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लखनऊ: यूपी का एक कार्यालय इस समय चर्चा का केंद्र बना हुआ है। यहां साहब तो हैं लेकिन सुनने वाला कोई नहीं। अब साहब करें तो क्या करें। किसको आदेश दें किसे मेल चलाएं…कैसे काम कराएं, इसका कुछ अता-पता नहीं है। हम बात कर रहे हैं यूपी के जिला होम्योपैथिक अधिकारी कार्यालयों की।
यूपी के पूरे 75 जिलों में होम्योपैथिक अधिकारियों की नियुक्ति तो कर दी गई है। लेकिन, इन कार्यालयों में अब तक किसी कर्मचारी की नियुक्ति नहीं की गई। यहां तक की अगर कोई कार्यालय में आ जाए तो उसे चाय-पानी पूछने वाला भी कोई नहीं है। बाबू और कर्मचारियों की तो आप बात ही छोड़िए।
अब प्रदेश स्तर से 75 जिलों में बने इन डीएचएमओ में ई-ऑफिस व्यवस्था शुरू करने का फरमान जारी हो चुका है। लेकिन, इस फरमान को अमलीजामा कैसे पहनाया जाए, इसके बारें में कोई बात नहीं हो रही है। इसका संशय अभी तक बना हुआ है। इसे लेकर प्रांतीय होम्योपैथी चिकित्सा सेवा संघ की तरफ से प्रमुख सचिव और शासन को ज्ञापन सौंपा गया है।
75 जिलों के इन कार्यालयों में जिला होम्योपैथी चिकित्सा अधिकारी तो शासन द्वारा तैनात कर दिए गए हैं, लेकिन लिपिक, कंप्यूटर ऑपरेटर, लेखाकार, पटल सहायक और चपरासी जैसे आवश्यक पदों पर अब तक कोई भर्ती नहीं हुई है। लगभग दो वर्ष पूर्व विभाग की प्रमुख सचिव लीना जौहरी ने इन पदों को सृजित करने का प्रस्ताव भेजा था, मगर उनके तबादले के बाद यह फाइल कागजों की धूल में दब गई।
प्रांतीय होम्योपैथी चिकित्सा सेवा संघ के अनुसार, इन समस्याओं को ध्यान में रखते हुए हाल ही में 75 में से 50 जिलों में लिपिकों को अस्थायी रूप से जोड़ने का निर्देश जारी किया गया। इनमें से मात्र 28 ने पदभार संभाला, लेकिन बाद में कई ने अपनी संबद्धता समाप्त कर मूल विभाग में वापसी कर ली। जानकारी के अनुसार, उत्तर प्रदेश के लगभग 45 जिलों की स्थिति इतनी खराब है कि वहां बुनियादी पत्राचार भी करना चुनौतीपूर्ण हो गया है।
होम्योपैथी निदेशालय के निदेशक पीके सिंह ने बताया कि जिला होम्योपैथी चिकित्सा अधिकारी कार्यालयों में पदों का सृजन करने की कार्यवाही शासन स्तर पर चल रही है। पहले ही प्रस्ताव भेजा जा चुका है। इस बीच सीएमएस कार्यालयों से बाबुओं को संबद्ध किया गया है। दिक्कत जल्द दूर होगी।
Published on:
16 Nov 2025 05:40 pm
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