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मेड़ता से जीरा सीधे निर्यात, मिडिल चेन खत्म होगी

मेड़ता सिटी. अगर सब कुछ योजना के मुताबिक हुआ, तो मेड़ता सिटी देश में जीरा निर्यात का नया केंद्र बन सकता है। आज तक जहां जीरे का कारोबार ऊंझा मंडी तक सीमित था, वहीं अब सरकार ने मेड़ता से सीधे निर्यात करने की दिशा में कदम बढ़ा दिया है।

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Direct export of cumin from Merta, middle chain will end

देशों में जीरा निर्यात करने की पहल, ऊंझा जैसी सुविधाएं

-तकनीक मुहैया कराने पर जोर, व्यापार बढ़ेगा, किसानों को मिलेंगे वाजिब दाम

मेड़ता सिटी. अगर सब कुछ योजना के मुताबिक हुआ, तो मेड़ता सिटी देश में जीरा निर्यात का नया केंद्र बन सकता है। आज तक जहां जीरे का कारोबार ऊंझा मंडी तक सीमित था, वहीं अब सरकार ने मेड़ता से सीधे निर्यात करने की दिशा में कदम बढ़ा दिया है। इससे न केवल किसानों को उनके उत्पाद का वाजिब मूल्य मिलेगा, बल्कि व्यापारियों के लिए भी नए अवसर खुलेंगे। यह पहल जीरा निर्यात की मिडिल चेन को खत्म करने का एक प्रभावशाली प्रयास है, जो मेड़ता के व्यापार को नई दिशा देगा। इस कदम से, मेड़ता न केवल मसाले का हब बनेगा, बल्कि वैश्विक बाजारों में भी अपनी पहचान बना सकेगा। अब सरकार ने इस परियोजना को जमीन पर उतारने के लिए आवश्यक तकनीक और सुविधाओं पर जोर दिया है।

इसको लेकर कृषि विपणन निदेशालय मसाला प्रकोष्ठ के उपनिदेशक नरेश कुमार यादव मेड़ता पहुंचे। उन्होंने यहां मंडी में व्यापारियों के साथ जीरा निर्यात की संभावनाओं को लेकर चर्चा की। यादव ने बताया कि गुणवत्तापूर्ण जीरा उत्पादन के हब बने मेड़ता से सीधा निर्यात किए जाने को लेकर हमारा प्रयास है। अभी जीरा यहां से ऊंझा जाता है और और वहां से आगे एक्सपोर्ट होता है। हम एक्सपोर्ट की मिडिल लाइन की चेन खत्म करना चाहते हैं। यहां से जीरा निर्यात होने से व्यापार बढ़ेगा और किसान को ज्यादा पैसा मिलेगा। इसको लेकर कौनसी सुविधाएं मेड़ता, जोधपुर में चाहिए। ऐसी कौनसी सुविधाएं, मशीनें है जो ऊंझा, मुंबई में है और उनकी कितनी लागत आएगी। इन सभी बिंदुओं पर व्यापारियों से चर्चा की है। किसान से लेकर जिस देश में जीरा एक्सपोर्ट हो रहा है, हम उस पूरी चेन को स्टडी करना चाह रहे हैं। मसाला फसल को लेकर प्रसिद्ध ऊंझा मंडी में ऐसा क्या खास है जो वो सुविधाएं हम यहां दे सकते हैं। उनको पहचान ने और वो सुविधाएं उपलब्ध करवाने के लिए हम सरकार को अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करेंगे। इस दौरान नागौर मंडी सचिव रघुनाथराम सिंवर, मेड़ता मंडी सचिव यशपाल लटियाल, मंडी व्यापार एवं उद्योग संघ अध्यक्ष हस्तीमल डोसी, उपाध्यक्ष रामअवतार चितलांगिया, सुमेरचंद जैन, मुनाराम अडिग, व्यापारियों ने जीरा निर्यात को लेकर चर्चा की।

निर्यात की अहम कड़ी : एक्सपोर्टर तैयार करें

उपनिदेशक यादव ने कहा कि विदेशों में जीरा निर्यात किए जाने को लेकर यहां एक्सपोर्टर तैयार किए जाए। क्योंकि यहीं निर्यात की सबसे अहम कड़ी है। इसके लिए सरकार से ट्रांसपोर्ट सब्सिडी दी जा सकती है। चाहे एक्सपोर्टर ज्यादा ना हो लेकिन एकबारगी जितने भी निर्यातक तैयार होंगे, हम उनसें एक्सपोर्ट की शुरूआत करेंगे। जिससे चाइना, म्यामार, दुबई और यूराेपीय देशों में जीरा निर्यात हो सके।

स्पाइस मंडी ऐप से किसानों को मिलेगी बेहतर बिक्री सुविधा

इस दौरान उपनिदेशक यादव ने बताया कि सरकार ने स्पाइस मंडी ऐप नाम से प्ले स्टोर पर एक ऐप लॉन्च किया है। इसमें व्यापारी डिमांड डाल सकेंगे कि उनको कितने क्विंटल खरीद करनी है। किसान भी प्रदेश के किसी भी मसाला व्यापारी को अपनी जिंस बेच सकेंगे। उपज बेचने आने से पहले किसान मसाला जिंस की फोटो भी व्यापारी को भेज सकेगा। जिससे व्यापारी उस किसान को उपज के दाम बता सकेंगे। इससे किसानों को अच्छे भाव के साथ बिक्री को लेकर कई विकल्प मिलेंगे। वहीं व्यापारियों की किसानों तक सीधी पहुंच हो जाएगी।

व्यापारियों ने रखे यह सुझाव

व्यापार एवं उद्योग संघ अध्यक्ष डोसी ने जीरा निर्यात को लेकर सुझाव रखते हुए बताया कि राजस्थान में मसालों पर मंडी शुल्क व कृषि कल्याण शुल्क को गुजरात के समकक्ष या उसी से कम किया जाए। प्रोसेसिंग यूनिट के प्रोत्साहन व संवर्धन के लिए ब्याज, ट्रांसपोर्टेशन व बिजली की दरों में छूट दी जाए। यहां के मसालों व गुणवत्ता व उपलब्धता को देश-विदेश में प्रचारित किया जाए। उन्होंने मसालों में ऑर्गेनिक खेती को बढ़ावा देने की सुझाव भी रखा।