
प्यून के बेटे को CGPSC में पांचवीं रैंक (फोटो सोर्स- पत्रिका)
ताबीर हुसैन। CGPSC Results 2024: छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग ने गुरुवार देर रात राज्य सेवा परीक्षा का परिणाम जारी कर दिया। इस परीक्षा में जशपुर जिले के कुनकुरी के साधारण परिवार से निकलकर प्यून के बेटे पारस शर्मा ने पांचवीं रैंक हासिल कर बड़ा इतिहास रच दिया। परिणाम आते ही उनके घर पर बधाइयों का तांता लग गया। माता–पिता के स्वर्गवासी हो जाने के बाद भी हार न मानने वाले पारस की सफलता युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणा बन गई है।
पारस ने बताया कि कभी इंजीनियरिंग की कॉपियों में भविष्य खोजने वाले वे आज राज्य प्रशासन की मजबूत आवाज बनने जा रहे हैं। परिवारजन और स्थानीय लोग उनकी सफलता पर गर्व महसूस कर रहे हैं।
Q. सबसे पहले, अपने बारे में बताइए।
A. मैं जशपुर जिले के कुनकुरी का रहने वाला हूं। स्कूली शिक्षा शिशु मंदिर से और स्नातक बी.आई.टी. से किया। मैं सिविल इंजीनियरिंग का छात्र रहा हूं।
Q. सेवा में आने का सफर कैसे शुरू हुआ?
A. इंजीनियरिंग के बाद मैंने निजी कंसल्टेंसी में काम किया। इसके बाद पीडब्ल्यूडी, पीएसी और फिर जीएसटी विभाग में सेवाएं दीं। वर्तमान में मैं नायब तहसीलदार, बलरामपुर जिले के कुसमी में पदस्थ हूं। शुरू से ही लक्ष्य था डिप्टी कलेक्टर बनना।
Q. यह आपका कौन-सा प्रयास था? इस बार क्या अलग किया?
A. यह मेरा चौथा साक्षात्कार था। इस बार नई रणनीति न अपनाकर पिछली गलतियों की समीक्षा की। आरटीआई से मुख्य परीक्षा की उत्तरपुस्तिकाएं मंगवाईं और कमियों को समझा। भाषा पर लगातार दो साल मेहनत की। विज्ञान, गणित और सामान्य अध्ययन को गहराई से पढ़ा। यही सुधार इस बार निर्णायक रहे।
Q. इंटरव्यू में क्या सवाल पूछे गए? कोई रोचक प्रश्न?
A. इंटरव्यू के प्रश्न गोपनीय थे। चर्चा मुख्य रूप से तहसीलदार प्रशासन, राजस्व कार्यों और दैनिक समस्याओं पर हुई। रायपुर की ट्रैफिक समस्या पर भी विस्तृत बातचीत हुई, जिसमें मैंने मल्टी–लेवल पार्किंग, पब्लिक ट्रांसपोर्ट को मजबूत करने और लेनों के वैज्ञानिक उपयोग जैसे सुझाव रखे।
Q. सिस्टम में फैले भ्रष्टाचार से कैसे निपटेंगे?
A. भ्रष्टाचार व्यक्तिगत प्रवृत्ति है, लेकिन कानून व्यवस्था इसे रोकने के लिए पर्याप्त है। भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 और एसीबी का सक्रिय तंत्र प्रभावी है। मैं अपने कार्यालय को सिटिजन-सेंट्रिक बनाना चाहता हूं, ताकि आम लोग सीधे शिकायत कर सकें। जब व्यवस्था और जनता के बीच दूरी नहीं रहती, तब भ्रष्टाचार खुद कम होने लगता है।
Q. प्रेरणा कहां से मिली?
A. पहले क्रिकेटर बनने का सपना था। फिर पड़ोस में रहने वाले तीन सिविल जजों को देखकर प्रेरणा मिली। खेल आयोजनों में कलेक्टरों से मिलने का अवसर मिलता था, जिससे प्रशासनिक सेवा का आकर्षण बढ़ा।
Q. माता–पिता के बारे में बताएं।
A. मेरे पिता स्व. हीरलाल शर्मा प्यून थे और माता स्व. पूर्णिमा शर्मा थीं। दोनों के आशीर्वाद से ही आज यह उपलब्धि मिली है।
Published on:
21 Nov 2025 02:10 pm
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