artificial intelligence
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस अब सिर्फ चर्चा का विषय नहीं रहा, यह हमारी आदत बन चुका है। आज यह हमारी रोजमर्रा की जिंदगी का हिस्सा है—भर्ती से लेकर न्यूज फीड, लोन अप्रूवल से लेकर मेडिकल डायग्नोसिस तक, हर जगह एआइ का असर दिखता है। लेकिन जैसे-जैसे एआइ का दायरा बढ़ा, एक असहज सच्चाई सामने आई, यह इंसानी पक्षपात को न केवल दोहराता है, बल्कि कई बार और भी बढ़ा देता है। एआइ एंड बियोंड के को- फाउंडर जसप्रीत बिंद्रा कहते हैं कि आइटी प्रोफेशनल्स के लिए, जो अभी नौकरी की दुनिया में कदम रख रहे हैं, यह सिर्फ एक दार्शनिक सवाल नहीं बल्कि सवाईवल स्किल्स है। एआइ को समझना, उसे सवालों के घेरे में लेना और उसके साथ नैतिक रूप से काम करना यह तय करेगा कि भविष्य की नौकरी की दौड़ में कौन आगे बढ़ेगा।
कॅरियर की शुरुआत का मतलब सिर्फ तकनीकी स्किल नहीं
आज शुरुआती कॅरियर में सिर्फ टेक्निकल स्किल्स साबित करना ही काफी नहीं है। इस दौर में, जहां एल्गोरिद्म आपके अवसरों और परिणामों को तय कर रहे हैं, वहां नैतिक निर्णय क्षमता और जिम्मेदारी पहले से कहीं ज्यादा अहम हो गई है।
इंसान-विशेष स्किल्स अपनाइए: नैतिकता, सहानुभूति और विवेक
एआइ रिपोर्ट बना सकता है, फैसले सुझा सकता है, लेकिन न्याय, नैतिक सोच और संदर्भ को सही से समझ नहीं पाता। यही वजह है कि कंपनियां ऐसे लोगों को ज्यादा महत्त्व दे रही हैं जो बायस को पहचान सकें, सहानुभूति के साथ फैसले लें और एआइ प्रक्रियाओं में नैतिक स्पष्टता ला सकें। यही मानवीय गुण जेन जेड प्रोफेशनल्स को अलग पहचान दिलाएंगे।
नैतिक एआइ को सीखने की निरंतर यात्रा मानें
एआइ बायस पर ज्ञान हर दिन बदलता है। जो टूल आज न्यूट्रल लगता है, वह कल भेदभावपूर्ण साबित हो सकता है। इसलिए जेन जेड को आजीवन सीखने की आदत डालनी होगी—सिर्फ तकनीक ही नहीं, बल्कि एआइ एथिक्स में भी। इसके लिए वर्कशॉप, सर्टिफिकेशन, या जिम्मेदार एआइ पर चल रही वैश्विक बहस से जुड़े रहना जरूरी है।
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बहुविषयी सोच अपनाए
जब तकनीकी काम सामाजिक संदर्भ से कट जाता है, तभी बायस पनपता है। यही कारण है कि इंटरडिसिप्लिनरी सोच जरूरी है—जहां कोडिंग के साथ मनोविज्ञान, डेटा के साथ समाजशास्त्र और डिजाइन के साथ समावेशिता को जोड़ा जाए। भविष्य के सबसे प्रभावशाली प्रोफेशनल वही होंगे जो एल्गोरिद्म के साथ-साथ उसके मानवीय परिणामों को भी समझ पाएँगे।
एआइ का इस्तेमाल करें, लेकिन सवाल भी उठाएं
आज एआइ-लिटरेसी विकल्प नहीं बल्कि ज़रूरत है। लेकिन यह सिर्फ इस्तेमाल तक सीमित नहीं होनी चाहिए। इसका मतलब है यह सवाल पूछना-
यह सिस्टम किस डेटा पर प्रशिक्षित हुआ?
इसमें कौन-से अनुमान डाले गए?
इससे किसे फायदा होगा और किसे नुकसान पहुंच सकता है?
ऐसे जेन जेड प्रोफेशनल्स, जो एआइ टूल्स का इस्तेमाल करने के साथ-साथ उनकी कमजोरियों पर सवाल उठा सकें, नियोक्ताओं के लिए सबसे मूल्यवान साबित होंगे।
नैतिक नेटवर्क बनाइए
कॅरियर उन समुदायों में तेजी से बढ़ते हैं जहां भरोसा और जिम्मेदारी को महत्व मिलता है। नेटवर्किंग का मतलब सिर्फ नौकरी पाना नहीं है, बल्कि टेक्नोलॉजी के असर पर दृष्टिकोण साझा करना भी है। जेन जेड के लिए यह जरूरी है कि वे ऐसे मेंटर्स, साथियों और थॉट लीडर्स से जुड़े जो नैतिक एआइ की परवाह करते हों। इससे उन्हें मार्गदर्शन, विश्वसनीयता और बदलते नौकरी बाजार में स्थिरता मिलेगी।
नैतिक उद्यमिता की राह
अगर कॉर्पोरेट की एंट्री-लेवल नौकरियां सीमित लगें, तो जेन जेड अपने उद्यमी सपनों को भी आकार दे सकते हैं। ऐसे स्टार्टअप्स की अपार संभावनाएं हैं जिनकी नींव नैतिक एआइ पर टिकी हो—जैसे कि फेयर-रिक्रूटमेंट प्लेटफॉर्म, ट्रांसपेरेंट एनालिटिक्स सर्विस या एआइ-आधारित वेलनेस सॉल्यूशन। ऐसे ब्रांड्स को लंबे समय तक प्रासंगिकता और विश्वास मिलेगा।
अंतिम विचार- अंतरात्मा पर आधारित कॅरियर
एआइ हमेशा रहेगा, लेकिन इसके साथ बायस भी रहेगा। जेन जेड प्रोफेशनल्स अगर इस सच्चाई को नजरअंदाज करेंगे तो वे न केवल अनजाने में दोषी बनेंगे, बल्कि शायद अप्रासंगिक भी। लेकिन जो लोग नैतिक एआइ को अपने करियर की मूलभूत स्किल मानेंगे, वे आने वाले प्रोफेशनल युग के सच्चे नेता बनकर उभरेंगे। मशीनें बायस्ड हो सकती हैं, लेकिन आपका कॅरियर नहीं होना चाहिए।
Published on:
27 Sept 2025 06:12 pm
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