नागौर. नई सफाई व्यवस्था के लागू होने तक शहर शायद यूं ही कचरे के ढेर पर रहेगा…! सार्वजनिक मार्गों, खुले मैदानों के साथ ही सडक़ों के दोनो किनारों पर लगते कचरे का ढेर यही बताता नजर आ रहा है। हालांकि आयुक्त ने सफाई कर्मियों के साथ हुई बैठक में स्पष्ट कर दिया था कि वह कार्यों की जांच आफिस में बैठकर नहीं, बल्कि बाहर निकलकर करते हैं। उस समय लोगों को उम्मीद बंधी कि शायद अब पूरे शहर में सफाई व्यवस्था में न केवल सुधार आएगा, बल्कि शहर चमचमाएगा। शहरवासियों का कहना है कि लगभग एक माह होने के बाद भी हालात नहीं बदले। स्थिति यह है कि अलसुबह मार्निंग वॉक के दौरान भी यह गंदगी के खड़े पहाड़ों की दुर्गन्ध परेशान करती रहती है।
शहर की सफाई व्यवस्था पटरी से उतर चुकी है। कई जगहों पर कचरों के ढेर के साथ नालियों के किनारे के लग रहे गंदगी के पहाड़ों ने स्थिति विकट कर दी है। यह स्थिति केवल नालियों एवं नालों की ही नहीं, बल्कि रिहायसी क्षेत्र के कई मार्गों की है। शहर के गली-मोहल्लों में सडक़ों पर लगे कचरे व गंदगी के ढेर से स्थिति बिगडऩे लगी है। स्थिति यह है कि शहर में नया दरवाजा के अंदर यहां से कांकरिया विद्यालय की ओर जाने वाले रास्ते पर कई जगह बिखरा हुआ कचरा नजर आ जाता है। इसी तरह से कलक्ट्रेट से रेन बसेरा के निकट से जड़ा तालाब की ओर जाने वाले मार्ग पर तो कई जगह बिखरे कचरे के पहाड़ के कारण यह अघोषित कचरा डिपो के तौर नजर आने लगा है। सफाई व्यवस्था की स्थिति अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि नगरपरिषद से महज सौ मीटर की दूरी पर रेलवे स्टेशन रोड पर कचरा के लगे अंबार पर आवारा पशु कभी भी गंदगी में भोजन की तलाश करते हुए देखे जा सकते हैं। इसके साथ ही किले की ढाल, बाठडियों का चौक, मच्छियों का चौक आदि रास्तों पर बिखरे कचरे भी खुद-ब-खुद सफाई व्यवस्था की कड़वी सच्चाई दिखाते हुए नजर आते हैं।
कोतवाली के पीछे भी लगा दिया ढेर
शहर के बीकानेर रोड स्थित रेलवे लाइन पार कोतवाली थाने के बगल से गुजरे रास्ते की ओर जाने पर चार से पांच जगहों पर कचरे के बड़े-बड़े ढेर लगा दिए गए हैं। इस कचरे को यहां पर भटकते पशुओं की ओर से बिखरा दिया जाता है। यहां पर सुबह लोग टहलने के लिए निकलते हैं तो सामने पड़े कचरे के ढेर से निकलती दुर्गन्ध परेशान करने लगती है।
तालाब किनारे डाला जा रहा कचरा
प्रतापसागर तालाब के पास विभिन्न प्रकार की गंदगियों का ढेर पिछले काफी समय से लगा हुआ है। तालाब के बगल में पक्षियों को दाना डालने की जगह को नहीं बख्शा गया। यहां पर भी कचरा का ढेर लगने के कारण इस पूरे क्षेत्र में दुर्गन्ध का वातावरण बना रहता है। यह स्थिति तब है, जबकि नगरपरिषद ने यहां तालाब के पास एक पूरा पार्क बना रखा है। ऐसे में यहां पर सुबह व शाम आने वालों को बेहद मुश्किल स्थिति का सामना करना पड़ रहा है।
इधर, उधर फेका जा रहा
शहर के प्रमुख स्थलों पर बड़े डस्टबीन बाक्स तो रखे गए हैं, लेकिन इसके बाद भी कचरा डस्टबीन में न डालकर इधर, उधर फेका जा रहा है। यह नजारा शहर के सोनीबाड़ी में नजर आया। यहां डस्टबीन तो रखा गया है, मगर इसके बाद भी डस्टबीन के आसपास काफी मात्रा में कचरे का ढेर लगा हुआ है। इसी तरह से कुम्हारी दरवाजा के पास भी डस्टबीन का बड़ा बाक्स रखा हुआ है, मगर कचरे के ढेर इसके आसपास लगे हुए हैं। इसकी वजह से आसपास के क्षेत्र भी प्रभावित हो रहे है।
एक नजर इस पर भी
सफाई व्यवस्था के संसाधनों पर एक नजर
कुल सफाई कर्मियों की संख्या-387
ठेके पर लिए गए सफाई कर्मी-120
नगरपरिषद के सफाई कर्मी-267
कुल आटो टिप्पर-58
कुल ट्रेक्टर-3
गाडिय़ां कब आती हैं, पता ही नहीं चलता
शहर में कचरा संग्रहण के लिए नगरपरिषद की ओर से आने वाली गाडिय़ां रिहायशी क्षेत्रों में कब आती हैं, और चली जाती हैं। इसका लोगों को पता ही नहीं चलता है। कचरे के अंबार लगे रहने के बाद भी नगरपरिषद की कचरा संग्रहण की गाडिय़ां कागजी आंकड़ों में तेजी से दौड़ रही हैं। गंदगी की वजह से लोगों में अब असंतोष के स्वर मुखर होने लगे हैं।
इनका कहना है…
सफाई व्यवस्था केा व्यवस्थित करने के लिए आवश्यक कदम उठाए गए हैं। कई जगहों पर बड़े डस्टबीन बाक्स भी रखे गए। इसके साथ ही कुछ दिनों पूर्व ही स्वच्छता अभियान चलाकर लोगों को जगाने का प्रयास किया गया। इसके बाद लोग कचरा खुद ही इधर, उधर डालकर गंदगी कर रहे हैं तो गलत है। इस संबंध में सफाई निरीक्षकों को आवश्यक दिशा-निर्देश दिए जा चुके हैं।
गोविंद सिंह भींचर, आयुक्त, नगरपरिषद नागौर