
शहरी क्षेत्रों के सीमावर्ती एवं आसपास के स्थानों पर दो से तीन सालों में अनजान लोगों की बसी बस्ती
पुलिस टीम गठित कर जल्द ही इनकी कराई जाएगी जांच
नागौर. शहर के बाहरी हिस्सों में इन दिनों चुपचाप एक नई बस्ती बस रही है। दिन में मजदूरी करने वाले और रात में झोपड़ी खड़ी करते अनजान लोग लगातार बढ़ते जा रहे हैं। न किसी को जानकारी, और ही न किसी ने पहचान पूछी है। इतना ही नहीं ऐसी बस्तियों के पास रहने वाले लोग भी इन्हें नहीं जानते हैं। यह आते हैं, और जहां भी जगह मिली, एक तंबू गाड़ा रहने लग गए। हालात यह हो गए हैं कि खत्रीपुरा विद्यालय एवं आसपास के क्षेत्रों के साथ ही राष्ट्रीय राजमार्गों के किनारों की खाली जमीनों पर इनका पूरी तरह से कब्जा होता जा रहा है। इसमें विशेष बात यह है कि बाहर से आने वाले यह लोग राजमार्गों के पास ही अपना आशियाना बना रहे हैं। शहरवासियों का कहना है कि ऐसे लोगों की जांच होनी चाहिए। ताकि सुरक्षा की स्थिति बनी रह सके, नहीं तो फिर मुश्किल हो जाएगी। इधर पुलिस अधिकारियों का कहना है कि जल्द ही अब जांच अभियान चलाया जाएगा। इसमें इनकी पूरी वेरीफिकेशन कराई जाएगी। इसके लिए विशेष टीम का गठन कर काम किया जाएगा। ताकि यह पता चल सके कि यह वास्तव में यह लोग देश के ही किसी हिस्से के रहने वाले हैं या फिर कहीं और से आएं हैं…!
कौन हैं ये लोग..? शहर के बाहरी इलाकों में धीरे-धीरे बसने लगी अनजान भीड़
नागौर शहर की परिधि में पिछले कुछ महीनों से रोज़ नए चेहरे दिखाई दे रहे हैं। बताया जा रहा है कि इनमें से कुछ लोग दूसरे जिलों या राज्यों से आकर यहाँ बसने लगे हैं। लेकिन इनकी कोई आधिकारिक जानकारी न नगर परिषद के पास है, न ही पुलिस थाने में पंजीयन हुआ है। कई लोगों ने अस्थायी झोपडिय़ाँ बनाकर वहीं रहना शुरू कर दिया है। स्थानीय निवासियों का कहना है कि यह भीड़ कब आई, कब बस गई — किसी को पता ही नहीं चला।
ना कोई रिकॉर्ड, ना पहचान ... पुलिस और नगर परिषद के पास नहीं कोई पंजीयन जानकारी
जबकि नियम के अनुसार किसी नए समूह या बस्ती के बसने पर प्रशासन को सूचित किया जाना चाहिए, ताकि सुरक्षा और सुविधा की जांच हो सके। लेकिन नागौर में ऐसा कोई सर्वे या रजिस्ट्रेशन अब तक नहीं हुआ है। नगर परिषद के एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि हमारे पास इस नई बस्ती का कोई रिकॉर्ड नहीं है, न ही किसी विभाग ने इसकी सूचना दी है। इस जवाब ने ही सवाल और गहरे कर दिए हैं। आखिर प्रशासन की निगाह इस बढ़ती आबादी पर क्यों नहीं है…?
बिना जांच के झोपडिय़ाँ खड़ी: अब तक नहीं हुआ वेरीफीकेशन
शहर की सुरक्षा के लिहाज से यह स्थिति चिंताजनक है। अनजान लोगों की बिना वेरिफिकेशन बसावट न केवल सामाजिक असंतुलन पैदा कर सकती है, बल्कि कानून-व्यवस्था के लिए भी चुनौती बन सकती है। क्षेत्र के कुछ लोगों ने बताया कि कई बार रात में झोपडिय़ों में हलचल रहती है, पर किसी ने अब तक पूछताछ की हिम्मत नहीं की। प्रशासनिक अमला भी अब तक वहां नहीं पहुंचा है। सवाल उठता है कि क्या किसी अनहोनी के बाद ही जांच होगी?
स्थानीयों में डर और सवाल: कहाँ से आए, किस मकसद से रह रहे हैं, कोई जवाब नहीं..!
इलाके के निवासियों में असमंजस और भय का माहौल है। लोग खुलकर बोलने से हिचक रहे हैं, लेकिन अंदर ही अंदर चिंता गहराती जा रही है। च्च्यहाँ पहले कभी बाहरी लोग नहीं बसे थे। अब हर हफ्ते झोपडिय़ाँ बढ़ रही हैं। कोई पहचान पूछने जाए तो उल्टा जवाब मिलता है,ज्ज् एक स्थानीय बुजुर्ग ने कहा। लोगों का कहना है कि यदि प्रशासन जल्द कार्रवाई नहीं करता, तो यह छोटी बसावट आने वाले दिनों में बड़ी चुनौती बन सकती है।
यह करना चाहिए प्रशासन को
-प्रशासन को अब तत्काल सर्वे और वेरिफिकेशन अभियान शुरू करना चाहिए। हर झोपड़ी में रह रहे व्यक्ति का नाम, पहचान और आने का कारण दर्ज होना जरूरी है। यह सिर्फ कानून-व्यवस्था नहीं, बल्कि सामाजिक सुरक्षा का भी सवाल है। बिना पहचान के बस रही बस्तियाँ नागौर की शांति के लिए नया खतरा बन सकती हैं। अब यह ज़रूरी है कि प्रशासन ज़मीन पर उतरे, न कि सिर्फ फाइलों में मामला दर्ज करे। ताकि शहर की सुरक्षा और सामाजिकता बनी रह सके।
करीब एक माह पूर्व जिला हॉस्पिटल एवं इसके आसपास के लोगों का सर्वे कराया गया था। इनकी भी जांच कराए जाने के लिए अभियान स्तर पर टीम गठित कर वेरीफीकेशन कराए जाने का काम जल्द ही कराया जाएगा।
मृदुल कच्छावा, पुलिस अधीक्षक नागौर
इस संबंध में जल्द ही आवश्यक कदम उठाए जाएंगे। वास्तव में यह बेहद गंभीर है। इनकी जांच कराए जाने काम जल्द ही कराया जाएगा।
अरुण कुमार पुरोहित, जिला कलक्टर नागौर
Published on:
18 Nov 2025 09:40 pm
बड़ी खबरें
View Allनागौर
राजस्थान न्यूज़
ट्रेंडिंग
