
मुस्लिम देशों में शक्तिपीठ (File Photo)
भारत में मां भगवती के शक्तिपीठों की महिमा से कोई अनजान नहीं है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि न केवल भारत, बल्कि कई मुस्लिम देशों में भी मां भगवती के शक्तिपीठ स्थापित हैं? ये पवित्र स्थल मां दुर्गा की महाशक्ति के प्रतीक हैं और इनका धार्मिक व ऐतिहासिक महत्व अद्वितीय है। आइए, जानते हैं उन मुस्लिम देशों में स्थित मां भगवती के शक्तिपीठों के नाम और उनकी महत्ता।
हिंदू धर्म में मां भगवती के 51 शक्तिपीठों का विशेष महत्व है, जहां मां सती के शरीर के विभिन्न अंग गिरे थे। पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से मां सती के शरीर को 51 टुकड़ों में काटा, तब ये अंग भारतीय उपमहाद्वीप के विभिन्न स्थानों पर गिरे और वहां शक्तिपीठों की स्थापना हुई।
कालमाधव काली और शोण शक्तिपीठ, अमरकंटक, मध्यप्रदेश
यहां मां सती का बायां और दायां नितंब गिरा था। नर्मदा नदी के उद्गम स्थल के पास स्थित ये शक्तिपीठ शांति और मोक्ष के लिए प्रसिद्ध हैं। मध्यप्रदेश पर्यटन विभाग द्वारा संरक्षित। प्राकृतिक सौंदर्य, नर्मदा का बहाव और जलप्रपात इसे और आकर्षक बनाते हैं। लाखों श्रद्धालु सालाना दर्शन के लिए पहुंचते हैं।
नैना देवी, बिलासपुर, हिमाचल प्रदेश
मां सती की दोनों आंखें यहां गिरी थीं। हिमालय की गोद में बसा यह शक्तिपीठ दुख निवारण और मनोकामना पूर्ति के लिए जाना जाता है। श्रावण मास में विशाल मेले का आयोजन। रोपवे सुविधा से दर्शन सुगम। साल भर में लाखों भक्त पहुंचते हैं।
कामाक्षी, कांचीपुरम, तमिलनाडु
मां सती का नाभि भाग यहां गिरा था। प्रेम, विवाह सुख और मनोकामना पूर्ति के लिए श्रद्धालु देशभर से आते हैं। आदि शंकराचार्य द्वारा स्थापित इस पीठ पर भव्य मंदिर है। ब्रह्मोत्सव में लाखों भक्तों का जमावड़ा रहता है।
कामाख्या, गुवाहाटी, असम
नीलांचल पर्वत पर स्थित इस शक्तिपीठ में मां सती का योनि भाग गिरा था। तंत्र साधना, उर्वरता और शक्ति के लिए पूजी जाने वाली कामाख्या पूर्वोत्तर भारत का प्रमुख तीर्थ है। कामाख्या में अंबुबाची मेला विश्व प्रसिद्ध है। लाखों भक्त और तांत्रिक यहां दर्शन के लिए आते हैं।
अंबाजी, बनासकांठा, गुजरात
मां सती का हृदय यहां गिरा था। करुणा और सुख-समृद्धि की कामना के साथ श्रद्धालु देवी अंबाजी की पूजा करते हैं। अभी यहां भव्य मंदिर के साथ यह मंदिर करोड़ों हिंदुओं की आस्था का केंद्र है।
बांग्लादेश में 7 शक्तिपीठ हैं, जो हिंगुला नदी के किनारे या अन्य पवित्र स्थानों पर बसे हैं। यहां मां के विभिन्न अंग गिरने की मान्यता है।
| क्रमांक | शक्तिपीठ का नाम | स्थान (जिला) | माता सती का अंग जो गिरा | 
|---|---|---|---|
| 1 | धाकेश्वरी शक्तिपीठ | ढाका | गर्भ (Uterus) | 
| 2 | सुगंधा शक्तिपीठ | बारिसाल | नाक (Nose) | 
| 3 | जयंती शक्तिपीठ | सिलहट (जैनतापुर) | बायां नितंब (Left Thigh) | 
| 4 | भवानीश्वरी शक्तिपीठ | बोगरा (शेरपुर) | बायां पैर (Left Leg) | 
| 5 | चंद्रनाथ शक्तिपीठ | चटगांव (सीताकुंडा) | दायां पैर (Right Foot) | 
| 6 | जशोरेस्वरी शक्तिपीठ | झाशोर/सतखिरा | दायां हथेली (Right Palm) | 
| 7 | कराटोया शक्तिपीठ | शेरपुर (भवानीपुर) | बायां कान (Left Ear) | 
ये शक्तिपीठ बांग्लादेश की हिंदू समुदाय के लिए प्रमुख तीर्थ हैं, और भारत से कई भक्त सीमा पार कर दर्शन करते हैं।
पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में स्थित हिंगलाज शक्तिपीठ हिंदू धर्म का एक प्रमुख तीर्थ है। यहां मां सती का सिर गिरा था, जिसके कारण इसे 'नानी का ढाकरा' भी कहा जाता है। यह शक्तिपीठ इतना प्रसिद्ध है कि पाकिस्तान सरकार इसे धार्मिक पर्यटन के रूप में प्रचारित करती है। इसके अलावा, पाकिस्तान में शारदा पीठ (पुंछ जिला, कश्मीर क्षेत्र) को भी कभी-कभी शक्तिपीठ से जोड़ा जाता है, हालांकि यह मुख्य रूप से ज्ञानपीठ के रूप में जाना जाता है।
बागमती नदी तट पर पशुपतिनाथ के निकट यह शक्तिपीठ मां सती के घुटनों के पतन स्थल के रूप में पूजा जाता है। गुप्त साधना और तंत्र के लिए विशेष महत्व रखता है। नवरात्रि में लाखों भक्त दर्शन के लिए पहुंचते हैं। पशुपतिनाथ मंदिर की निकटता इसे और खास बनाती है।
Published on:
23 Sept 2025 02:53 pm
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