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भारतीयों पर यूरोपियन पैटर्न फिट नहीं, कम रिस्क स्कोर फिर भी हार्ट अटैक

भारत की अपनी रिस्क स्कोरिंग सिस्टम की जरूरत, यूएन मेहता के चिकित्सकों की शोध में सामने आए तथ्य

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Ahmedabad: देश में बढ़ रहे हार्ट अटैक के मामलों में नया तथ्य सामने आया है। अहमदाबाद स्थित राज्य के सबसे बड़े यू एन मेहता अस्पताल के छह चिकित्सकों की टीम की शोध में सामने आया कि भारतीय लोगों पर हार्ट अटैक के रिस्क स्कोर का पैटर्न फिट नहीं बैठ रहा है। क्योंकि कम रिस्क स्कोर होने के बावजूद 27 फीसदी भारतीय लोगों को हार्ट अटैक आया। शोध में पता चला कि भारतीय लोगों का रिस्क फैक्टर स्कोर यूरोपियन देशों की तुलना में अलग है।

यह शोध (रिसर्च पेपर) जनरल ऑफ साउदी हार्ट एसोसिएशन में प्रकाशित हुआ है। स्टडी में शामिल मरीजों में से 27 फीसदी का रिस्क स्कोर यूरोपियन देशों की तुलना में कम या सामान्य था, फिर भी उन्हें हार्ट अटैक आया। शोध टीम में डॉ. कमल शर्मा, डॉ.पनवर जशराज, डॉ. कृतिका पटेल, डॉ. देवरतसिंह परमार, डॉ. कल्याणी मौलिक तथा डॉ. दीक्षित धोराजिया शामिल हैं।शोध करने वाली टीम के सदस्य व यूएन मेहता अस्पताल के हृदयरोग विशेषज्ञ डॉ. कमल शर्मा ने बताया कि हार्ट अटैक के चलते अस्पताल में भर्ती हुए 1213 मरीजों पर शोध किया गया। हार्ट अटैक के रिस्क फैक्टर स्कोर पर पूर्व में कई देशों में स्टडी हुई थी, जिसमें रिस्क फैक्टर स्कोर से 90 फीसदी मामलों में अनुमान लगाना संभव माना गया। यह स्कोर उन देशों के लोगों की लाइफ स्टाइल व अन्य रिस्क फैक्टर को ध्यान में रखकर तैयार किया गया था। हमारे शोध में सामने आया कि इस स्कोरिंग सिस्टम से भारतीय नागरिकों के हार्ट अटैक का अनुमान लगाना कठिन है।

भारतीय लोगों के लिए अलग स्कोरिंग सिस्टम जरूरी

डॉ. कमल शर्मा ने कहा कि भारत के लोगों के लिए हार्ट अटैक के मामले में खुद की अलग रिस्क फैक्टर स्कोरिंग सिस्टम तैयार करनेकी जरूरत है। वह यूरोपियन देशों के स्कोरिंग सिस्टम से भिन्न है। हार्ट अटैक रिस्क फैक्टर डायबिटीज, ब्लड प्रेशर, मोटापा, कोलेस्ट्रॉल, तंबाकू आदि हैं। इनके अलग-अलग स्कोर हैं। यदि स्कोर 20 प्रतिशत से ज्यादा है तो हार्ट अटैक के लिए हाई रिस्क माना जाता है। इस स्कोर से देखें तो भारतीयों में यह बिल्कुल अलग पाया गया। स्कोर कम या सामान्य होने के बावजूद भारतीय लोगों को हार्ट अटैक आया।

18 से 74 वर्ष के मरीजों पर शोध

इस शोध में शामिल मरीजों की आयु 18 से 74 वर्ष है। हार्ट अटैक के बाद उनकी एंजियोग्राफी करनी पड़ी थी। इनमें से ज्यादातर मरीज 40 वर्ष से अधिक आयु के हैं।