
जोजरी, बांडी और लूणी नदियों को लेकर सुप्रीम कोर्ट सख्त (फोटो- पत्रिका)
Jojri River: जयपुर: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को राजस्थान सरकार को कड़ी फटकार लगाते हुए कहा कि जोजरी, बांडी और लूणी नदियों में कई दशकों से जारी औद्योगिक प्रदूषण को रोकने में सरकार बुरी तरह नाकाम रही है। कोर्ट ने कहा कि जोधपुर, पाली और बालोतरा के करीब 20 लाख लोग अब भी दूषित पानी की समस्या झेल रहे हैं। जबकि सालों से निगरानी और कानूनी कार्रवाई चल रही है।
बता दें कि सात नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान सरकार से स्पष्ट किया था कि क्या वह NGT के 25 फरवरी 2022 के उस आदेश के खिलाफ अपनी अपीलें वापस लेगा, जिसमें रीको (RIICO) और जोधपुर, पाली व बालोतरा की नगर निकायों पर 2-2 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया गया था। यह जुर्माना बिना ट्रीटमेंट वाला औद्योगिक कचरा रोकने में नाकामी की वजह से लगा था।
कोर्ट ने राज्य सरकार से तीनों नदियों जोजरी, लूणी और बांडी की वर्तमान प्रदूषण स्थिति पर विस्तृत रिपोर्ट मांगी और सभी विभागों से यह बताने को कहा कि वे NGT के फैसले पर अब क्या रुख रखते हैं।
जस्टिस विक्रमनाथ और जस्टिस संदीप मेहता की बेंच ने राजस्थान की रिपोर्ट तो दर्ज कर ली, लेकिन जमीन पर हालात देखकर नाराजगी जताई। अदालत ने कहा कि सरकारी आंकड़ों में जो दिखाया जा रहा है, असल परेशानी उससे कहीं ज्यादा गंभीर है। कई सालों से नियम, निगरानी और आश्वासन के बावजूद पानी की गुणवत्ता लगातार बिगड़ती जा रही है, जो बड़े स्तर पर नाकामी दिखाता है।
कोर्ट ने खासतौर पर कॉमन एफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट्स (CETP) की खराब स्थिति पर चिंता जताई और कहा कि कई उद्योग इन प्लांट्स को बाइपास कर सीधे गंदा पानी नदी में डाल रहे हैं। अदालत ने टिप्पणी की कि "सभी CETP को नजरअंदाज कर दिया गया है और गंदा पानी सीधे नदी में छोड़ा जा रहा है तो फिर नगर निकायों को जुर्माने से राहत क्यों दें?"
राज्य की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता शिवमंगल शर्मा ने कहा कि राजस्थान अब NGT के सभी निर्देशों का पूरा पालन करने का फैसला कर चुका है। उन्होंने कोर्ट से अनुरोध किया कि RIICO और नगर निकायों पर लगाए गए जुर्माने को फिलहाल रोक दिया जाए, ताकि नई कार्रवाई का मूल्यांकन हो सके। सुप्रीम कोर्ट इस मामले में फैसला 21 नवंबर को सुनाएगा।
Updated on:
20 Nov 2025 11:14 am
Published on:
20 Nov 2025 11:11 am
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