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हमास कैसे बनाता है सस्ता और पावरफुल ड्रोन? जिसे बनाने की तैयारी में थे व्हाइट कॉलर टेरर मॉड्यूल के आतंकी

दिल्ली ब्लास्ट से जुड़े आतंकी ड्रोन और मिसाइल बनाने की तैयारी में थे। आखिर अपने मकसद में क्यों नहीं हुए सफल....पढ़ें पूरी खबर

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ड्रोन (फाइल फोटो-ANI)

Delhi Blast: व्हाइट कॉलर टेरर मॉड्यूल से जुड़े आतंकी हमास की तरह सस्ता और पावरफुल ड्रोन बनाने की तैयारी में जुटे थे। वह सभी एक ऐसा ड्रोन बनाने की कोशिश में जुटे थे, जो भारी मात्रा में बम को कैरी करे और कैमरे से धमाके के बाद की तस्वीरें भी ले सके। यह खुलासा जम्मू-कश्मीर निवासी जसीर बिलाल वानी उर्फ ​​दानिश ने NIA की पूछताछ में किया है। आखिर हमास कैसे सस्ता और शक्तिशाली ड्रोन बनाता है।

हमास कई तरह के रॉकेट और ड्रोन बनाने में माहिर

एनडीटीवी संग बातचीत में ड्रोन और एंटी-ड्रोन निर्माण कंपनी इंडोविंग्स के सीईओ और संस्थापक पारस जैन ने कहा कि उनकी कंपनी ने हमास द्वारा तैयार किए गए ग्लाइडिंग रॉकेटों का अध्ययन किया है। ये हल्के रॉकेट आसानी से 25 किलोमीटर से अधिक की दूरी तय सकते हैं। इसे जमीन और हवा से छोड़ा जा सकता है। ग्लाइडिंग रॉकेट को लेकर बात करते हुए जैन ने कहा, 'एक रॉकेट 20 सेकंड में और तीन रॉकेट एक मिनट में दागे जा सकते हैं। हमास ऐसे रॉकेटों का भारी मात्रा में इस्तेमाल करता है, क्योंकि ये व्यापक प्रभाव क्षेत्र को कवर करते हैं और तेजी से अपना प्रभाव दिखाते हैं।'

उन्होंने दूसरे प्रकार के रॉकेट के बारे में कहा कि ये एक प्रिसिजन इम्प्रोवाइज मिसाइल हैं। ये मिसाइलें 2 से 50 किलोग्राम तक का विस्फोटक भार ले जा सकते हैं। जिनका उपयोग मध्यम दूरी के शहरी हमलों के लिए किया जाता है। उन्होंने एक और ड्रोन व रॉकेट प्रणाली पर बात करते हुए कहा कि रेल लॉन्चर तकनीक के तहत यूएवी या ग्लाइडिंग प्रोजेक्टाइल को छोड़ने के लिए एक स्थिर प्लेटफॉर्म की जरूरत होती है। ये UAV यानी ड्रोन लंबी दूरी के हमलों के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं। साथ ही, ये अपने साथ भारी मात्रा में विस्फोटक ले जाने में भी सक्षम हैं। उन्होंने कहा कि ऐसी प्रणालियां सस्ती होती हैं और इन्हें आपस में जोड़ना भी आसान होता है।

आतंकी दिल्ली में मचा सकते थे बड़ी तबाही

पारस जैन ने कहा कि ये हथियार एक व्यक्ति द्वारा नहीं बनाए जा सकते। इनके लिए एक टीम, प्लानिंग, पैसे और तकनीकी ज्ञान की आवश्यकता होती है। ड्रोन या मिसाइल बनाने के लिए कुछ सामान आसानी से मिल सकते हैं, लेकिन इन सब के बिना उसे मिसाइल में तब्दील कर पाना असंभव है। इसके लिए एक्सपर्ट्स की जरूरत पड़ेगी। उन्होंने चेताया कि अगर व्हाइट कॉलर टेरर मॉड्यूल से जुड़े आतंकी इन्हें बनाने में कामयाब हो जाते तो वह दिल्ली में बड़े पैमाने पर तबाही मचा सकते थे।