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Nagaur patrika…तन, मन और धन की शुद्धि के साथ-साथ जीवन की शुद्धि अति आवश्यक…VIDEO

नागौर. श्वेतांबर स्थानकवासी जयमल जैन श्रावक संघ की ओर से रविवार को जयमल जैन पौषधशाला में चातुर्मास में चल रहे प्रवचन में जैन समणी सुयशनिधि ने जीवन की शुद्धि के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि जीवन में केवल तन, मन और धन की शुद्धि ही महत्वपूर्ण नहीं, बल्कि समग्र जीवन की शुद्धि आवश्यक […]

नागौर. श्वेतांबर स्थानकवासी जयमल जैन श्रावक संघ की ओर से रविवार को जयमल जैन पौषधशाला में चातुर्मास में चल रहे प्रवचन में जैन समणी सुयशनिधि ने जीवन की शुद्धि के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि जीवन में केवल तन, मन और धन की शुद्धि ही महत्वपूर्ण नहीं, बल्कि समग्र जीवन की शुद्धि आवश्यक है। तन की शुद्धि से हमारा शरीर स्वस्थ रहता है। मन की शुद्धि से विचार निर्मल होते हैं और धन की शुद्धि से उसका सदुपयोग होता है, परंतु यदि जीवन की शुद्धि नहीं हुई, तो यह तीनों शुद्धियां अधूरी रह जाती हैं। उन्होंने जीवन की शुद्धि को आचार-विचार, व्यवहार और उद्देश्य को सत्य, अहिंसा और करुणा के मार्ग पर स्थापित करना बताया। इसके लिए उन्होंने भगवान महावीर स्वामी के जीवन से प्रेरणा लेने की सलाह दी। जिन्होंने 24 तीर्थंकरों में सबसे अलग और पूर्ण रूप से शुद्ध जीवन जिया। जैन समणी सुगमनिधि ने कहा कि विनय हृदय की गहराई में घटित आंतरिक परिणति है। जो तब प्रकट होती है, जब हमारा अभिमान गलने लगता है। उन्होंने कहा कि तन को सुखाना तप नहीं है, बल्कि मान को गलाना वास्तविक तप है। जो व्यक्ति झुकता है वही रह पाता है। इसके विपरीत जो अकड़ता है वह अंतत: उखड़ जाता है। सुगमनिधि ने विनम्रता की महत्ता बताते हुए कहा कि जैसे नदी का पानी अपनी नमी से चारों ओर जीवन देता है, वैसे ही विनम्रता का भाव समाज में शांति और सद्भाव फैलाता है। उन्होंने गर्व को मन का कठोर बोझ बताते हुए कहा कि विनय को हृदय को कोमल, सहज एवं ग्रहणशील बनाने वाला होता है। इस दौरान ज्ञानचंद माली ने भजनों की प्रस्तुतियां दी।

विजेता हुए पुरस्कृत
गत रविवार को हुई प्रतियोगिता के परिणाम में प्रथम मनीषा सुराणा, द्वितीय दीक्षा चौरडिय़ा व तृतीय पुष्पा ललवानी रहीं। इन्हें पुरस्कृत किया गया। प्रवचन की प्रभावना का लाभ उर्मिलादेवी, गौतमचंद खींवसरा को मिला। संघ मंत्री हरकचंद ललवानी ने बताया कि प्रवचन में पूछे गए प्रश्नों के सही उत्तर जागृति चौरडिय़ा व पुष्पा ललवानी ने दिए। इन्हें सुरेशचंद, महेश कुमार कोठारी परिवार के सौजन्य से सिल्वर मेडल देकर सम्मानित किया गया। दोपहर को सुशील धरम आराधना भवन में रविवारीय ज्ञान-ध्यान शिविर का आयोजन हुआ। इसमें “मेरा साथी कौन प्रतियोगिता का भी आयोजन किया गया। इस दौरान महावीरचंद भूरट, प्रकाशचंद बोहरा, पूनमचंद बैद, मूलचंद ललवानी आदि श्रावक-श्राविकाएं मौजूद थे।