(सोर्स: सोशल मीडिया)
MP News:एमपी के भोपाल शहर की खराब ट्रैफिक व्यवस्था, लचर सार्वजनिक परिवहन और हार्ट अटैक के लक्षणों की स्पष्ट पहचान न होने के कारण हार्ट अटैक के 80 प्रतिशत मरीजों को अस्पताल पहुंचने में डेढ़ से दो घंटे लग जाते हैं। अस्पताल में आधे से 45 मिनट बाद उपचार शुरू हो पाता है।
ऐसे में हार्ट अटैक में बचाव का गोल्डेन ऑवर का पीरियड निकल जाता है। इसी तरह हार्ट अटैक के लक्षण दिखने पर महज 10 प्रतिशत लोगों को ही पता है कि अस्पताल पहुंचने से पहले प्राथमिक उपचार के रूप में बचाव के लिए एस्पिरिन, स्टेटिन व बीटा ब्लॉकर जैसी दवाएं ली जानी चाहिए। यह तथ्य हार्ट पेशेंट पर किए गए एक सर्वेक्षण पर सामने आए।
हार्ट अटैक आने पर किन साधनों से अस्पताल पहुंचते हैं। यह पूछने पर 46.4 प्रतिशत लोगों ने बताया कि वे खुद के साधनों से अस्पताल पहुंचते हैं। 31.2 प्रतिशत लोग सार्वजनिक परिवहन के साधनों का इस्तेमाल करते हैं जबकि महज 22.4 प्रतिशत लोग ही एंबुलेंस सेवाओं का लाभ ले पाते हैं। वह इसलिए कि पहले तो एंबुलेंस सेवा का नंबर ही नहीं लगता दूसरे उसके आने में देर होती है।
जीएमसी और जेपी अस्पताल के हृदय चिकित्सा विभाग में करीब 200 उन मरीजों से बातचीत की गयी जो हार्ट डिजीज के चलते अस्पताल आए थे। मरीजों और उनके परिजनों से हृदय रोग से जुड़ी सामान्य जानकारियों और हार्ट अटैक आने या लक्षण दिखने पर जेपी, एस या फिर हमीदिया अस्पताल तक पहुंचने में आने वाली दिक्कतों पर बात हुई।
Published on:
01 Oct 2025 12:34 pm
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