चार माह से आशा कार्यकर्ताओं और पर्यवेक्षकों को मानदेय का भुगतान नहीं हुआ है। सोमवार को आक्रोशित आशा कार्यकर्ताओं ने मप्र आशा/आशा सहयोगिनी संघ के बैनर तले रैली निकालकर अपना आक्रोश जताया। आशा कार्यकर्ताओं ने सीएम के नाम ज्ञापन सौंप अपनी मांगें पूरी करने का निवेदन किया। साथ ही आगामी 17 नवंबर को हल्ला बोल के तहत एनएचएम के सामने व्यापक प्रदर्शन की चेतावनी भी दी।
संघ जिला अध्यक्ष पुष्पा निमोले ने बताया कि रक्षाबंधन, नवरात्र, दशहरा, दिवाली जैसे महत्वपूर्ण पर्वों पर भी आशाओं को उनके मानदेय का भुगतान नहीं किया गया। जबकि दीपावली से पूर्व हर विभाग में मजदूरों और कर्मचारियों का स बकाया राशियों का भुगतान किया जाता है और त्योहार अलाउंस भी दिया जाता। आशा एवं पर्यवेक्षक दिन-रात क करती है, लेकिन उनके भुगतान के संबंध में विभाग कभी भी गंभीर नहीं रहता। आशा पर्यवेक्षक बिना तनखाह पर सिर्फ मानदेय के आधार पर कार्य करती है। प्रदेश में लाड़ली बहनों का तो ख्याल रखा जा रहा है, लेकिन हमारी ओर कोई ध्यान नहीं दे रहा है। आशा कार्यकर्ताओं, पर्यवेक्षकों ने सिटी मजिस्ट्रेट बजरंग बहादुर को ज्ञापन सौंप आंदोलन की चेतावनी दी।
यह है प्रमुख मांगें
-आशा एवं पर्यवेक्षक के प्रोत्साहन राशि के सभी बकाया राशियों का तुरंत भुगतान किया जाए।
-केंद्र सरकार द्वारा बढ़ाई गई 1500 रुपए की राशि का एरियर सहित तुरंत भुगतान किया जाए।
-वेतन प्रोत्साहन राशि का माह की 5 तारीख तक नियमित रूप से भुगतान सुनिश्चित किया जाए।
-आशा एवं पर्यवेक्षकों को किए जाने वाले वेतन भुगतान की स्लिप दी जाए।
-29 जुलाई 2023 को वार्षिक वृद्धि की राशि 1000 का एरियर सहित भुगतान किया जाए।
-विभागीय कार्य के दौरान दुर्घटना में घायल आशा एवं पर्यवेक्षक को 5 लाख रुपए तथा मृत्यु की दशा में परिवार को 10 लाख रुपए की राशि दी जाए।
-किसी भी शिकायत पर आशा एवं पर्यवेक्षक के कार्यशैली की समीक्षा एवं निष्पक्षता से जांच कर दोषी पाए जाने की स्थिति में ही कार्य मुक्त किया जाए।
-सभी डिलेवरी प्वाइंट पर आशा रेस्ट रूम की व्यवस्था की जाए।
-आशा कल्याणकारी योजना के तहत शिक्षा के लिए दी जाने वाली निर्धारित प्रोत्साहन राशि का तुरंत भुगतान किया जाए।
-प्रतिवर्ष विभाग की और से आशा दिवस/आशा सम्मेलन आयोजित किया जाए।