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दीपावली की तैयारी: पुताई का ट्रेंड बदल रहा, छुई मिट्टी और चूना पीछे, इमल्शन और पेंट्स आगे

इस बार ऑल प्रोटेक्ट शाइन पैट की मांग सबसे अधिक है। यह पेंट धुलाई के बाद खराब नहीं होता और दीवार पर लंबे समय तक चमक बनाए रखता है। इसके अलावा इमल्शन पेंट की बिक्री भी जोर पकड़ी हुई है।

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distemper shop

पेंट डिस्टेंपर शॉप छतरपुर

दीपावली का त्योहार करीब आते ही लोग अपने घरों की पुताई और रंग-रोगन में जुट गए हैं। शहर और आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों में पेंट, डिस्टेंपर और इमल्शन के कारोबार में तेजी देखने को मिल रही है। कारोबारियों के अनुसार इस बार ऑल प्रोटेक्ट शाइन पैट की मांग सबसे अधिक है। यह पेंट धुलाई के बाद खराब नहीं होता और दीवार पर लंबे समय तक चमक बनाए रखता है। इसके अलावा इमल्शन पेंट की बिक्री भी जोर पकड़ी हुई है। पिछले साल के मुकाबले इस बार दामों में स्थिरता होने से ग्राहकों पर अतिरिक्त बोझ नहीं पड़ा है।

मजदूरी और टिकाऊ रंगों की बढ़ती मांग

दुकानदार राजीव बिल्थरे ने बताया कि मजदूरी के बढ़ते खर्च के कारण लोग लंबे समय तक टिकने वाले रंगों को प्राथमिकता दे रहे हैं। अधिकतर लोग लेजर इमल्शन को पसंद कर रहे हैं, जो तीन से चार साल तक चलता है। कुछ घरों में लोग तो दस साल तक पुताई नहीं कराते। शहर में त्योहार के चलते पुताई का कारोबार करीब 6-7 करोड़ का होता है, जो इस साल 10 करोड़ तक पहुंचने का अनुमान है। बीते समय में लोग अधिकतर चूना और डिस्टेंपर से पुताई कराते थे, लेकिन अब ग्रामीण क्षेत्रों में भी इमल्शन की मांग बढ़ गई है।

ग्राहकों को लुभा रही वैरायटी

दुकानों पर पेंट की वैरायटी इस बार ग्राहकों को खास आकर्षित कर रही है। मशीन से मनपसंद रंग तैयार किए जा रहे हैं। फेब्रिक पैट की बिक्री भी जोरों पर है। विक्रेताओं का कहना है कि ग्रामीण क्षेत्रों के लोग भी अब चमकदार पेंट्स को अधिक पसंद कर रहे हैं। इन पेंट्स को दीवार पर लगाने के बाद दीवारों की चिकनाई और चमक लंबे समय तक बनी रहती है। शहर में नवरात्र के बाद से ही रंग और डिस्टेंपर का कारोबार तेज हुआ था और दीपावली तक यह चरम पर पहुंच गया।

दामों में स्थिरता से ग्राहक संतुष्ट

व्यापारी बताते हैं कि इस साल पेंट और डिस्टेंपर के दाम में ज्यादा बदलाव नहीं हुआ। ज्यादातर लोग लाइट, पिंक, येलो और गोल्डन रंगों के साथ-साथ डार्क कलर्स को भी खरीद रहे हैं। ग्राहकों ने ब्रांडेड पेंट्स को प्राथमिकता दी है और अपने बजट के अनुसार रंग का चयन कर रहे हैं।

छुई मिट्टी और चूना की मांग घटी

पारंपरिक रूप से इको फ्रेंडली माने जाने वाली छुई मिट्टी और चूना से पुताई का ट्रेंड अब काफी कम हो गया है। दुकानदार अजय रोहड़ा ने बताया कि पिछले पांच सालों में इन पदार्थों की मांग लगातार घट रही है। कच्चे मकानों की संख्या घटने के कारण लोग अब पक्के मकानों में पेंट से पुताई को ज्यादा पसंद कर रहे हैं। इस तरह इस दीपावली के अवसर पर शहर और ग्रामीण क्षेत्रों में पेंट और इमल्शन का कारोबार नई ऊंचाई पर पहुंचा है। व्यापारियों के अनुसार इस बार रंग-पेंट की बिक्री से जिले में करीब 10 करोड़ रुपए का कारोबार होने की संभावना है।