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पंचकल्याण महोत्सव: महामुनि शांतिनाथ के हुए आहार, प्राण प्रतिष्ठा के दिए संस्कार

सिरोंजा में पंचकल्याणक महोत्सव के दौरान गुरुवार को पट्टाचार्य विशुद्ध सागर के ससंघ सानिध्य में प्रतिमाओं का प्राण प्रतिष्ठा के संस्कार आरोपित किए गए। इसके पहले महामुनि शांतिनाथ के आहार हुए। महामुनि शांतिनाथ की प्रथम आहारचर्या का भावविभोर करने वाला मंचन सभी के आकर्षण का केंद्र रहा।

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सागर

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Rizwan ansari

Nov 21, 2025

सिरोंजा में पंचकल्याणक महोत्सव के दौरान गुरुवार को पट्टाचार्य विशुद्ध सागर के ससंघ सानिध्य में प्रतिमाओं का प्राण प्रतिष्ठा के संस्कार आरोपित किए गए। इसके पहले महामुनि शांतिनाथ के आहार हुए। महामुनि शांतिनाथ की प्रथम आहारचर्या का भावविभोर करने वाला मंचन सभी के आकर्षण का केंद्र रहा। दोपहर में विनायक यंत्राराधना, मंत्राराधना, तिलकदान, अधिवासना, नेत्रोन्मीलन, प्राण प्रतिष्ठा, सूरिमंत्र और केवलज्ञानोत्पत्ति जैसे विधानों का आयोजन किया गया।
आयोजक सुरेंद्र कुमार संतोष कुमार घड़ी परिवार ने शांतिनाथ धाम में नवीन जिनालय में जैन धर्म के सोलहवें तीर्थंकर शांतिनाथ भगवान विराजित करने का सौभाग्य प्राप्त किया है। बुंदेलखंड के इतिहास में पहली बार एक ही परिवार पूरा पंचकल्याण आयोजित कर रहा है। इस आयोजन में जो भी राशि प्राप्त होगी वह दिगंबर जैन सिद्ध क्षेत्र द्रोणगिरि में निर्मित सहस्त्रकूट को समर्पित करने का संकल्प किया है।

अयोग्य व्यक्ति यदि पद पर आसीन होगा तो अनर्थ हो जाएगा : आचार्य विशुद्ध सागर

सभा में पट्टाचार्य विशुद्ध सागर ने कहा कि योग्यता के अनुसार पद प्रदान करना चाहिए। योग्य व्यक्ति को ही योग्य पद पर प्रतिष्ठित करना चाहिए। अयोग्य व्यक्ति यदि पद पर आसीन हो जाएगा, तो अनर्थ हो जाएगा। योग्य व्यक्ति को ही योग्य जिम्मेदारी प्रदान करना चाहिए। योग्य व्यक्ति को ही डॉक्टर, वाहन चालक, शिक्षक, शासक, मंत्री व साधु होना चाहिए। जाति के अनुसार पद नहीं होना चाहिए। देश, धर्म का विकास चाहिए तो योग्यता अनुसार पद प्रतिष्ठा करो। योग्य कुशल व्यक्ति को ही श्रेष्ठ पद स्वीकार करना चाहिए। आचार्य ने कहा कि अन्य कोई किसी का शत्रु नहीं होता है। उधम हीन ही स्वयं का शत्रु होता है जो समय पर कार्य नहीं करता है, जो अनुशासन हीन है, क्रोधी है, कषायी है, हिंसक है, वह स्वयं का ही शत्रु है। विद्यार्थी समय पर अध्ययन नहीं करेंगे तो परिणाम क्या होगा। कृषक समय पर खेत में बीज नहीं बोएगा तो क्या फसल उगेगी। स्वयं ही स्वयं के शत्रु मत बनो, पुरुषार्थी बनो। चिंता करने वाला स्वयं ही स्वयं का शत्रु होता है। झूठ बोलने वाला स्वयं ही स्वयं का शत्रु है।

10 प्रतिमाओं की प्राण प्रतिष्ठा की जा रही

पाषाण से भगवान के संस्कार रोपण द्वारा गर्भ से निर्माण तक की अनुष्ठान विधि मार्तण्ड ब्रह्मचारी जयकुमार निशांत नवागढ़, सनत कुमार विनोद कुमार रजवांस, पं. मनीष जैन टीकमगढ़ व पं अरविंद रुडक़ी संपादित कर रहे हैं। ब्रह्मचारी निशांत जी को 250 से अधिक प्रतिष्ठा एवं गजरथ महोत्सव का दीर्घ अनुभव है। इस आयोजन में 10 प्रतिमाओं की प्राण प्रतिष्ठा की जा रही है।