मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआइआर) के दौरान जिले में एक बड़ी समस्या सामने आ रही है। जिले में अन्य प्रदेशों से आकर बसे कई लोगों का रिकॉर्ड मैपिंग में मिल ही नहीं रहा है। कई राज्यों की पूर्व में हुए एसआइआर मतदाता सूची प्रादेशिक भाषाओं में होने से बीएलओ को समझ ही नहीं आ रही है। जिले में पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, पंजाब, हिमाचल, यूपी, बिहार, तमिलनाडू सहित अन्य प्रदेशों के लोग भी यहां आकर जिले के स्थाई निवासी हो गए है।
पुनरीक्षण प्रक्रिया में यह अनिवार्य है कि मतदाता जिस स्थान पर रह रहा है, उसका ऐतिहासिक रिकॉर्ड या पूर्व प्रविष्टि उपलब्ध हो। वर्षों पूर्व बाहर से आकर यहां बस चुके लोगों के 22 साल पुराने एसआइआर दस्तावेज या तो क्षतिग्रस्त हैं या पूरी तरह गुम हो चुके हैं। ऐसे में इनके सामने अपनी नागरिकता को साबित करना भी मुश्किल होगा। शहर में ही बंगाल से आए स्वर्ण कारीगरों की बड़ी तादात है। सिख, पंजाबी समाज में भी कई बहुएं पंजाब से आई है। पश्चिम बंगाल की वर्ष 2002 की सूची बंगाली भाषा में खुल रही है। वहीं, पंजाब की 2003 की मतदाता सूची गुरमुखी (पंजाबी) भाषा में है। ऐसे में बीएलओ को मतदाता का वेरिफिकेशन करना मुश्किल हो रहा है।
महाराष्ट्र की सूची उपलब्ध ही नहीं
शहर में महाराष्ट्रीयन परिवारों की भी काफी संख्या है। वर्ष 2003 तक खंडवा-बुरहानपुर जिला एक ही था, जिसके कारण महाराष्ट्र से सीधा नाता रहा है। कई परिवारों में महाराष्ट्र की बहुएं है। महाराष्ट्र में निकाय चुनाव होना है, जिसके चलते पुराने एसआइआर की सूची इलेक्शन कमिशन ऑफ इंडिया की वेबसाइट पर लोड ही नहीं है। जिसके चलते महाराष्ट्र से आए परिवार या बहुओं का रिकार्ड खंगालना भी मुश्किल होगा। जिला निर्वाचन ने इसके लिए अब राज्य निर्वाचन आयोग से मार्गदर्शन मांगा है।
427 मतदान केंद्र के बीएलओ तक पहुंचे पत्रक
जिले में गणना पत्रकों की प्रिंटिंग में हो रही देरी के चलते प्रशासन ने अन्य जिलों से पत्रक प्रिंट करवाए हैं। शनिवार तक जिले के 427 मतदान केंद्रों के बीएलओ को 4.08 लाख पत्रकों का वितरण कर दिया गया था। बीएलओ द्वारा अब तक कुल 44 हजार पत्रकों का वितरण किया जा चुका है। सोमवार से खंडवा शहर के बीएलओ को पत्रक मिलने के बाद घर-घर जाकर पत्रक वितरण किए जाएंगे। फिलहाल शहर में बीएलओ द्वारा मतदाता मैपिंग का काम किया जा रहा है।
किसी को घबराने की जरूरत नहीं
किसी भी नागरिक को घबराने की जरूरत नहीं है। वर्ष 2003 में जहां भी नाम था, वहां की मतदाता सूची से नागरिक का नाम या उनके माता-पिता के नाम से बीएलओ द्वारा ढूंढा जाएगा। यदि नाम ढूंढ नहीं पाते है तो एसडीएम द्वारा जांच कर नई सूची में नाम जोड़ा जाएगा। जो भी भारत का नागरिक है, उसका नाम मतदाता सूची में जोडऩे की प्रक्रिया की जाएगी।
ऋषव गुप्ता, कलेक्टर व जिला निर्वाचन अधिकारी