साल पहले भी बाल संप्रेषण गृह में अधीक्षक पद पर अरोरा पदस्थ थे, तब मुझे 9 हजार रुपए वेतन मिलता था, जिसमें से दो हजार रुपए अरोरा ले लेते थे। दो साल बाद वे फिर से ट्रांसफर करवाकर वापस आ गए। बाबुओं से पूछा की महिला की सैलेरी कितनी हो गई है, तब उन्हें बताया कि अब 12 हजार रुपए महीना कर दिया है। इस पर भी उन्हें आपत्ति थी कहा था कि इतनी सैलेरी कैसे बढ़ गई। मेरा दो माह जून व जुलाई को वेतन रुका हुआ है। इसके लिए अरोरा ने चार हजार रुपए की रिश्वत मांगी थी। जिसकी शिकायत उसने इंदौर लोकायुक्त पुलिस को कर दी।
इस कार्रवाई में यह हुए शामिल
कार्रवाई को निरीक्षक आशुतोष मिठास, निरीक्षक प्रतिभा तोमर, आरक्षक विजय कुमार, कमलेश परिहार, आशीष नायडू, चेतन सिंह परिहार, कमलेश तिवारी और शेरसिंह ठाकुर ने अंजाम दिया।