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इमरान खान बनाना चाहते थे शशि थरूर को निजी मेहमान, मोदी से कहा था- पठान का बेटा हूं…

Imran Khan News: इमरान खान जिंदा हैं या नहीं? यह सवाल अभी भी अनसुलझा है। किस दौर से होते हुए इमरान इस हाल तक पहुंचे हैं? जानते हैं वह कहानी भी, जब इमरान ने ठुकरा दिया था जनरल जिया का ऑफर, हामिद गुल से मिलाया था हाथ, मुशर्रफ का दिया था खुल कर साथ।

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भारत

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Vijay Kumar Jha

Nov 28, 2025

पीएम मोदी, शशि थरूर, इमरान खान (दाएं से बाएं। फोटो सोर्स: आईएएनएस, डिजाइन: पत्रिका.कॉम)

आज जब इमरान खान के जिंदा होने पर सवाल उठ रहे हैं, तो कई लोग उन्हें अलग-अलग अंदाज में याद कर रहे हैं। इनमें एक भारत के शशि थरूर भी हैं। थरूर पहले राजनयिक हुआ करते थे। उन्हीं दिनों इमरान से उनकी पहली मुलाक़ात हुई थी। तब वह संयुक्त राष्ट्रसंघ में काम करते थे। इमरान की बहन भी उनके साथ काम करती थीं। उन्होंने एक पार्टी दी थी। उसी पार्टी में पहली बार इमरान से थरूर की मुलाक़ात हुई थी।

थरूर ने एनडीटीवी.कॉम पर लिखे अपने एक लेख में इमरान से दो और मुलाकातों का जिक्र किया है। तब तक थरूर नेता बन चुके थे। बता दें कि वह 2009 से तिरुअनंतपुरम से कांग्रेस के सांसद हैं।

इमरान से शशि थरूर की वो तीसरी मुलाकात

इमरान से थरूर की तीसरी मुलाकात सबसे अलग रही। यह 2017 में हुई। पाकिस्तान में। थरूर इसे सबसे यादगार बताते हैं। वह इस्लामाबाद गए भारतीय सांसदों के एक प्रतिनिधिमंडल में शामिल थे। उनके साथ भाजपा की मीनाक्षी लेखी और स्वप्न दासगुप्ता थे। इमरान तब विपक्ष के नेता हुआ करते थे। पाकिस्तान सरकार ने उन्हें थरूर से मिलने के लिए कहा। सरकार ने सुरक्षा कारणों से थरूर को होटल से नहीं निकलने दिया। इमरान खुद होटल आ गए।

इन नेताओं की मुलाक़ात करीब एक घंटा चली। राजनीति की बातें न के बराबर हुईं। इतिहास पर चर्चा हुई। इमरान ने थरूर की किताब ‘एन एरा ऑफ डार्कनेस’ ताजा-ताजा पढ़ी थी। उन्होंने उससे संबंधित खूब सवाल पूछे और थरूर से कहा- आप मेरे मेहमान बन कर दोबारा आइए और इस विषय पर सार्वजनिक कार्यक्रम में बोलिए। इस न्योते पर थरूर पाकिस्तान जा तो नहीं सके, लेकिन यह मुलाक़ात उन पर गहरी छाप छोड़ गई।

इमरान खान ने मोदी से कहा था, पठान का बच्चा हूं

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इमरान खान से फोन पर हुई बातचीत राजस्थान में एक सभा में सार्वजनिक की थी। यह बातचीत तब हुई थी जब इमरान प्रधानमंत्री बने थे और मोदी ने बधाई देने के लिए फोन किया था।

फरवरी 2019 में टोंक की एक सभा में पीएम मोदी ने इस बातचीत के बारे में कहा था, 'लोग उन्हें क्रिकेटर के तौर पर जानते हैं। मैंने उनसे कहा भारत और पाकिस्तान में खूब लड़ाई हो गई। हर लड़ाई में जीत हमारी ही हुई। पाकिस्तान को कुछ हासिल नहीं हुआ। मैंने उनसे कहा कि हम मिल कर गरीबी और निरक्षरता से लड़ते हैं। इस पर उन्होंने कहा- मोदी जी, मैं पठान का बच्चा हूं। सच बोलता और सही करता हूं।'

तीन साल पहले तक पीएम थे इमरान खान

बस सात बरस पुरानी बात है, जब इमरान खान पाकिस्तान के 22वें वजीर-ए-आजम (प्रधानमंत्री) बने थे। कोई पेशेवर और नामचीन क्रिकेटर पहली बार इस ओहदे पर पहुंचा था। वैसे राजनीति में उनकी कोई दिलचस्पी नहीं थी। होती तो बहुत पहले नेता बन चुके होते। 1987 में भारत में टेस्ट सीरीज में अपने देश को बढ़त दिलाने के बाद जनरल जिया उल हक ने उन्हें पाकिस्तान मुस्लिम लीग (पीएमएल) में पद की पेशकश की थी। खान ने इसे ठुकरा दिया। तब उन्होंने क्रिकेट से संन्यास की घोषणा कर दी थी। जनरल जिया नहीं चाहते थे कि वह क्रिकेट से नाता रखें, लेकिन उनका अनुरोध ठुकरा कर इमरान ने क्रिकेट में वापसी की।

इमरान खान ने 13 साल की उम्र से शुरू किया था क्रिकेट खेलना

इमरान शुरू से क्रिकेट के दीवाने थे। 13 साल की उम्र से क्रिकेट खेलना शुरू कर दिया था। परिवार में क्रिकेट का माहौल भी था। ममेरे भाई जावेद बुकरी और माजिद खान के कहने पर वह ऑक्सफोर्ड गए और वहां की क्रिकेट टीम की कप्तानी (1974 में) भी की। अंततः क्रिकेट में भी ऊंचाई पर गए और 1992 में अपनी कप्तानी में देश को विश्व कप दिलाया। इसके दो साल बाद वह एक बार फिर फौजी अफसर के संपर्क में आए।

इमरान ने बनाई पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ

1994 में इमरान ने पूर्व आईएसआई चीफ ले. जनरल हामिद गुल और मुहम्मद अली दुर्रानी के साथ मिल कर एक संस्था बनाई। लेकिन, जिस मकसद से यह संस्था बनाई थी, वह पूरा होता नहीं दिख रहा था। इमरान हामिद गुल की कठपुतली बनते चले जा रहे थे। इसके बाद एक रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल ने खान को राजनीति में आने के लिए प्रेरित किया। इस बीच नवाज खान ने बताया कि उन्होंने काफी पहले इमरान को अपनी पार्टी पीएमएल में शामिल होने की पेशकश की थी और उनके लिए दरवाजे खुले हैं। 1997 में खान ने अपनी पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ बनाई।

इमरान खान की इमेज थी प्लेबॉय वाली

जब खान 40 पार के हुए तो उन्होंने ‘प्लेबॉय’ वाली अपनी इमेज बदलने पर काम शुरू किया। इमरान मियां बशीर नाम के हकीम के पास जाने लगे थे। उनकी ‘प्लेबॉय’ वाली छवि का अंदाज इस बात से लगा सकते हैं कि क्रिस्टोफर स्टैनफोर्ड ने अपनी किताब 'इमरान खान: द क्रिकेटर, द सेलेब्रिटी, द पॉलिटिशियन’ में लिखा है कि इमरान को यूके और ऑस्ट्रेलिया के सभी मशहूर नाइट क्लब्स की जानकारी थी और वह सब में होकर आए थे। उन्हें लड़कियों से घिरा रहना पसंद था।

पीएम की कुर्सी जाते ही बढ़ी मुसीबत

खान ने 1999 में तख़्तापलट के बाद खुल कर परवेज मुशर्रफ का साथ दिया था। 2002 के चुनाव में उनकी पार्टी को सिर्फ एक सीट पर जीत मिली। वह सीट खुद इमरान की थी। 2008 के चुनाव का उन्होंने बहिष्कार किया। 2014 में उनकी पार्टी के ही नेता जावेद हाशमी ने उन पर ‘गैर राजनीतिक ताकतों’ से हाथ मिलाने और सरकार के खिलाफ साजिश करने का आरोप लगाया। लेकिन, उनकी लोकप्रियता बढ़ती गई और इसकी बदौलत 2018 में उनकी पार्टी सत्ता में आई। इमरान प्रधानमंत्री बने। सेना से तकरार जब चरम तक बढ़ गई तो 2022 में वे सत्ता से बाहर हो गए। इसके बाद मुसीबत और बढ़ी। साल भर के भीतर ही उन्हें जेल जाना पड़ा।

इमरान खान ने कीं तीन शादियां

  • इमरान अहमद खान नियाज़ी: जन्म 5 अक्टूबर 1952 को मियांवाली, पंजाब के समृद्ध पख्तून परिवार में। बाद में परिवार लाहौर में बस गया।
  • माता–पिता की सात संतानों में इकलौते बेटे
  • इमरान की तीन शादियां हुईं

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1) पहली पत्नी – जेमिमा गोल्डस्मिथ (1995–2004)
- इस शादी में इमरान के आध्यात्मिक गुरु मियां बशीर का बड़ा रोल।
-1995 में पेरिस में शादी। तब जेमिमा 21 साल की थीं।
- जेमिमा से बेटे सुलेमान और कासिम हैं।
- 2004 में तलाक।
- बच्चे मां के साथ ब्रिटेन में रहते हैं, लेकिन समय–समय पर पाकिस्तान आते हैं।

2) दूसरी शादी रेहम खान से (2015)
-इमरान ने 8 जनवरी 2015 को बनीगाला में एक सादे समारोह में पत्रकार रेहम खान से निकाह किया।
-नौ महीने में शादी टूट गई।
-रेहम ने तलाक के बाद इमरान से जुड़े अपने अनुभवों पर एक किताब लिखी। इसमें इमरान के बारे में कई विवादास्पद बातें लिखीं।

3) तीसरी शादी

- बुशरा बीबी से 2018 में

अब इमरान खान 74वें साल में हैं और ज़िंदगी की सबसे कठिन लड़ाई लड़ रहे हैं।