Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

Corruption: सात समाज कल्याण अधिकारियों पर गिरी गाज, करोड़ों की रिकवरी और पेंशन कटौती के आदेश जारी

UP Social Welfare Department Corruption Case: समाज कल्याण विभाग में वर्षों से लंबित भ्रष्टाचार के मामलों पर आखिरकार बड़ी कार्रवाई हुई है। विस्तृत जांच के बाद मंत्री असीम अरुण ने सात अधिकारियों के खिलाफ सख्त कदम उठाए हैं। चार को बर्खास्त किया गया, जबकि तीन सेवानिवृत्त अधिकारियों की पेंशन में कटौती और करोड़ों की रिकवरी के आदेश जारी किए गए हैं।

3 min read
Google source verification

लखनऊ

image

Ritesh Singh

Nov 09, 2025

समाज कल्याण विभाग में बड़ी कार्रवाई (फोटो सोर्स : Whatsapp Group)

समाज कल्याण विभाग में बड़ी कार्रवाई (फोटो सोर्स : Whatsapp Group)

Corruption Case: प्रदेश के समाज कल्याण विभाग में भ्रष्टाचार से जुड़े लंबित मामलों की जांच आखिरकार निर्णायक मोड़ पर पहुंच गई है। समाज कल्याण मंत्री असीम अरुण ने विभाग में हुए वित्तीय अनियमितताओं और छात्रवृत्ति तथा शुल्क प्रतिपूर्ति से जुड़े घोटालों की जांच रिपोर्टें सामने आने के बाद सात अधिकारियों पर कड़ी कार्रवाई की है। इनमें चार अधिकारियों को सेवा से बर्खास्त किया गया है, जबकि तीन सेवानिवृत्त अधिकारियों की पेंशन में कटौती और करोड़ों की रिकवरी के आदेश दिए गए हैं।

यह कार्रवाई ऐसे समय में हुई है जब सरकार लगातार छात्रवृत्ति व्यवस्था को पारदर्शी बनाने और गरीब छात्रों तक योजनाओं का लाभ सुनिश्चित करने की दिशा में काम कर रही है। वर्षों से लंबित पड़े मामलों में हुई कार्रवाई यह संकेत देती है कि विभाग अब सख्त रुख अपनाने के मूड में है।

लंबे समय से लंबित जांच ने खोले अनियमितताओं के पन्ने

समाज कल्याण मंत्री असीम अरुण ने बताया कि इन सात अधिकारियों के खिलाफ लापरवाही, वित्तीय अनियमितता, छात्रवृत्ति वितरण में भ्रष्टाचार, काल्पनिक लाभार्थियों को भुगतान, फंड डायवर्ट करने और दस्तावेजों में हेराफेरी जैसे गंभीर आरोप थे। कई मामले 5 से 10 साल पुराने थे, जिन्हें लंबे समय तक किसी न किसी स्तर पर रोका जाता रहा। मंत्री ने विभागीय टीमों द्वारा तैयार विस्तृत जांच रिपोर्टों की समीक्षा करने के बाद सख्त कार्रवाई को मंजूरी दी। मंत्री ने कहा कि विभाग में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए ऐसी कार्रवाई आवश्यक है, ताकि भविष्य में कोई अधिकारी गरीब छात्रों के अधिकारों के साथ खिलवाड़ न कर सके।

बर्खास्त हुए अधिकारी और उनके खिलाफ आरोप

जांच के बाद सबसे कठोर कार्रवाई चार अधिकारियों की बर्खास्तगी के रूप में सामने आई। इनमें से कई पर करोड़ों रुपये की अनियमितता के आरोप साबित हुए।

1. मीना श्रीवास्तव, तत्कालीन जिला समाज कल्याण अधिकारी, श्रावस्ती
मीना श्रीवास्तव पर छात्रवृत्ति और शुल्क प्रतिपूर्ति से जुड़े गंभीर वित्तीय अनियमितताओं के आरोप थे। जांच में प्रमाणित होने पर उन्हें सेवा से बर्खास्त कर दिया गया।

2. करुणेश त्रिपाठी, तत्कालीन जिला समाज कल्याण अधिकारी, मथुरा
त्रिपाठी पर सबसे बड़ी वित्तीय अनियमितता का आरोप लगा है। जांच में 19.25 करोड़ रुपये की गबन या गलत भुगतान की पुष्टि हुई। उन्हें बर्खास्त करने के साथ-साथ इतनी बड़ी रकम की रिकवरी का आदेश भी दिया गया है। यह हाल के वर्षों में समाज कल्याण विभाग की किसी कार्रवाई में सबसे बड़ी रिकवरी में से एक है।

3. संजय कुमार व्यास, तत्कालीन जिला समाज कल्याण अधिकारी, हापुड़
व्यास पर भी छात्रवृत्ति वितरण में भारी अनियमितताओं का आरोप लगा था। उनसे 3.3 करोड़ रुपये की रिकवरी के साथ-साथ सेवा से बर्खास्तगी का आदेश दिया गया।

4. राजेश कुमार, तत्कालीन जिला समाज कल्याण अधिकारी, शाहजहांपुर
राजेश कुमार की जांच में 2.52 करोड़ रुपये की वित्तीय गड़बड़ी सामने आई। उन्हें भी तत्काल प्रभाव से बर्खास्त कर दिया गया है। इन बर्खास्त अधिकारियों पर कार्रवाई यह दर्शाती है कि विभाग अब हर स्तर पर जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए कठोर कदम उठा रहा है।

सेवानिवृत्त अधिकारियों पर भी गिरी कार्रवाई की गाज

जिन अधिकारियों ने नौकरी से सेवानिवृत्ति ले ली थी, उन्हें भी बख्शा नहीं गया। तीन अधिकारियों पर विभाग ने पेंशन कटौती और वित्तीय रिकवरी के आदेश जारी किए हैं। सरकारी सेवा नियमों के अनुसार सेवानिवृत्ति के बाद भी अधिकारी सेवाकाल के दौरान किए गए वित्तीय अपराधों के लिए जवाबदेह होते हैं।

1. श्री भगवान, पूर्व जिला समाज कल्याण अधिकारी, औरैया
इनकी पेंशन में 10 प्रतिशत जीवन भर कटौती का आदेश जारी किया गया है।

2. विनोद शंकर तिवारी, पूर्व जिला समाज कल्याण अधिकारी, मथुरा
इनसे 1.96 करोड़ रुपये की रिकवरी होगी। छात्रवृत्ति वितरण में अनियमितता प्रमुख कारण बताया गया है।

3. उमाशंकर शर्मा, पूर्व जिला समाज कल्याण अधिकारी
इनकी पेंशन में 50 प्रतिशत कटौती का आदेश दिया गया है, जो काफी कठोर कार्रवाई मानी जाती है।

छात्रवृत्ति और शुल्क प्रतिपूर्ति घोटाला

समाज कल्याण विभाग के माध्यम से लाखों छात्रों को हर वर्ष छात्रवृत्ति और शुल्क प्रतिपूर्ति दी जाती है। विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत से कई जिलों में फर्जी छात्रों के नाम पर भुगतान किए जाने, निजी संस्थानों के साथ सांठगांठ कर रकम निकालने, और वास्तविक छात्रों तक राशि न पहुंचने जैसी शिकायतें लगातार आती रही थीं।

यूपी सरकार ने पिछले कुछ वर्षों में ऑनलाइन वेरिफिकेशन, आधार लिंकिंग और संस्थान आधारित सत्यापन जैसे कदम उठाए हैं। इसके बावजूद पुराने मामलों की जांच में बड़े पैमाने पर अनियमितताएं सामने आईं। सरकार ने बताया कि मेधावी और गरीब छात्रों के हकों की रक्षा के लिए भ्रष्टाचार के इन मामलों पर कार्रवाई एक संदेश है कि किसी भी स्तर पर लापरवाही या बेईमानी बर्दाश्त नहीं की जाएगी।

विभाग में सुधारों की दिशा

समाज कल्याण मंत्री ने बताया कि विभाग में सिस्टम को पारदर्शी और जिम्मेदार बनाने के लिए कई नए कदम उठाए गए हैं। इनमें डिजिटल रिकॉर्डिंग, थर्ड पार्टी ऑडिट, फंड रिलीज की कड़ी मॉनिटरिंग और जिलेवार रिव्यू शामिल हैं।साथ ही एक विशेष निगरानी सेल भी सक्रिय की जा रही है, जो छात्रवृत्ति घोटाले जैसे मामलों की नियमित निगरानी करेगी।