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<strong>मिर्जापुर.</strong> मां विंध्यवासिनी शक्तिपीठ का महत्व तपोभूमि के रूप में वर्णित है। विध्य पर्वत श्रृंखला (मिर्जापुर, यूपी) के मध्य पतित पावनी गंगा के कंठ पर विराजमान मां विंध्यवासिनी देवी मंदिर श्रद्धालुओं की आस्था का प्रमुख केन्द्र है । यहां देवी के तीन रूपों का सौभाग्य भक्तों को प्राप्त होता है। बताया जाता है कि इस मंदिर का अस्तित्व सृष्टि आरंभ होने से पूर्व का है। देश के 51 शक्तिपीठों में से एक विंध्याचल की देवी मां विंध्यवासिनी का शक्तिपीठ भी है। यहां पर संकल्प मात्र से उपासकों को सिद्दि प्राप्त होती है। विंध्यवासिनी देवी विंध्य पर्वत पर स्थित मधु तथा कैटभ नामक असुरों का नाश करने वाली भगवती यंत्र की अधिष्ठात्री देवी हैं। कहा जाता है कि जो मनुष्य इस स्थान पर तप करता है, उसे अवश्य सिद्दि प्राप्त होती है। ब्रह्मा, विष्णु व महेश भी भगवती की मातृभाव से उपासना करते हैं। तभी वे सृष्टि की व्यवस्था करने में समर्थ होते हैं। इसकी पुष्टि मार्कंडेय पुराण श्री दुर्गा सप्तशती की कथा से भी होती है। विन्ध्याचल धाम कैसे पहुंचे रेल या बस से विंध्याचल पहुंच सकते हैं। मेले के दौरान विंध्याचल में दर्जन भर सुपरफास्ट ट्रेनों का भी ठहराव रहता है। लखनऊ से आने वाले त्रिवेणी एक्सप्रेस या बस से इलाहाबाद या बनारस के रास्ते आ यहां आ सकते हैं। रेलवे और बस स्टेशन से मंदिर महज दो सौ मीटर दूर है। लोग पैदल ही मां के दरबार जा सकते हैं।