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Harish Parashar

हरीश पाराशर : पिछले 35 वर्षों से सक्रिय पत्रकारिता में। राजनीतिक, सामाजिक विषयों, अपराध, शिक्षा, आदि विषयों में रूचि। 'राजस्थान पत्रिका' में पिछले डेढ़ दशक से लगातार प्रकाशित हो रहे है कॉलम 'नश्तर' के लेखक। वर्तमान में पत्रिका के डिप्टी एडिटर के रूप में जयपुर में पदस्थापित।

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संपादकीय : भारत-चीन रिश्तों में सुधार की दिशा में अहम यात्रा

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संंस्कृति ही देश की पहचान : हमारी राजनीतिक दृष्टि भी भूगोल की सीमाओं में बद्ध नहीं रही

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आवारा पशुओं के संकट से मुक्ति दिलाने वाला फैसला

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नए जमाने की रोशनी से लगभग अछूते आदिवासी

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क्या नेता, ठेकेदार और इंजीनियर बदल जाएंगे?

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सम्पादकीय : भीड़ प्रबंधन में लापरवाही से बढ़ीं भगदड़ की घटनाएं

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आयकर: बदलना होगा दृष्टिकोण व कार्यप्रणाली

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सम्पादकीय : नस्लभेद को रोकें मानवीय मूल्यों के पोषण से

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सम्पादकीय : अपनों को कितना चाहते हैं इसका अहसास कराएं

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मौसम के अपने नियम, चिंता हमें ही करनी होगी

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दिव्य दृष्टि वाला गुरु हो तो परिपक्वता कम उम्र में ही

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सम्पादकीय : मेडिकल शिक्षा में दाखिले की पारदर्शी प्रक्रिया जरूरी

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सम्पादकीय : अंधविश्वास का खात्मा वैज्ञानिक दृष्टिकोण से ही

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संपादकीय : गंभीर बीमारियों पर ‘टैक्स ब्रेक’ की सार्थक पहल

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सम्पादकीय : ई-वोटिंग अपनाने से बढ़ेगा चुनावों में मतदान प्रतिशत

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सम्पादकीय : सपनों की चाह में कानून-कायदों की चिंता जरूरी

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प्रतिष्ठा को एक और धक्का : सुप्रीम कोर्ट ने इंदिरा गांधी के चुनाव आचरण को संदिग्ध मान लिया

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संपादकीय : संवेदनशील वक्त में शांति प्रयासों की ज्यादा जरूरत

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कैसा दामाद मिलेगा और कैसी बहू इसकी चिंता

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सम्पादकीय : मामूली अपराध पर पुलिस क्रूरता की पराकाष्ठा

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