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विधानसभा में सवाल लगा तो आठ साल पुराने आदेश याद आए, विभागों में हडक़ंप

राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड तथा कारखानों एवं बॉयलर निरीक्षण विभागों के निरीक्षणों को केंद्रीय निरीक्षण प्रणाली (सीआईएस) को लागू कर संयुक्त रूप से शेड्यूल बना कर करना था संयुक्त निरीक्षण, आदेश 2017 में जारी, पहली बैठक 2025 में- प्रदूषण नियंत्रण को लेकर जिम्मेदारों की लापरवाही उजागर

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राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड

राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड

नागौर. राजस्थान में प्रदूषण नियंत्रण और औद्योगिक निरीक्षणों को पारदर्शी बनाने के लिए वर्ष 2017 में तैयार की गई केंद्रीय निरीक्षण प्रणाली (सीआइएस) आठ साल तक फाइलों में दबे रहने के बाद तब सक्रिय हुई, जब विधानसभा में एक विधायक ने इस संबंध में सवाल लगा दिया। सवाल का जवाब देने के लिए विभागों को पुराने आदेश ढूंढऩे पड़े और हड़बड़ी में अक्टूबर 2025 में पहली बैठक बुलाई गई।

अक्टूबर 2017 में उद्योग आयुक्त कुन्जीलाल मीणा की ओर से श्रम विभाग, राजस्थान प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (आरपीसीबी) तथा फैक्ट्री एवं बॉयलर निरीक्षण विभाग को संयुक्त निरीक्षण शुरू करने के आदेश जारी किए गए थे। व्यापार सुधार कार्य योजना (बीआरएपी)-2017 के तहत सभी निरीक्षणों को एकीकृत कर सिंगल विंडो सिस्टम पर संचालित करना था, लेकिन आठ वर्षों तक इन आदेशों पर कोई अमल नहीं हुआ।

आठ साल बाद हुई पहली समीक्षा बैठक

पाली विधायक भीमराज भाटी ने इस संबंध में सवाल लगाकर जानकारी मांगी तो अधिकारियों ने आनन-फानन में 17 अक्टूबर 2025 को पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के सचिव की अध्यक्षता में पहली समीक्षा बैठक आयोजित की। बैठक में केंद्रीय निरीक्षण प्रणाली की प्रगति और क्रियान्वयन की स्थिति पर विभागों ने विस्तार से चर्चा की। इसके साथ यह भी तय किया गया कि निरीक्षण की रणनीति, रोस्टर सिस्टम तथा आकस्मिक निरीक्षणों की प्रक्रिया पर विस्तृत चर्चा अगली बैठक में होगी।

बैठक में सामने आईं बड़ी खामियां

- विभागों ने उद्योगों के श्रेणीकरण और निरीक्षण के लिए इकाइयों के चयन की प्रक्रिया बताई, पर वास्तविक अनुपालन में कई कमियां सामने आईं।

- एक साथ समन्वित ऑडिट करने के लिए पर्याप्त मानव संसाधन उपलब्ध नहीं है, जिस पर गंभीर चिंता जताई गई।

- श्रम एवं बॉयलर विभाग नियमित निरीक्षण कर रहे हैं, लेकिन आरपीसीबी और विधिक माप विज्ञान विभाग अब तक सीआइएस का हिस्सा ही नहीं बन पाए।

- विधिक माप विज्ञान विभाग ने तकनीकी स्टाफ की कमी को लेकर असमर्थता जताई, जबकि आरपीसीबी ने ट्रैकिंग और रिपोर्टिंग समय सीमा को बड़ी चुनौती बताया।

- यह भी स्पष्ट हुआ कि नमूना परीक्षण में लगने वाले समय के कारण 24 घंटे में निरीक्षण रिपोर्ट देना संभव नहीं है, इसलिए अंतरिम रिपोर्ट देने की व्यवस्था लागू करने का सुझाव दिया गया।

आरपीसीबी को सिस्टम में जोडऩे की कवायद शुरू

आरपीसीबी को ईओडीबी/राज निवेश प्लेटफॉर्म के साथ जोडकऱ 17 श्रेणी उद्योगों के समकालिक निरीक्षण की तैयारी शुरू करने का निर्देश दिया गया है। उद्योग विभाग और बीआईपी को तकनीकी सहयोग सुनिश्चित करने को कहा गया है ताकि सीआइएस प्रणाली को प्रभावी रूप से लागू किया जा सके।