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मालवीय के पदचिन्हों पर चलकर राष्ट्र निर्माण में देना होगा योगदान : प्रो. दूबे

गुजरात केंद्रीय विश्वविद्यालय में राष्ट्रीय संगोष्ठी वडोदरा. गुजरात केंद्रीय विश्वविद्यालय एवं महामना मालवीय मिशन की गुजरात इकाई के संयुक्त तत्वावधान में विश्वविद्यालय में एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया।संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रो. रमाशंकर दूबे ने कहा कि हमें मालवीय के बताए रास्तों पर चलकर राष्ट्र निर्माण में योगदान देना चाहिए।महामना […]

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गुजरात केंद्रीय विश्वविद्यालय में राष्ट्रीय संगोष्ठी

वडोदरा. गुजरात केंद्रीय विश्वविद्यालय एवं महामना मालवीय मिशन की गुजरात इकाई के संयुक्त तत्वावधान में विश्वविद्यालय में एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया।
संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रो. रमाशंकर दूबे ने कहा कि हमें मालवीय के बताए रास्तों पर चलकर राष्ट्र निर्माण में योगदान देना चाहिए।
महामना मालवीय मिशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष हरीशंकर सिंह मुख्य अतिथि थे। उन्होंने कहा कि पंडित मदन मोहन मालवीय की शिक्षा-दृष्टि भारतीय संस्कृति, नैतिक मूल्यों और आधुनिक शिक्षा के समन्वय पर आधारित थी, जिसका उद्देश्य चरित्र निर्माण, राष्ट्रीयता का विकास और सामाजिक जागरूकता था। सिंह ने आधुनिक विज्ञान के साथ-साथ प्राचीन भारतीय ज्ञान परंपरा पर भी बल दिया। उन्होंने सत्य, सेवा और सहिष्णुता जैसे मानवीय मूल्यों को प्राथमिकता देते हुए शिक्षा को सुलभ एवं सस्ती बनाने पर ज़ोर दिया।
मिशन के महामंत्री डॉ. वेद प्रकाश सिंह विशिष्ट अतिथि थे। उन्होंने कहा कि मालवीय पराधीन भारत के ऐसे दूरदृष्टा थे जिन्होंने शिक्षा को अध्यात्म से जोड़ा।
इस अवसर पर प्रो. पार्थ शाह की ओर से विश्वविद्यालय की नए फीचर्स के साथ तैयार की गई वेबसाइट को कुलपति प्रो. रमाशंकर दूबे ने लॉन्च किया। शिक्षा संस्थान के अधिष्ठाता प्रो. जयेन्द्र कुमार अमीन ने स्वागत उद्बोधन दिया। शिक्षा विभाग के अध्यक्ष सह संगोष्ठी के संयोजक प्रो. राकेश राय ने संगोष्ठी की रूपरेखा प्रस्तुत की। मिशन की गुजरात इकाई के अध्यक्ष रंजीत झा ने धन्यवाद ज्ञापित किया।

मालवीय की प्रतिमा का अनावरण

इस दौरान विश्वविद्यालय के पंडित मदन मोहन मालवीय ग्रंथालय में मालवीय की प्रतिमा का अनावरण किया गया। कुलपति प्रो. रमाशंकर दूबे ने कहा कि मालवीय सदैव शिक्षा को व्यक्ति के शारीरिक, बौद्धिक, नैतिक और आध्यात्मिक विकास के लिए आवश्यक मानते थे। शिक्षा जीवन निर्वाह के योग्य बनाने के साथ-साथ राष्ट्रीय भावना और सामाजिक जिम्मेदारी भी सिखाती है। प्रो. दूबे ने विश्वविद्यालय के प्रशासनिक भवन के मुख्य द्वार पर विश्वविद्यालय के ध्येय वाक्य पट्टिका का लोकार्पण भी किया। इस दौरान सह-संयोजक डॉ. जय प्रकाश सिंह, डॉ. सोनल शर्मा एवं डॉ. पुष्पा देवी की लिखित दो पुस्तकों का विमोचन किया गया।