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बोरवेल में फंसे बच्चों को बचाने के लिए आइआइटी गांधीनगर ने विकसित की स्वदेशी प्रणाली

-एनडीआरएफ बटालियन 6 जारोद को की हस्तांतरित

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IIT Gandhinagar

Ahmedabad. बोरवेल में गिरने वाले बच्चों, किशोरों को बचाने के लिए भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान गांधीनगर (आइआइटी गांधीनगर) की टीम ने स्वदेशी बोरवेल बचाव प्रणाली विकसित की है। हाल ही में संस्थान ने इसे राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ), 06 बटालियन, जारोद, वडोदरा को यह प्रणाली हस्तांतरित की।

देश में हर साल कहीं न कहीं बच्चे खुले बोरवेल में गिर जाते हैं, जिससे बचावकर्मियों के लिए उन्हें सुरक्षित बाहर निकालना काफी चुनौतियां भरा होता है। यह हाथों से की जाने वाली बचाव प्रक्रिया है। उसकी जगह एक संस्थान ने एक नियंत्रित विंच-होइस्ट प्रणाली विकसित की है। कई मॉक टेस्ट करने के बाद इसकी उपयोगिता और प्रभाव को सुनिश्चित किया और फिर उसे क्षेत्रीय उपयोग के लिए एनडीआरएफ की वडोदरा बटालियन को सौंपा है।

आइआइटी गांधीनगर के निदेशक प्रो.रजत मूना ने कहा कि इस स्वदेशी बचाव प्रणाली से सैनिकों के शारीरिक प्रयास, थकान को कम करने और बचाव दक्षता को बेहतर बनाने में सफलता मिलेगी। ऐसे समाधान संस्थान के छात्र समुदाय को और बेहतर करने के लिए प्रेरित कर सकते हैं। यह दर्शाता है कि कैसे संस्थान राष्ट्रीय समस्याओं को हल करने को प्रयासरत है।

एनडीआरएफ के कमांडैंट सुरेंद्र सिंह ने कहा कि पहले, हमारे सैनिक बचाव छड़ों को हाथ से पकड़ते, ऊपर उठाते थे, जिससे उन्हें थकान होती थी, जोखिम भी होता था। अब विंच-एंड-होइस्ट प्रणाली से छड़ और पीड़ित का भार उठाया जाएगा, जिससे सैनिकों का शारीरिक श्रम कम होगा।

इसे संस्थान के प्रोफेसर मधु वडाली, प्रोफ़ेसर अतुल भार्गव के मार्गदर्शन में बबलू शर्मा, आशीष पांडे, नीरव भट्ट, अमन त्रिपाठी, प्रग्नेश पारेख और शिबाराम साहू ने प्रणाली को डिज़ाइन और विकसित किया है।

भार वहन करेगी मशीन, बचाव कार्य होगा सुरक्षित

प्रो. मधू वडाली ने बताया कि एनडीआरएफ जवान अभी बोरवेल में फंसे बच्चे को नीचे से ऊपर निकालने को छड़ों को हाथ पकड़ते, उठाते हैं, इसमें काफी समय लगता है। यह असुरक्षित और थका देने वाला है। नई प्रणाली में मॉड्यूलर होइस्ट (भार को ऊपर उठाने की मशीन और एक इलेक्ट्रिक चरखी का उपयोग किया है, जिससे बचावकर्मियों को स्टील की भारी छड़ों को पकड़े रहने, उसे हाथों से उठाने की जरूरत नहीं होगी। यह काम मोटर चालित इलेक्टि्रक चरखी करेगी। मशीन से भार को संभाला जा सकेगा। इससे समय कम लगेगा, थकान नहीं होगी, बचाव प्रक्रिया सुरक्षित, प्रभावी होगी।