
दिल्ली में ऐतिहासिक लाल किले से महज तीन सौ मीटर दूर हुए विस्फोट ने आशंका और बेचैनी के बीच खौफ भरा माहौल बना दिया है। यह महज एक और ब्लास्ट की घटना नहीं, बल्कि हमारे सुरक्षा तंत्र की कई परतों में छिपी कमजोरी को भी उजागर करती है। देश की राजधानी में सुरक्षा बंदोबस्तों पर जो सवाल खड़े हुए हैं, उन पर जवाब गृह मंत्रालय और दिल्ली पुलिस के बयानों भर से नहीं मिलने वाले।
सबसे बड़ी चिंता की बात यही है कि देश के सबसे संवेदनशील और सुरक्षित समझे जाने वाले क्षेत्र में यह दुस्साहस हुआ है। ब्लास्ट के इस मामले में सुरक्षा एजेंसियां जांच में जुटी हैं। चिंताजनक तथ्य यह है कि सीसीटीवी फुटेज देखकर जांच एजेंसियां मान रही हैं कि जिस वाहन में विस्फोट हुआ वह लाल किले के पास ही करीब तीन घंटे तक रही। लाल किला राष्ट्रीय गर्व का परिचायक है। यहां सुरक्षा बंदोबस्त स्वाभाविक रूप से वैसे भी चाक-चौबंद रहने की अपेक्षा की जाती है। इस व्यस्त इलाके में चलती कार में विस्फोट जिस तरीके से हुआ, उससे दो सवाल खड़े होते हैं। पहला यह कि संभवतः विस्फोट उस कार से परिवहन के दौरान हुआ। दूसरा यह कि उस कार का संभवतः कोई और गंतव्य था। यानी यह विस्फोट ही असली लक्ष्य नहीं था, साजिश इससे भी अधिक खतरनाक थी। यही वह बिंदु हैं जहां समूचा घटनाक्रम सामान्य आपराधिक सीमा पार कर संभावित ‘बड़ी साजिश’ की ओर भी संकेत करता है।
इस ब्लास्ट का पुलवामा से कनेक्शन की भी जांच हो रही है और कुछ संदिग्धों को पुलिस ने हिरासत में लिया है। जांच एजेंसियों ने घटना से संबंधित जो तार जोड़ने के प्रयास किए हैं, उनमें आतंकी हमला होने का अंदेशा भी बढ़ गया है। हैरत की बात यह भी है कि आतंकी घटनाओं को लेकर खुफिया अलर्ट जारी था, इसलिए सतर्कता भी बरती जानी थी। सुरक्षा बंदोबस्तों में जरा-सी लापरवाही बड़ी घटना का कारण बनते देर नहीं लगती। इतना ही नहीं, यह हमारे मनोबल और अंतरराष्ट्रीय छवि दोनों पर असर डालती है। जाहिर है गृह मंत्रालय से लेकर खुफिया तंत्र, विशेष शाखा, ट्रैफिक प्रोटोकॉल और पुलिस तक में समन्वय की कमी नहीं दिखनी चाहिए। सुरक्षा का मतलब केवल बैरिकेड्स, हथियार और वर्दियां नहीं है, बल्कि ‘सावधानी और सूक्ष्म निगरानी’ है। खासतौर से संवेदनशील इलाकों में सुरक्षा-व्यवस्था को तकनीकी और मानवीय दोनों स्तरों पर देखने की आवश्यकता है।
ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो, इसके लिए संवेदनशील इलाकों में स्मार्ट निगरानी नेटवर्क, स्थानीय पुलिस और केंद्रीय एजेंसियों के बीच समन्वय, सार्वजनिक स्थानों पर सख्त प्रोटोकॉल और जवाबदेही तय होनी चाहिए। लाल किले की छाया में हुआ यह विस्फोट सिर्फ धमाका ही नहीं, एक चेतावनी है जिसे सुनना होगा, समझना होगा और उसी के अनुरूप कार्रवाई करनी होगी।
Published on:
12 Nov 2025 04:14 pm
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