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Madvi Hidma: 300 जवानों की हत्या और दो दर्जन बड़े नक्सली हमलों का मास्टरमाइंड था हिड़मा, 31 ग्रामीणों को भी जिंदा जलाया… जानें पूरी कहानी

Naxalite Hidma: बस्तर का वह नाम जिसे सुनकर फोर्स से लेकर ग्रामीणों तक सबके दिल में डर बैठ जाता था। 300 से ज्यादा जवानों की हत्या, दो दर्जन बड़े नक्सली हमलों की साजिश और सलवा जुडूम के दौरान 31 निर्दोष ग्रामीणों को जिंदा जलाने जैसे जघन्य अपराधों ने उसे नक्सलियों का सबसे खतरनाक चेहरा बना दिया।

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हिड़मा का खूनी सफर (फोटो सोर्स- पत्रिका)

हिड़मा का खूनी सफर (फोटो सोर्स- पत्रिका)

Madvi Hidma: बस्तर का सबसे खतरनाक नक्सली बताए जाने वाला हिड़मा मंगलवार सुबह आंध्रप्रदेश में ढेर कर दिया गया। उसके मारे जाने के साथ नक्सलियों के पोस्टर ब्वॉय का अंत हो गया। अब नक्सलियों का रणनीतिक रूप से सब कुछ बिखर चुका है। हिड़मा को बड़ा और खूंखार नक्सलियों ने ही बनाया। यह उनके साइकोलॉजिकल वॉर का हिस्सा था। हर बड़े हमले का नेतृत्व उसे सौंपा गया। हमलों में वह फील्ड पर रहता और अपनी बटालियन को लीड करता।

साल 2010 के बाद ज्यादातर घटनाओं में वह सीधे शामिल रहा। जंगल में बड़े लीडर रणनीति बनाते और हिड़मा बाहर उसे अंजाम देता। गुरिल्ला वॉर में वह और उसकी बटालियन लगातार मजबूत होती गई। ताड़मेटला, झीरम और टेकलुगड़ेम जैसी बड़ी वारदातों को उसने लीड किया। हिड़मा दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी के सेक्रेटरी रहे रमन्ना को अपना गुरु मानता था। बताया जाता है कि रमन्ना ही उसे नक्सल संगठन में लेकर आया था।

बीते 25 साल में सबसे ज्यादा खून बहाया

हिड़मा ने बीते 25 साल में सबसे ज्यादा खून बहाया। उसका खूनी रिकार्ड बताता है कि उसने दो दर्जन से ज्यादा बड़े हमलों का सीधे नेतृत्व किया। फील्ड में एके-47 के साथ वह जवानों पर हमला किया करता था। हर बड़ी घटना की एफआईआर में उसका नाम अब भी लिखा हुआ है।

हिड़मा का खूनी रेकॉर्ड

  • 1981 में हिड़मा का पूर्वर्ती में जन्म।
  • 90 के अंत में नक्सल संगठन से जुड़ा।
  • 2000 में हथियार फैक्ट्री से जुड़ा।
  • 2007 में उपल मेटा में हिड़मा के नेतृत्व में हमला, 24 जवान शहीद।
  • 2008 -09 में पहली बार हिड़मा बटालियन नंबर 1 का कमांडर बना।
  • 2011 में दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी सदस्य बना।
  • 2013 में झीरम घाटी कांड का मास्टरमाइंड कहलाया।
  • 2022 में सेंट्रल कमेटी मेंबर बनाया गया।

इतना बर्बर कि 31 ग्रामीणों को जिंदा जला दिया

हिड़मा की बर्बता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि सलवा जुडूम के दौर में उसने 2006 में एर्राबोर में 31 ग्रामीणों को राहत शिविर में जिंदा जला डाला था। उसके इसी दुर्दांत रूप को देखकर संगठन ने उसे 2008 से 2009 के बीच बटालियन का कमांडर बनाया। सलवा जूडम के दौर में उसने खूब खून बहाया। उसक बाद बटालियन की कमान मिलते ही उसने जवानों को टारगेट करना शुरू किया और लगभग 300 जवानों की हत्या का मास्टरमाइंड वही था।

थ्री लेयर की सिक्योरिटी में चलने वाला 5 नक्सलियों के साथ मारा गया

हिड़मा थ्री लेयर की सिक्योरिटी में चला करता था लेकिन जब उसका अंत हुआ तो उसके साथ उसकी पत्नी और चार अन्य नक्सली ही थे। बटालियन से सिर्फ उसका पर्सनल गार्ड देवे था। बाकी तीन अन्य नक्सली थे। संगठन कितनी बुरी तरह से बिखर चुका है उसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि अब बड़े लीडर्स के पास उनकी तय सिक्योरिटी भी नहीं बची है। वे बेहद छोटे ग्रुप में जंगल में छिप रहे हैं। जल्द ही इसी तरह से और बड़ी खबरें आ सकती हैं।

रमन्ना ने पूवर्ती से निकाल देश का सबसे बड़ा नक्सली बनाया

हिड़मा नक्सलियों की सेंट्रल कमेटी का मेंबर बनने वाला इकलौता आदिवासी था। बस्तर से इस ओहदे पर पहुंचने वाला वह अकेला नक्सली था। बताया जाता है कि 90 के दशक में जब पूवर्ती में डीकेएसजेडसी सेक्रेटरी रमन्ना सक्रिय था। तब उसने हिड़मा को गांव में ही 14 साल की उम्र में बाल संघम के रूप में तैयार किया। रमन्ना ने ही हिड़मा को बसव राजू से मिलवाया और फिर वह बसवा राजू समेत सभी बड़े लीडर्स का भरोसमंद बनता गया। बसव राजू ने ही उसे पीएलजीए बटालियन का जिम्मा सौंपा।

बसवा राजू से लिट्टे के गुर सीखे और अभेद एंबुश का मास्टर बन गया

हिड़मा को बटालियन की जिमेदारी सौंपे जाने से पहले उसे बसवा राजू से खास ट्रेनिंग मिली। उसने लिट्टे की गुरिल्ला तकनीक को समझा और ऐसा समझा कि वह समूचे छत्तीसगढ़ में एंबुश का मास्टर बन गया। अभेद एंबुश के लिए उसे जाना जाता रहा। उसने ही यू और वी शेप के एंबुश से सबसे ज्यादा फोर्स को नुकसान पहुंचाया। उसने इसी तरह के एंबुश का उपयोग कर ताड़मेटला और टेकलगुड़ेम जैसे हमलों को अंजाम दिया।