श्रीगंगानगर.विश्व दर्शन दिवस चिंतन, तर्क, संवाद और मानवीय समझ को नई दिशा देने वाला दिन माना जाता है। यह दिवस हमें यह याद दिलाता है कि दर्शन केवल विषय नहीं, बल्कि दुनिया को देखने-समझने का एक गहन दृष्टिकोण है। वैश्विक स्तर पर विविध दर्शन मानव को विचारशील बनाने में निरंतर योगदान देते रहे हैं। विचारों की स्वतंत्रता न केवल मानवीय सभ्यता के विकास का आधार है बल्कि सामाजिक न्याय, मानवाधिकार, लोकतांत्रिक मूल्यों और अंतर-सांस्कृतिक संवाद की स्थापना में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। चौधरी बल्लूराम राजकीय कन्या महाविद्यालय के प्रो. आशाराम भार्गव कहते हैं भारत में विविध विरोधी दार्शनिक विचारों का भी सम्मान रहा है। यहां तार्किकता का सदैव महत्व रहा है। दर्शन ने दुनिया का मार्ग प्रशस्त किया है।
पहले विद्यार्थियों की संख्या कम थी, अब ठीक है
लोकल स्तर पर कॉलेजों में भी दर्शन की समझ और उसकी उपयोगिता को लेकर सकारात्मक बदलाव देखने को मिल रहा है। चौधरी बल्लूराम गोदारा राजकीय कन्या महाविद्यालय में फिलॉसफी विभाग में इस वर्ष प्रथम, तृतीय और पंचम सेमेस्टर में लगभग 30 विद्यार्थी अध्ययन कर रहे हैं। सहायक आचार्य अजीत सिंह बताते हैं कि पहले स्थायी स्टाफ नहीं होने के कारण यहां विद्यार्थियों की संख्या मात्र तीन-चार तक रह जाती थी,लेकिन 4 अगस्त 2025 को स्थायी सहायक आचार्य की नियुक्ति के बाद संख्या बढ़ी है और गतिविधियां भी नियमित रूप से संचालित की जा रही हैं।
दर्शन में दार्शनिक सोच की जाती है विकसित
कन्या महाविद्यालय की छात्राएं आरजू और खुशी कहती हैं दर्शन में दार्शनिक सोच विकसित की जाती है। यहां प्रोजेक्टर के माध्यम से क्लास, कविता पाठ, निबंध लेखन, पोस्टर निर्माण,नैतिक शिक्षा जैसे कई कार्यक्रम करवाए जाते हैं। अजीत सिंह का मानना है कि आज की युवा पीढ़ी अत्यधिक दबाव के कारण मानसिक तनाव से गुजर रही है,जबकि दर्शन उन्हें विचारों की स्पष्टता और जीवन में संतुलन प्रदान करता है।
दर्शन जीवन को समझने और बेहतर दिशा देने वाला विषय
डॉ.बीआर आंबेडकर राजकीय महाविद्यालय में दर्शन शास्त्र के सहायक आचार्य कालूराम ज्याणी बताते हैं कि यहां लगभग 45 विद्यार्थी अध्ययनरत हैं। कोरोना के दौरान लॉकडाउन के बाद विद्यार्थियों की संख्या में कमी आई थी,साथ ही जब वे चार-पांच वर्ष पहले यहां आए थे तब लाइब्रेरी में पर्याप्त किताबें भी नहीं थीं। लेकिन अब स्थिति सुधरी है और विद्यार्थी दर्शन को जीवन-उपयोगी विषय के रूप में समझने लगे हैं। महाविद्यालय के विद्यार्थी अभिषेक का कहना है दर्शन जीवन को समझने और बेहतर दिशा देने वाला विषय है। इससे जीवन में संतुलन,नैतिकता और आत्म-बोध विकसित होता है।
विचारों की रोशनी का संदेश
वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. कृष्ण कुमार आशु, वरिष्ठ अध्यापक राजू आनंद व आनंद माया सूत आदि ने भी दर्शन शास्त्र के महत्व पर प्रकाश डाला। उनका कहना है कि विश्व दर्शन दिवस यह संदेश देता है कि विचारों की रोशनी ही समाज को संवेदनशील,तार्किक और मानवीय बनाने वाली वास्तविक शक्ति है और इसके केंद्र में युवा पीढ़ी की नई सोच ही परिवर्तन की सच्ची धुरी बनकर उभरती है।