Recycled fiber industries in trouble
देशभर में सरकार जीएसटी दरों में कमी का जश्न मना रही, लेकिन टेक्सटाइल सिटी भीलवाड़ा के लिए राहत अधूरी साबित हुई है। सरकार ने यार्न व कपड़े पर जीएसटी घटाकर पांच प्रतिशत कर दी जबकि रीसाइकल फायबर के कच्चे माल पर 18 प्रतिशत जीएसटी यथावत रखा है। इससे रीसाइकलिंग से फायबर बनाने वाले उद्योगों के सामने अस्तित्व का संकट खड़ा हो गया है।
प्लास्टिक कचरे से बना रहे फाइबर
भीलवाड़ा में कई सालों से पर्यावरण सुधार के उद्देश्य से ऐसे उद्योग संचालित हैं जो देशभर से एकत्र प्लास्टिक की बोतलों को रीसाइकिल कर फायबर बना रहे। यही फायबर आगे धागे में बदलकर कपड़ों और घरेलू सजावटी उत्पादों जैसे कुशन, तकिए और नॉन-वूवन फैब्रिक के लिए उपयोग हो रहा है। नवाचार से प्लास्टिक कचरे की समस्या भी कम हो रही थी और पर्यावरण को राहत मिल रही थी। टेक्सटाइल मंत्री ने भीलवाडा़ दौरे के दौरान कंचन इंडिया के प्लांट का निरीक्षण किया था। प्लास्टिक वेस्ट का उपयोग करने व पर्यावरण को बचाने के लिए उठाए कदम की सराहना की थी।
भीलवाड़ा की दो प्रमुख इकाइयां
भीलवड़ा जिले में रीसाइकिल फायबर से पॉलिएस्टर यार्न तैयार करने का काम दो बड़ी इकाइयां कर रही हैं। इनमें कंचन इंडिय लिमिटेड रायला व अजमेर रोड लॉबियां कला स्थित एमिनेंट डीलर्स प्राइवेट लिमिटेड शामिल है। इसके अलावा आरएसडब्ल्यूएम की भी रींगस ने ऐसी इकाई है। यहीं से पेट यार्न (पॉलीथीन टेरेफ्थेलेट) का उत्पादन किया जा रहा है, जो पानी की बोतलों में उपयोग होने वाले प्लास्टिक से तैयार होता है।
जीएसटी से महंगा होगा उत्पादन
कच्चे माल या पुरानी प्लास्टिक बोतल पर 18 प्रतिशत जीएसटी होने से अब फायबर की कीमतें बढ़ जाएगी। ऐसे में रीसाइकल फायबर बाजार से बाहर हो जाएगा और यार्न उत्पादन भी प्रभावित होगा। इसके अलावा बड़ी मात्रा में कार्यशील पूंजी भी अटक जाएगी। इनवेंड ट्यूटी स्ट्रक्चर में परेशानी आएगी। उद्यमी निलेश बांगड़ का कहना है कि यदि कच्चे माल पर भी जीएसटी दर घटाकर 5 प्रतिशत कर दी जाए तो यह न केवल उद्योगों को राहत देगा बल्कि पर्यावरण संरक्षण की दिशा में बड़ा कदम भी होगा।यह है वर्तमान स्थिति
Published on:
27 Sept 2025 09:01 am
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