Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

अल-फलाह यूनिवर्सिटी ने छात्रों से कैसे ठगे 415 करोड़ रुपये, सामने आई पूरी कहानी

अल-फ़लाह विश्वविद्यालय और उससे जुड़ी संस्थाओं से जुड़े 19 परिसरों की दिन भर चली तलाशी के बाद अहमद सिद्दीकी पर धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत मामला दर्ज किया गया।

2 min read
Google source verification

भारत

image

Ashib Khan

Nov 19, 2025

अल फलाह यूनिवर्सिटी

अल फलाह यूनिवर्सिटी (Photo-IANS)

ईडी ने बताया कि अल-फलाह समूह द्वारा करोड़ों रुपये परिवार से जुड़ी संस्थाओं को हस्तांतरित कर दिए गए। इसके अलावा, निर्माण और खानपान के ठेके चेयरमैन जवाद सिद्दीकी की पत्नी और बच्चों के स्वामित्व वाली कंपनियों को दिए गए। दरअसल, ईडी ने मंगलवार को जवाद सिद्दीकी को गिरफ्तार किया था। सिद्दीकी को 13 दिन की ईडी हिरासत में भेज दिया गया है।

415.10 करोड़ रुपये किए एकत्रित

ANI के मुताबिक, कोर्ट ने कहा कि ईडी ने व्यापक वित्तीय विश्लेषण प्रस्तुत किया है, जिसमें दिखाया गया है कि वित्त वर्ष 2018-19 और 2024-25 के बीच, अल-फलाह संस्थानों ने शिक्षा से संबंधित प्राप्तियों में लगभग 415.10 करोड़ रुपये एकत्र किए है।

ईडी ने तर्क दिया कि ये धनराशि अपराध की आय हैं, क्योंकि इन्हें उस समय एकत्र किया गया था जब विश्वविद्यालय सार्वजनिक रूप से अपनी मान्यता और वैधानिक स्थिति को गलत तरीके से प्रस्तुत कर रहा था।

ईडी ने मामला किया दर्ज

ईडी के अनुसार, यह धन कथित तौर पर धोखाधड़ी, जालसाजी और जाली दस्तावेजों के उपयोग के माध्यम से प्राप्त किया गया था – जो धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत अपराध है।

19 परिसरों की ली तलाशी

बता दें कि अल-फ़लाह विश्वविद्यालय और उससे जुड़ी संस्थाओं से जुड़े कम से कम 19 परिसरों की दिन भर चली तलाशी के बाद अहमद सिद्दीकी पर धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत मामला दर्ज किया गया। इस तलाशी में समूह के प्रमुख लोगों के आवासीय परिसरों की भी तलाशी ली गई।

ईडी ने मंगलवार देर रात कहा, "यह गिरफ्तारी चल रही मनी लॉन्ड्रिंग जांच में अल-फलाह समूह से संबंधित परिसरों पर की गई तलाशी के दौरान एकत्र साक्ष्यों की विस्तृत जांच और विश्लेषण के बाद और अपराध में सिद्दीकी की संलिप्तता स्थापित होने के बाद हुई।"

कई साक्ष्य किए जब्त

छापेमारी के दौरान, एजेंसी ने 48 लाख रुपये से ज़्यादा नकद, कई डिजिटल उपकरण और दस्तावेज़ी साक्ष्य ज़ब्त किए। जांचकर्ताओं ने कई फ़र्ज़ी कंपनियों की भी पहचान की और समूह द्वारा कथित तौर पर किए गए कई उल्लंघनों का खुलासा किया।