ओंकारेश्वर में सिंहस्थ के लिए प्रस्तावित ममलेश्वर परियोजना को आम नागरिकों और संत समाज के विरोध के बाद रद्द कर दिया गया है। सिंहस्थ 2028 के लिए उज्जैन में लैंड पुलिंग और ओंकारेश्वर में ममलेश्वर लोक का घोर विरोध हो रहा था। दो दिन में सरकार ने दूसरी बार यू-टर्न लिया है। पहले लैंड पुलिंग योजना को निरस्त किया गया और मंगलवार को ममलेश्वर लोक को निरस्त करना पड़ा। मंगलवार को इसकी घोषणा होते ही तीर्थनगरी ओंकारेश्वर में दिवाली मनाई गई।
सिंहस्थ को लेकर मप्र सरकार द्वारा मप्र पर्यटन विकास निगम के माध्यम से अक्टूबर में 119 करोड़ की ममलेश्वर परियोजना की घोषणा की गई थी। इस परियोजना में ममलेश्वर लोक विस्तार के लिए 409 मकान, दुकान, प्रतिष्ठान, आश्रम, होटल, गेस्ट हाउस को विस्थापित किया जाना था। योजना के सामने आते ही इसकी आलोचना और विरोध शुरू हो गया था। स्थानीय नागरिकों, जनप्रतिनिधियों और संत समाज की बिना सहमति के कागजों पर बनी परियोजना में कई पीढिय़ों से बसे लोगों का आशियाना, रोजगार छिनते देख लोग विरोध में आ गए। सांसद, विधायक भी बीच में आए, लेकिन कोई हल नहीं निकला। प्रशासन ने 10 नवंबर को सर्वे भी आरंभ कर दिया। जिससे विरोध के स्वर तेज हुए और प्रशासन को सर्वे रोकना पड़ा।
दूसरे दिन भी नहीं खुली दुकानें
समस्या का कोई हल निकलता नहीं देख संत समाज की अगुवाई में सोमवार से ओंकारेश्वर बंद की घोषणा की गई। तीन दिवसीय बंद के पहले दिन सोमवार को कांग्रेस नेता रॉबर्ट वाड्रा और जिलाध्यक्ष उत्तमपाल सिंह ने भी प्रभावितों के बीच पहुंचकर समर्थन दिया। दूसरे दिन भी तीर्थनगरी में कोई दुकान, प्रतिष्ठान नहीं खुले, यहां तक गेस्ट हाउस, लॉज, होटल में भी बुकिंग नहीं ली। टैंपों और नावें भी बंद रही। मंगलवार को जोड़ गणपति हनुमान मंदिर में बैठक हुई। जिसमें प्रभावित, नागरिक, संत समाज के बीच विधायक नारायण पटेल और एडीएम काशीराम बड़ोले भी पहुंचे।
सीएम, कलेक्टर से चर्चा के बाद निकली राह
ममलेश्वर लोक के विरोध में संत समाज के आने के बाद प्रशासन की चिंता बढ़ गई थी। बंद के आह्वान के बाद प्रशासन इसका कोई रास्ता निकालने में लगा हुआ था। कलेक्टर ऋषव गुप्ता दिल्ली में थे। प्रशासन ने एडीएम बड़ोले को संतों के बीच भेजा। एडीएम ने मौके से ही सीएम और कलेक्टर से चर्चा के बाद प्रभावितों के हक में योजना वापस लेने की घोषणा की। इसके लिए आदेश की कॉपी भी महंत मंगलदास त्यागी को सौंपी गई।
यह होना था योजना के तहत
4.6 हेक्टेयर में ममलेश्वर मंदिर परिसर का विस्तार किया जाना था। इसके लिए 119 करोड़ का बजट भी प्रस्तावित है, जिसमें से 30 करोड़ रुपए पुनर्वास के लिए स्वीकृत भी हो चुके है। यहां ममलेश्वर लोक को लेकर 12 से 24 मीटर तक चौड़ी सडक़ें, ममलेश्वर पथ, नवग्रह त्रिवेणी, मंदिरों का जीर्णोद्धार, शिखर दर्शन दीर्घा, रेवा दर्शन, विंध्य वाटिका आदि का निर्माण होना था।
इसलिए हो रहा था घोर विरोध
ममलेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर ब्रह्मपुरी क्षेत्र में स्थापित है। नया झूला पुल बनने से पहले यहां झोपड़ पट्टी ही हुआ करती थी। नया झूला पुल बनने के बाद ब्रह्मपुरी मार्ग दोनों ज्योतिर्लिंग मंदिर को जोडऩे का प्रमुख मार्ग बन गया। जिसके बाद यहां दुकानों, प्रतिष्ठानों का निर्माण हुआ और लोगों की आर्थिक स्थिति अच्छी हुई। अब इन लोगों को बसावट से पौने तीन किमी दूर बसाया जा रहा था। जिसका घोर विरोध था।
एक माह बाद लौटी चेहरों पर रौनक
ममलेश्वर लोक की घोषणा सितंबर में हुई थी। परियोजना को लेकर ब्रह्मपुरी वासियों में संशय की स्थिति थी। अक्टूबर में परियोजना की पूरी जानकारी सामने आने पर प्रभावितों के चेहरों का रंग उड़ गया था। उजडऩे के भय से परिवारों में मायूसी छाई हुई थी। एक माह से हर कोई परेशान था। मंगलवार को ममलेश्वर लोक निरस्त होने की घोषणा होते ही लोगों के चेहरों पर रौनक लौट आई। लोगों ने घरों में दीप जलाए, आतिशबाजी की और दिवाली मनाई।