
एमपी में बनेंगी 23 हजार करोड़ की 2 नई बिजली इकाइयां
Power Unit- मध्यप्रदेश में बिजली की खपत लगातार बढ़ रही है। इस मांग की पूर्ति के लिए कई कवायदें की जा रहीं हैं। इसी तारतम्य में प्रदेश में दो नई बिजली इकाइयां स्थापित की जा रहीं हैं। प्रदेश के सतपुड़ा और अमरकंटक ताप विद्युत गृह में नई इकाइयों की स्थापना के लिए मध्यप्रदेश पावर जनरेटिंग ने भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड (बीएचईएल-भेल) के साथ करार किया है। प्रदेश के ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ने बताया कि 23 हजार करोड़ रूपए का यह अनुबंध मध्यप्रदेश की बढ़ती विद्युत आवश्यकताओं को पूर्ण करने के साथ ही राज्य में विद्युत उत्पादन क्षमता को सुदृढ़ करेगा।
मध्यप्रदेश पावर जनरेटिंग कंपनी लिमिटेड ने 660-660 मेगावाट की दो नई ताप विद्युत इकाइयों की स्थापना के लिए भेल से अनुबंध किया है। हस्ताक्षरित अनुबंधों का कुल मूल्य 23 हजार 600 करोड़ रूपए है। ये दो नई बिजली इकाइयां सतपुड़ा ताप विद्युत गृह सारणी और अमरकंटक ताप विद्युत गृह चचाई में स्थापित होंगी।
अधिकारियों के अनुसार दोनों इकाइयां सुपर क्रिटिकल तकनीक से बिजली उत्पादन करेंगी। सतपुड़ा ताप विद्युत गृह और अमरकंटक ताप विद्युत गृह, दोनों ही जगहों पर 660-660 मेगवाट की इकाइयां बनेंगी। नई इकाइयों में जून 2030 से बिजली उत्पादन शुरु करने का लक्ष्य तय किया गया है। दोनों ताप विद्युत इकाइयां अत्याधुनिक, उच्च दक्षता वाली सुपरक्रिटिकल तकनीक पर आधारित रहेंगी।
मध्यप्रदेश पावर जनरेटिंग कंपनी लिमिटेड के वरिष्ठ अधिकारियों ने बताया कि बीएचईएल (भेल) इन इकाइयों का निर्माण करेगा। इकाइयों के लिए बॉयलर, टरबाइन, जनरेटर एवं अन्य महत्वपूर्ण तकनीकी संरचनाओं की आपूर्ति का काम करेगा।
वर्तमान में मध्यप्रदेश पावर जनरेटिंग कंपनी के ताप विद्युत गृहों की कुल उत्पादन क्षमता 4570 मेगावाट है। सारणी व चचाई में 660-660 मेगावाट की इकाइयों की स्थापना के बाद ताप विद्युत उत्पादन क्षमता में 1320 मेगावाट की बढ़ोत्तरी होगी। यह बढ़कर 5890 मेगावाट हो जाएगी। परियोजना पूर्ण होने पर MPPGCL की ताप व जल विद्युत की संयुक्त उत्पादन क्षमता बढ़कर 6812 मेगावाट हो जाएगी।
सतपुड़ा ताप विद्युत गृह सारनी की वर्तमान उत्पादन क्षमता 500 मेगावाट है। यहां 250-250 की दो इकाइयां कार्यशील हैं। वहीं अमरकंटक ताप विद्युत गृह चचाई में 210 मेगावाट की इकाई विद्युत उत्पादन कर रही हैं। नई इकाइयों की स्थापना के पश्चात् सारनी की उत्पादन क्षमता बढ़कर 1160 मेगावाट व चचाई की 870 मेगावाट हो जाएगी।
प्रबंध संचालक मनजीत सिंह ने बीएचईएल की तकनीकी विशेषज्ञता पर विश्वास व्यक्त करते हुए इस अनुबंध को दोनों परियोजनाओं के सफल क्रियान्वयन की दिशा में एक अहम पड़ाव बताया। इससे प्रदेश की विद्युत आपूर्ति व्यवस्था को और अधिक स्थिरता एवं मजबूती मिलेगी।
Updated on:
17 Nov 2025 08:36 pm
Published on:
17 Nov 2025 08:20 pm
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