
स्कूल में रखी मशीन हो गई कबाड़
बीना. विद्यार्थियों की सेहतमंत बनाने के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में हाइ और हायर सेकंडरी स्कूलों में जिम की सामग्री दी गई थी, जो बिना उपयोग के ही कबाड़ बन गई है या फिर गायब हो गई है। क्योंकि इस ओर जिम्मेदारों द्वारा ध्यान ही नहीं दिया गया।
कुछ वर्षों पूर्व ग्रामीण क्षेत्रों के स्कूल में लाखों रुपए की कीमत का जिम का सामान आया था और इसे स्कूल सुरक्षित रखने के लिए अलग से कमरा तैयार किया जाना था, जहां विद्यार्थी एक्सरसाइज करते। स्कूलों में जिम का सामान आने के बाद से ही उसका उपयोग नहीं किया गया और न ही उसे व्यवस्थित रखा गया। एक्ससाइज करने वाली लाखों रुपए कीमत की मशीनों सहित अन्य सामान धूल खाते-खाते कबाड़ बन गया है। जिन स्कूलों को यह सामान मिला था, वहां प्रबंधन द्वारा सुरक्षित रखने का प्रयास ही नहीं किया गया। जिम के सामान के साथ-साथ कुश्ती का अभ्यास करने के लिए गद्दे भी मिले थे, लेकिन वह भी अब गायब हो चुके हैं। शिक्षा विभाग द्वारा लाखों रुपए खर्च कर सुविधा मुहैया कराने का प्रयास किया जाता है, लेकिन सही तरीके से क्रियान्वयन न होने से विद्यार्थियों को इसका लाभ ही नहीं मिल पाता है। यदि मशीनों का सही तरीके से रखरखाव किया जाता, तो विद्यार्थियों को इसका लाभ मिलता। इसके लिए प्रशिक्षक भी नियुक्त नहीं किए गए थे।
खेल सामग्री भी खा रही धूल
कोरोना काल के पहले माध्यमिक स्कूलों में खेल सामग्री दी गई थी, जो धूल खा रही है या फिर खराब हो चुकी है। स्कूलों में खेल मैदान, खेल शिक्षक न होने से इस सामग्री का उपयोग ही नहीं हो पाता है। सामग्री देने का उद्देश्य खेल प्रतिभाओं को सामने लाना था, लेकिन यह उद्देश्य पूरा नहीं हो पाया है।
अधिकारियों को नहीं जानकारी
जिम के सामान के संबंध में जब शिक्षा विभाग के अधिकारियों से जानकारी ली जाती है, तो वर्षों पहले सामान आने की बात कहते हैं। अधिकारियों को यह भी पता नहीं है कि किस मद से यह सामान आया था।
Published on:
13 Nov 2025 11:50 am
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