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राजस्थान में दूध उत्पादन में सीकर नंबर 1: जानें किस स्थान पर है जयपुर, नागौर-जोधपुर, पढ़ें जिलेवार खास रिपोर्ट

Rajasthan Milk Production: राजस्थान में दूध उत्पादन में सीकर जिला नंबर 1 पर है। जानिए किस स्थान पर है जयपुर, नागौर और जोधपुर। पढ़ें खास रिपोर्ट-

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Which district is number one in milk production in Rajasthan, Read the special report

Photo- Patrika

Rajasthan Milk Production: कृषि के बाद नागौर जिले की सबसे ज्यादा जनसंख्या पशुपालन व्यवसाय पर निर्भर है। पशुपालन विभाग राजस्थान की ओर से जारी अनुमानित प्रमुख पशु उत्पाद वर्ष 2023-24 की रिपोर्ट के अनुसार नागौर जिले का दुग्ध उत्पादन प्रदेश में 7वें स्थान पर है जो एक मजबूत स्थिति को दर्शाता है।

जिले में विभिन्न नस्लों की गाय-भैंस और बकरियों से कुल 14 लाख 30 हजार 785 टन दूध हर वर्ष उत्पादन किया जा रहा है। रिपोर्ट के अनुसार जिले में दूध उत्पादन में स्वदेशी और गैर-वर्णित (नॉन डिस्क्रिप्ट) नस्लों का बड़ा योगदान है। वहीं सबसे अधिक दूध उत्पादन स्थानीय भैंसों से हो रहा है।

नागौर जिले में पशु वार दूध उत्पादन

पशु वर्गअनुमानित दुधारू पशुऔसत दैनिक उत्पादन (किलोग्राम)वार्षिक उत्पादन (टन)
क्रॉस ब्रीड35,4209.2261,19,600
स्थानीय गाय1,05,6466.7292,60,188
नॉन डिस्क्रिप्ट गाय35,0806.42582,495
स्थानीय भैंस1,98,5698.3546,07,105
नॉन डिस्क्रिप्ट भैंस64,2616.9541,63,563
बकरी5,86,3140.9221,97,834
कुल उत्पादन14,30,785 टन

राजस्थान में दूध उत्पादन

रैंकजिलादूध उत्पादन (टन)
1सीकर34,43,404
2जयपुर23,80,665
3बीकानेर22,40,308
4जोधपुर22,07,670
5बाड़मेर17,24,346
6अलवर16,51,149
7नागौर14,30,785
8अजमेर13,09,540
9उदयपुर12,44,187
10दौसा12,39,290
11भीलवाड़ा11,92,292
12जालोर10,81,570
13झुंझुनूं10,78,064
14भरतपुर9,46,493
15हनुमानगढ़9,04,497
16श्रीगंगानगर8,49,682
17चूरू7,99,750
18जैसलमेर7,51,397
19टोंक7,25,536
20बांसवाड़ा6,64,000
21पाली6,32,587
22धौलपुर6,31,181
23बारां6,21,420
24कोटा6,18,821
25झालावाड़6,09,032
26सवाई माधोपुर6,04,131
27डूंगरपुर6,04,697
28राजसमंद5,70,636
29बूंदी5,20,538
30चित्तौड़गढ़5,05,685
31करौली4,28,339
32प्रतापगढ़2,79,980
33सिरोही2,41,329

भैंसों का दूध उत्पादन सबसे अधिक

बात चाहे नागौर जिले की हो या फिर पूरे प्रदेश की, कुल उत्पादन में सबसे बड़ा हिस्सा स्थानीय भैंसों का है। नागौर जिले में जहां हर वर्ष 6,07,105 टन दूध उत्पादन हो रहा है, वहीं प्रदेश में 96,87,921 टन दूध का उत्पादन स्थानीय भैंसों से हो रहा है। भैंस जिले में पारंपरिक पशुपालन की प्रमुख आधार रही है, जो किसानों की आय में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।

बकरियों का भी बड़ा योगदान

जिले में 5.86 लाख से अधिक बकरियों से साल में लगभग 1,97,834 टन दूध उत्पादन दर्ज किया गया, जो दर्शाता है कि जिले में बकरी पालन भी मज़बूती से बढ़ रहा है। दूध उत्पादन में भी बकरियों का योगदान है।

गायों का संयुक्त उत्पादन 462 हजार टन के पार

रिपोर्ट के अनुसार जिले में क्रॉस ब्रीड, स्वदेशी और नॉन डिस्क्रिप्ट गायों से कुल 4,62 लाख टन दूध उत्पादन हुआ। इनमें क्रॉस ब्रीड गायों का औसत दूध उत्पादन प्रति दिन सबसे अधिक (9.226 किलो) रहा।

उत्पादन बढ़ा तो प्लांट की क्षमता एक लाख लीटर की तैयारी

नागौर जिला मुख्यालय के सरस डेयरी का वर्तमान में जो प्लांट संचालित है, उसकी क्षमता एक लाख लीटर करने की दिशा में काम हो रहा है। डेयरी के मार्केटिंग प्रभारी पवन पारीक ने बताया कि राज्य सरकार की बजट घोषणा के तहत नागौर के प्लांट की स्टोरेज क्षमता एक लाख लीटर करने के लिए टेंडर प्रक्रिया अंतिम चरण में है।

सरकार ने इसके लिए 4 करोड़ रुपए के बजट की घोषणा की थी, जिसके तहत राजस्थान को-ऑपरेटिव डेयरी फेडरेशन से बजट जारी किया जाएगा। प्लांट की क्षमता बढ़ने से जिले में दुग्ध उत्पादों की उपलब्धता बढ़ेगी और पशुपालकों से दूध की खरीद भी ज्यादा की जा सकेगी। गौरतलब है कि वर्तमान में प्लांट की क्षमता 50 हजार लीटर है।

राज्य सरकार की योजनाओं का प्रभाव

पशुपालकों को दिए जा रहे प्रशिक्षण, नस्ल-सुधार कार्यक्रम, चारे की उपलब्धता और पशु स्वास्थ्य सेवाओं ने जिले के उत्पादन को मजबूत बनाया है। नागौर में पशुधन का आधार बढ़ रहा है और किसान परंपरागत खेती के साथ पशुपालन को भी प्रमुख आय स्रोत के रूप में अपना रहे हैं।

  • डाॅ. मूलाराम जांगू, वरिष्ठ पशु चिकित्सा अधिकारी, पशुपालन विभाग, नागौर